अक्षय तृतीया 2025 की पूजा विधि – सम्पूर्ण मार्गदर्शिका

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अक्षय तृतीया जिसे ‘अखा तीज’ के नाम से भी जाना जाता है इस दिन को हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी दिन माना जाता है। यह दिन न केवल दान-पुण्य और खरीदारी के लिए शुभ है, बल्कि भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, और कुबेर की पूजा से अक्षय (अक्षय का अर्थ: जो कभी समाप्त न हो) फल प्राप्त करने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे अक्षय तृतीया की पारंपरिक पूजा विधि (Akshaya Tritiya Puja Vidhi), जिसमें पूजा की तैयारी से लेकर प्रसाद ग्रहण करने तक के हर चरण को शामिल किया गया है।

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(Akshaya Tritiya Puja Vidhi) अक्षय तृतीया की पारंपरिक पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें
    • अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
  • पूजा स्थल की शुद्धि
    • जहाँ आप पूजा करना चाहते हैं, उस स्थान को पहले पानी में गंगाजल मिलाकर साफ करें।
  • पूजा स्थल की सजावट
    • पुराने समय में तो गोबर से लिपाई की जाती थी, आज के समय में आप पूजा के स्थान को हल्दी, गेरू या रोली से लिप सकते हैं।
    • इसके बाद आटे से चौक बनाएं और चौक के मध्य में स्वस्तिक बनाएं।
  • पूजा में प्रयोग होने वाले पात्र
    • एक बड़ा मिट्टी का लोटा लें। इस लौटे को पूजा समाप्ति के बाद दान किया जाएगा क्यूंकि इस दिन भरा हुआ लोटा दान करने का माहात्म्य है।
    • चार छोटे लोटे और लें। ये मिट्टी, तांबे या पीतल के हो सकते हैं। इन लोटों को दान नहीं किआ जाएगा।
    • हिन्दू धर्म में पूजा करते समय लोटे को कभी भी ऐसे ही नहीं रखा जाता इसलिए पहले सभी लोटो पर मौली या कलावा बांध लें।
  • चौक पर लोटों की स्थापना
    • बीच वाले बड़े लोटे को स्वस्तिक के ऊपर रखें। यद् रखें पूजा में किसी भी वस्तु या पदार्थ को सीधे जमीं पर नहीं रखा जाएगा इसलिए स्वस्तिक के ऊपर अक्षत रखके उसके ऊपर बड़ा लोटा रखें।
    • बाकी चार लोटों को चौक के चारों कोनों पर रखें। याद रहे इनके लिए भी चौक में कोनो पर चावल का सिंहासन दें
    • सभी लोटों में जल भर दें।
  • मूर्तियों की स्थापना
    • भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, और कुबेर जी की मूर्तियाँ या चित्र स्थापित करें। जहाँ भी मूर्ति या चित्र स्थापित कर रहे हैं वहां अक्षत का सिंघासन दे।
    • यदि ये उपलब्ध न हों, तो लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ भी पूज्य होती हैं।
    • इसके बाद मूर्तियों पर रोली या चन्दन से टीका करें। चंदन का तिलक विशेष रूप से ग्रीष्म ऋतु में शीतलता प्रदान करता है।
  • भगवान को फूल अर्पित करें
    • पूजा में ताजे और सुगंधित फूल भगवान को अर्पित करें। विशेष रूप से कमल, मोगरा, गुलाब या चमेली के फूल पवित्र माने जाते हैं।
    • फूल अर्पण करते समय भक्ति भाव से ‘ओम् श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः’ आदि मंत्रों का उच्चारण करें।
  • पूजा की सामग्री
    • सभी लोटों में चने की दाल डालें।
    • बड़े लोटे में थोड़ी कम दाल डालें (क्योंकि यह दान होगा)।
    • बाक़ी चार लोटों की डाली गई दाल प्रसाद के रूप में प्रयोग होगी।
  • स्वर्ण/चांदी की खरीद
    • जो भी नए गहने, सिक्के या आभूषण आपने अक्षय तृतीया के लिए खरीदे हों, उन पर भी तिलक करें।
  • लड्डू गोपाल की विशेष पूजा
    • यदि आप लड्डू गोपाल की पूजा करते हैं, तो उन्हें चंदन का लेप लगाएं। इस दिन वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भगवान के चरण दर्शन होते हैं — इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • ऋतु फल और भोग अर्पण
    • सभी लोटों पर मौसमी फल जैसे आम, खीरा, खरबूजा आदि चढ़ाएं।
    • घर में जो भी पकवान बने हों, उन्हें भगवान को अर्पित करें।
  • अक्षय तृतीया व्रत कथा श्रवण
    • भगवान की पूजा के पश्चात अक्षय तृतीया की कथा का श्रवण करें। इससे पूजा पूर्ण मानी जाती है।

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  • आरती और दीप दान
    • विष्णु जी, लक्ष्मी माता और गणेश जी की आरती करें।
    • दीपक और धूप-बत्ती दिखाकर पूजा का समापन करें।
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Credit: HarGharPuja

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  • पूजा समापन के बाद फूलों का विसर्जन
    • जो फूल आपने भगवान को अर्पित किए हैं, उन्हें पूजा के बाद गमलों या पौधों में डाल दें। इससे पर्यावरण संतुलन बना रहता है और पूजा की पवित्रता बनी रहती है। फूलों को फेंकने के बजाय धरती माता को अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है।
  • क्षमा प्रार्थना और आशीर्वाद
    • पूजा के अंत में भगवान से अपनी भूलों के लिए क्षमा माँगें और अक्षय फल, धन-धान्य, और कृपा की प्रार्थना करें।
  • दान और प्रसाद वितरण
    • बड़े लोटे में जो भी सामग्री है — पानी, दाल, फल — उसे दान करें।
    • चार लोटों की सामग्री को प्रसाद के रूप में अपने घर में रखें।
    • पानी को पौधों में डालें।
    • दाल को पका कर खाएं।
    • फल भी परिवार संग ग्रहण करें।