दीपावली का पर्व 5 दिनों का होता है और इसकी शुरुआत होती है धनतेरस से और इसका समापन होता है भाई दूज के दिन। धनतेरस का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवान धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान धन्वंतरि की पूजा उपासना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति ऊर्जावान रहता है।
इस वर्ष धनतेरस को लेकर बहुत असमंजस की स्थिति बनी हुई है, कुछ लोगों का कहना है कि धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा तो कुछ लोग 30 अक्टूबर को यह पर्व मनाएंगे इसलिए आज हम आपको धनतेरस की सही तिथि के बारे में बताने जा रहे हैं।
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धनतेरस का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस वजह से इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से जाना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार भी माना जाता है।
इस शुभ दिन पर भगवान धन्वंतरि के साथ विष्णु प्रिया माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर की पूजा का विधान है। भगवान धन्वंतरि जब समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे, उनके हाथ में अमृत कलश होने की वजह से इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा बड़े लम्बे समय से चलती हुई आ रही है।
धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू, धनिया आदि खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने से धन में कई गुणा वृद्धि होती है। इसी के साथ साथ कई जन इस दिन वाहनों एवं जमीन, प्लॉट अथवा प्रॉपर्टी आदि की खरीददारी करना भी शुभ मानते हैं। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला धन और दूसरा तेरस, जिसका अर्थ है कि धन का तेरह गुणा। क्यूंकि भगवान धन्वंतरि वैद्य एवं आयुर्वेद चिकित्सा के भी जनक थे इसी कारण इस दिन को वैद्य समाज धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाता है।
कब है Dhanteras 2024 का पर्व?
त्रयोदशी तिथि का आरंभ – 29 अक्टूबर, सुबह 10 बजकर 31 मिनट से
त्रयोदशी तिथि का समापन – 30 अक्टूबर, दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक
उदया तिथि के अनुसार, धनतेरस का पर्व दिन मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
29 अक्टूबर को गोधूलि काल शाम 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस की पूजा के लिए आपको 1 घंटा 42 मिनट का समय मिलेगा।
धनतेरस पूजा विधि
- धनतेरस के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान से निवृत होकर घर के मंदिर अथवा पूजा स्थल में जाएं और उत्तर दिशा की तरफ एक चौकी रख लें और उस पर लाल कपड़ा बिछा लें।
- इसके पश्च्यात लाल कपडे पर गंगाजल से छिड़काव करके उसे शुद्ध कर लें और कुबेर देव की प्रतिमा या मूर्ति की स्थापित करें। कुबेर देव के साथ भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की तस्वीर अथवा मूर्तियां भी स्थापित करें।
- इसके पश्च्यात देसी घी का दिया जलाकर, धुप बत्ती एवं अगरबत्ती जलाकर पूजा प्रारम्भ करें। पूजा के दौरान सभी स्थापित देवी देवताओं को मोली अर्पित करें, फिर रोली अक्षत, पान का पत्ता, मिठाई, फल, फूल आदि चीजें भी अर्पित करें। साथ ही आप एक चांदी का सिक्का और नारियल भी अवश्य अर्पित करें करें।
- इसके बाद भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें, भगवान कुबेर की घी के दीपक से आरती उतारें। शाम के समय मेन गेट और आंगन में दीपक भी जलाएं क्योंकि इस दिन दीपावली के पर्व की शुरुआत होती है।
धनतेरस न केवल धन और समृद्धि की पूजा का त्योहार है, बल्कि यह परिवार और समाज में खुशहाली और सेहतमंद जीवन की कामना का प्रतीक भी है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा कर, हम संपन्नता के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। परंपराओं और उत्सवों का यह पर्व हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने और हर क्षण का आदर करने का संदेश देता है।