Chhath Puja 2024: छठ पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मइया की आराधना के लिए समर्पित होता है। छठ पूजा चार दिनों तक चलती है और इसमें व्रत, उपवास, तथा संध्या और उषा अर्घ्य देने की परंपरा प्रमुख होती है। यहां हम विस्तार से जानेंगे कि छठ पूजा में अर्घ्य कैसे दिया जाता है और पारण विधि कैसे की जाती है।
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छठ पूजा में अर्घ्य देने का महत्व
अर्घ्य का अर्थ है जल अर्पित करना। छठ पूजा में अर्घ्य सूर्य देव को अर्पित किया जाता है क्योंकि सूर्य को ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि का स्रोत माना जाता है। छठ पूजा के दौरान, संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को अर्घ्य) और उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को अर्घ्य) दिया जाता है। ये अर्घ्य व्रती (व्रत रखने वाले) के जीवन में सुख, शांति और स्वास्थ्य की कामना के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
संध्या अर्घ्य विधि
संध्या अर्घ्य छठ पूजा के तीसरे दिन दिया जाता है। यह अर्घ्य सूर्यास्त के समय दिया जाता है और इसका प्रमुख उद्देश्य सूर्य देव का स्वागत करना होता है।
- सामग्री: बांस की टोकरी, नारियल, फल, गन्ना, ठेकुआ, चावल के लड्डू, दीपक, सूप, दूध और गंगाजल।
- प्रक्रिया:
- व्रती अपनी पूजा सामग्री लेकर नदी, तालाब या जलाशय के किनारे जाते हैं।
- जल में खड़े होकर सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। अर्घ्य देने के लिए सूप में नारियल और अन्य पूजा सामग्री रखी जाती है।
- गंगाजल और दूध को एक साथ मिलाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
- साथ में पारंपरिक छठ गीत गाए जाते हैं, जिससे पूजा का वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
उषा अर्घ्य विधि
उषा अर्घ्य छठ पूजा के चौथे और अंतिम दिन दिया जाता है। इसे उगते सूर्य को अर्पित किया जाता है, जो जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक है।
- सामग्री: संध्या अर्घ्य के समान ही।
- प्रक्रिया:
- व्रती सूर्योदय से पहले ही जलाशय पर पहुंच जाते हैं।
- जल में खड़े होकर उगते सूर्य की प्रतीक्षा करते हैं और जैसे ही सूर्य की पहली किरण दिखाई देती है, व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।
- अर्घ्य अर्पित करने के बाद परिवार के सदस्यों का आशीर्वाद लिया जाता है।
Chhath Puja 2024 पारण विधि
उषा अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण किया जाता है, जो छठ पूजा का समापन होता है।
- प्रक्रिया:
- व्रती गंगाजल और प्रसाद के रूप में प्राप्त ठेकुआ और अन्य फल खाकर व्रत का पारण करते हैं।
- पारण के दौरान परिवार और करीबी रिश्तेदार व्रती के पास रहते हैं और पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं।
निष्कर्ष: छठ पूजा में संध्या और उषा अर्घ्य देने की प्रक्रिया केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और सूर्य देव के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करने का एक विशेष तरीका है। पारण विधि व्रत की समाप्ति का संकेत देती है, जो व्रती के लिए एक सुखद और आत्मिक अनुभव होता है।
हर घर पूजा की शुद्ध धूप बत्तियां अवश्य उपयोग करके देखें।