Skanda Sashti: स्कंद षष्ठी का व्रत क्यों करती हैं महिलाएं? जानिए इसका महत्व और पूजा विधि

हिंदू मान्यता के अनुसार स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti) का व्रत करना बेहद फलदाई माना जाता है। स्कंद षष्ठी का व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को करने वाली महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय (Kartikey) की पूजा करती हैं, जिन्हें स्कंद (Skand ) के नाम से भी जाना जाताहै। वहीं इस वर्ष स्कंद षष्ठी के दिन रवि योग बन रहा है, जिसमें सूर्य का प्रभाव अधिक होता है और जिससे सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं। बता दें भगवान कार्तिकेय को स्कंद, कुमार, सुब्रह्मण्य, मुरूगन आदि नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दोष, रोग, काम, क्रोध, लोभ, मद आदि खत्म हो जाते हैं।

स्कंद षष्ठी का दिन क्यों है महत्वपूर्ण?

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार स्कंद षष्ठी के दिन ही कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। कार्तिकेय भगवान के पूजन से जीवन में आपको खुशहाली और तरक्की मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत करने से क्रोध, मोह, अहंकार और काम से मुक्ति मिलती है। मान्यता है अनुसार, भगवान विष्णु ने माया मोह में पड़े नारद जी का इसी दिन उद्धार करते हुए लोभ से उन्हें मुक्ति दिलाई थी। इसी वजह से इस दिन भगवान कार्तिकेय के साथ भगवान श्री हरि विष्णु जी के पूजन का भी विशेष महत्व है। इस व्रत का पालन करने से निः संतानों को संतान की प्राप्ति और सफलता सुख समृद्धि भी प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से दरिद्रता दुख का निवारण होता है और जीवन में धन ऐश्वर्य मिलता है

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व

स्कंद देव माता पार्वती और जगत पिता शिव के पुत्र और भगवान गणेश के भाई हैं। हिंदू धर्म में भगवान कार्तिकेय की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना मात्र करने से जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि को ही भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। आपको बता दें कि भगवान कार्तिकेय को देवताओं के सेनापति के रूप में भी जाना जाता है

🛍️ Save Big! Use code DHAROHAR15 to get 15% OFF on your purchase — Limited Time Only!
Shop & Save Now

स्कंद षष्ठी पूजा विधि क्या है?

स्कंद षष्ठी तिथि पर व्रत करने वाली महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद पूजा कक्ष पर या पूजा के स्थान पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। भगवान कार्तिकेय के साथ उनकी माता मां पार्वती और पिता महादेव की पूजा जरूर करें। इसके पश्चात भगवान कार्तिकेय को पुष्प, चंदन, धूप, नैवेद्य, दीप आदि चढ़ाएं। इसके बाद भगवान कार्तिकेय को फल मिठाई वस्त्र भी अर्पित करें। मान्यता के अनुसार, भगवान कार्तिकेय को मोर पंख बेहद प्रिय हैं, इसलिए आप उन्हें पूजा के दौरान मोर पंख भी अर्पित करें।

स्कंद षष्ठी के लिए मंत्र

‘ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कन्दा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।’
⁠’ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात’।