कुछ ही दिनों में पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव त्योहार की शुरुआत होने वाली है, जिसे लेकर बाजारों में अभी से रौनक देखने को मिल रही हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम, राक्षस राजा रावण को हराने के बाद अयोध्या के अपने राज्य में वापस लौटे थे। भगवान राम जब अयोध्या नगरी वापस आए, तो उनके आने की खुशी में अयोध्या में दीप जला कर उनका स्वागत किया गया। उसके बाद से ही दीपावली (Dipawali) का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाने लगा। दीपोत्सव के दिन 5 दिनों के त्यौहार की शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस (Dhanteras) को हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग सोना चांदी झाड़ू और नए बर्तन की खरीदारी कर उनकी पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीपावली से पहले ही धनतेरस (Dhanteras) क्यों मनाया जाता है? चलिए आपको बताते हैं कि धनतेरस मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई…
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धनतेरस मनाने की शुरुआत
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और यमराज की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म शास्त्र की बात करें तो उसके अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि (Dhanwantri) अमृत कलश लेकर उत्पन्न हुए थे। इस वजह से तिथि को धनतेरस या धन त्रयोदशी तिथि के रूप में जाना जाने लगा।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस पर्व पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के रोगों और कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। यह अवसर पूरे भारत में बहुत भव्यता और समारोह के साथ मनाया जाता है।
धनतेरस के दिन किसकी पूजा की जाती है?
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि जिन्हें श्री हरि विष्णु भगवान का अंश माना जाता है उनकी पूजा की जाती है। भगवान धन्वंतरि ने पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार किया था। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के अलावा माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमराज की पूजा भी की जाती है और इस दिन से ही दीपावली के शुभ पर्व की शुरुआत हो जाती है।
धनतेरस शब्द का अर्थ
धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला धन और दूसरा तेरस जिसका अर्थ होता है धन का 13 गुना होना। भारतीय संस्कृति में मनुष्य के सेहत को ही सबसे बड़ा धन माना गया है। इसके साथ ही इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि के बाद दो दिनों के बाद मां लक्ष्मी समुद्र से प्रकट हुईं, इसलिए धनतेरस के दो दिन बाद दिवाली का पर्व मां लक्ष्मी की पूजा कर मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य सुख की प्राप्ति भी होती है।
धनतेरस के दिन क्या खरीदें?
धनतेरस के दिन घर पर नई चीज लाने का चलन है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर नई चीज घर पर लाई जाए तो वह शुभ माना जाता है। धनतेरस पर लोग सोना-चांदी नए बर्तन और गहने खरीदना पसंद करते हैं। इस दिन लोग नए बर्तन खरीद कर मां लक्ष्मी को चढ़ाते हैं। जिससे घर में सुख समृद्धि का वास होता है। इस दिन सोना चांदी नए बर्तन और नई वस्तुएं खरीदना बेहद ही शुभ माना जाता है।
इन चीजों को धनतेरस पर न खरीदें
इस अवसर पर लोगों को कैंची, चाकू और पिन जैसी नुकीली चीज़ें खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना परिवार के लिए दुर्भाग्य लाने वाला माना जाता है।
ज्योतिषियों का कहना है कि लोगों को लोहे से बनी चीजें भी नहीं खरीदनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन लोहे से बनी चीजें खरीदना अशुभ माना जाता है और धन के देवता कुबेर की कृपा नहीं होती है। ज्योतिषियों का ये भी कहना है कि इस दिन काले रंग की कोई भी चीज नहीं खरीदनी चाहिए।
धनतेरस 2024 पूजा विधि इस प्रकार है-
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
2. घर की सफाई करें, सफाई के दौरान पूजा कक्ष पर विशेष ध्यान दें।
3. अपने घर को अंदर और बाहर से सजाएं।
4. पूजा के समय भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की मूर्ति स्थापित करें।
5. पूजा करने के लिए देसी घी का दीया जलाएं, तिलक लगाएं, माला चढ़ाएं और उन्हें मिठाई खिलाएं।
6. पूजा करने के लिए आपको शुभ मुहूर्त में कोई वस्तु खरीदकर मूर्ति के सामने रखनी चाहिए। फिर उसे तिलक लगाएं और घर के सभी सदस्य मिलकर पूजा करें