कुम्भ मेला: भारत की महा आध्यात्मिक यात्रा

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कुम्भ (Kumbh Mela)

Nashik Kumbh Mela
Credit: Nashik City

हिन्दू धर्म में कुम्भ मेला सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह मेला हर चार साल बाद मनाया जाता है। यह मेला चार प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आयोजित होता है – हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), नासिक और उज्जैन। जब बृहस्पति और सूर्य विशिस्ट राशियों में होते हैं तब ही कुम्भ का आयोजन होता है एवं इस समय को बड़ा ही शुभ माना जाता है।

अर्ध कुम्भ (Ardh Kumbh)

ardh kumbh mela
Credit: Travel Junoon

प्याग्रज एवं हरिद्वार में हर छह सालों में अर्ध कुम्भ मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले की भी बड़ी धार्मिक महानता होती है एवं इसमें भी कई अनुष्ठान होते हैं । श्रद्धालु इस समय को अत्यंत पवित्र मानते हैं और पूजा, हवन और अन्य धार्मिक क्रियाओं में संलग्न होते हैं।

पूर्ण कुम्भ (Purna Kumbh Mela)

kumbh mela haridwar
Credit: wikipedia

पूर्ण कुम्भ हर बारह साल बाद हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में आयोजित किया जाता है। लगभग एक महीने तक अनेको प्रकार के अनुष्ठान यहाँ होते रहते हैं। सनातन धर्म के सारे अखाड़े और साधु-संन्यासी इस कुम्भ में आकर अपने शिविर लगाते हैं और ज्ञान, योग, तथा धर्म के उपदेश देते हैं। कुम्भ मेले के समय यहाँ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है, जिसमें कथाएं, प्रवचन और भजन-कीर्तन शामिल होते हैं।

महा कुम्भ (Maha Kumbh Mela)

naga sadhu in maha kumbh mela 2025
Credit: Live times

महा कुम्भ मेला एक ऐसा विशिष्ट आयोजन है जो 144 वर्षों में सिर्फ एक बार ही आयोजित होता है और इसीलिए इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। महा कुम्भ मेला केवल प्रयागराज में आयोजित होता है और क्यूंकि यह एक ऐसा आयोजन है जो कई बार कुछ लोगों को जीवन में बस एक बार ही आता है इसीलिए इसमें भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ों में होती है। महा कुम्भ के समय धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और स्नान के साथ-साथ विश्वभर से विद्वान, संत और योगी यहाँ एकत्र होते हैं और अपने ज्ञान का आदान-प्रदान करते हैं।

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कुम्भ मेले का महत्त्व (Importance of Kumbh Mela)

कुम्भ मेला धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक तीनो दृष्टिकोणों से बड़ा ही महत्वपूर्ण है न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस मेले में भारतीय संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं का जीवंत उदाहरण देखने को मिलता है। इस मेले में भारत की विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का संगम भी देखने को मिलता है।

कुम्भ मेला एक ऐसा आयोजन है जिसमें श्रद्धालू पवित्र नदियों में डुबकियां लगाके अपने पापों का प्रश्स्यित करने आते हैं इसके अलावा, यह मेला व्यापार और पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।