महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि वह त्यौहार है जो कि महादेव शिव को समर्पित है। यह त्यौहार हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार फाल्गुन महीने कि कृष्ण पक्ष की चतुर्दर्शी को मनाया जाता है। भक्त जन इस दिन विशेष रूप से भगवान् शिव को प्रस्सन करने के लिए उपवास करते हैं।
इस दिन कई भक्त जन महादेव का रुद्राभिषेक भी करते हैं।
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महाशिवरात्रि मनाने के पीछे की पौराणिक कथा
महाशिवरात्रि मनाए जाने के पीछे कई पौराणकि कथाएं हैं उनमे से कुछ इस प्रकार हैं
शिव पार्वती विवाह
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एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव एवं हिमालय पुत्री पार्वती का विवाह हुआ था और इसी कारण से शिव के भक्त जन इस दिन को बड़ी धूमधाम से शिव बारात निकालते हैं।
समुद्र मंथन और कालकूट विष
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एक अन्य कथा के अनुसार एक समय की बात है जब देवताओं ने और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर को मथना शुरू किआ तब उसमें से कालकूट नाम का एक हलाहल विष निकला। तब महादेव ने सृष्टि का विनाश होने से बचाने के लिए उस विष को अपने स्वयं पी लिया और अपने कंठ में धारण कर लिया जिस कारण उनका गला नीले रंग का हो गया और तब से ही महादेव शिव को सब नीलकंठ के नाम से भी जानने लगे। कहते हैं कि शिव ने जिस दिन वह विष पिया था आज उसी दिन उनके भक्तजन उनके बलिदान को याद करने के लिए महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं।
यदि आप भगवान शिव के सभी अवतारों के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारा ये लेख पढ़ें।
शिवलिंग के प्रकट होने की कथा
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स्कंद पुराण एवं शिव पुराण के अनुसार एक बार श्री हरी विष्णु एवं ब्रह्मा जी में विवाद होने लगा कि दोनों में से कोन श्रेष्ट एवं ज्यादा पूजनीय है तभी वहां उनके विवाद को शांत करने के लिए एक ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ। अपनी महानता सिद्ध करने के लिए भगवान विष्णु ने उसकी गहराई तक पहुँचने का प्रयास किया जबकि ब्रह्मा ने उसकी ऊंचाई को मापने की कोशिश की जब कई वर्षों के प्रयास के बाद भी दोनों असफल रहे तब उस लिंग में से भगवान शिव प्रकट हुए और बताया कि वे ही सृष्टि के आदिकाल से हैं और सभी देवताओं के पूजनीय हैं। इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि पूजा की विधि इस प्रकार है:
उपवास रखें – इस दिन भक्त सुबह जल्दी स्नान करके उपवास रखने का प्रण लेते हैं।
जल और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें – इसके बाद भक्त अपने पास के शिव मंदिरों में जाकर भगवान शिव को जल, दूध, शहद, गंगाजल, दही, घी आदि से स्नान कराते हैं।
बिल्व पत्र चढ़ाएं – भक्तजन शिवलिंग पर बिल्व पत्र एवं धतूरे का फल भी अर्पित करते हैं। भगवान शिव इतने भोले हैं कि वह कांटे लगे हुए फल भी प्रस्सनता के साथ ग्रहण करते हैं।
धूप-दीप जलाएं – इसके बाद अपने घर आकर अपने घर के मंदिर में शिवलिंग या शिव जी की तस्वीर के सामने दीप जलाकर धूप अर्पित करें।
मंत्र जाप करें – “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
रात्रि जागरण करें – रातभर भजन-कीर्तन करें और शिव कथा सुनें।