सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) हिंदू त्योहारों में से एक है, जो विवाहित महिलाओं के द्वारा रखा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार सौभाग्य पंचमी विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस त्यौहार में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना और सुख समृद्धि बने रहने के लिए व्रत का पालन करती है। सौभाग्य पंचमी का व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह त्यौहार विवाहित महिलाओं के लिए क्या महत्व रखता है? आइए जानते हैं।
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सौभाग्य पंचमी का महत्व
सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी का त्यौहार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस त्यौहार पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करने के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। यह व्रत का पालन करने से उनके पति के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन कोई भी नया व्यापार शुरू करना बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सौभाग्य पंचमी के दिन की गई पूजा से लोगों को जीवन, व्यापार और परिवार में लाभ और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्यापारी बैंक में नए खाते खुलवाते हैं और व्यापार में वृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं।
इस दिन कई स्थानों पर मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है और पूजा समारोह में भाग लेने वाले भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। मान्यताओं के अनुसार, सौभाग्य पंचमी का व्रत व्यक्ति को उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने में मदद करता है।
सौभाग्य पंचमी पूजा विधि
सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए होता है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लेना चाहिए और उसके बाद साफ सुथरे कपड़े पहनकर पूजा करने वाले स्थान पर एक चौकी या आसन लगाना चाहिए। शाम के समय भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित कर मूर्ति पर फूल, फल अर्पित कर, दिया जलाना चाहिए। उसके बाद चंदन, हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाकर अक्षत और पंचामृत चढ़ाकर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की आरती करें। साथ ही पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करें