हिंदू धर्म या सनातन धर्म में माँ लक्ष्मी (Lakshmi Mata) को विशेष स्थान प्राप्त है। लक्ष्मी जी जगत के पालनकर्ता विष्णु जी की पत्नी हैं और रत्नाकर अर्थात समुद्र की बेटी हैं। लक्ष्मी जी का वास समुद्र में होने के कारण ही उन्हें समुद्र मंथन करके समुद्र से बहार लाया गया और फिर उनका विवाह विष्णु जी के साथ हुआ। लक्ष्मी जी धन, ऐश्वर्य, सौंदर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। लक्ष्मी जी केवल बाहरी धन की प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे एक ऐसे जीवन का प्रतिनिधित्व करती हैं जहाँ संतुलन, प्रेम, करुणा, और संतोष उपस्थित हो।
यदि आप लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो केवल दान-पुण्य या पूजा-अर्चना करने से ही लक्ष्मी जी प्रस्सन नहीं होंगी बल्कि आपको अपनी जीवनशैली में कुछ विशेष नियमों का पालन भी करना होगा। आइए जानते हैं “लक्ष्मी के 12 नियम” जो आपके जीवन में धन और दिव्यता को आकर्षित कर सकते हैं:
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अपने शब्दों पर ध्यान दें
अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा कहते रहते हैं “मेरे पास पैसा नहीं है”, “मैं गरीब हूँ”, “मेरे पास तो पैसे बचते ही नहीं हैं” तो आप अभाव की ऊर्जा को ही आमंत्रित कर रहे हैं। लक्ष्मी अभिव्यक्ति (manifestation) की देवी हैं और इसी लिए आवश्यक है कि आप ऐसे शब्द बोले जीसे आभाव नहीं बल्कि आभार और समृद्धि का भाव उत्पन्न हो जैसे कि “मेरे पास पर्याप्त है”, “मैं समृद्ध हूँ”, “भगवान ने इतना दिया है तो और भी देगा”।
स्वच्छता
लक्ष्मी जी का वास हमेशा साफ़ सुधरी जगह पर ही होता है इसलिए यदि आपका घर या आप स्वयं शरीर से गंदे या अव्यवस्थित और अस्त-व्यस्त रहते हैं तो लक्ष्मी का आना कठिन हो जाता है। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि आप अपने घर, शरीर, वस्त्र, यहाँ तक कि अपने वाहन – सबकी सफाई रखें। याद रखिये साफ-सुथरे वातावरण में ही दिव्यता वास करती है।
सौंदर्य और सजावट

आपने जितने भी देवी देवता हैं यहाँ तक कि स्वयं लक्ष्मी जी को गहने धारण करते हुए देखा होगा, सुन्दर वस्त्र पेहेनते हुए देखा होगा। इसलिए यदि आप भी लक्ष्मी जी को बुलाना चाहते हैं तो सिर्फ सफाई ही नहीं, घर और शरीर की सुंदरता भी आवश्यक है। अपने घर को सुंदर बनाएं, अपने देखा होगा कि पुराने समय में भले ही लोग गाय के गोबर से घर की दीवारों को लीपते थे लेकिन तब भी दीवारों पर चित्र या आकृतियां बनाते थे इसलिए आप भी अच्छे वस्त्र पहनें, सुंदर विचार रखें। सौंदर्य बाहरी ही नहीं, आंतरिक भी होना चाहिए – विचारों में भी सुंदरता लाएं।
घर को सुन्दर बनाने के लिए आवश्यक है कि आपका घर और पूजा का स्थान अच्छी खुसबू के साथ महके और इसके लिए ज़रूरी है कि आप शुद्ध पूजा में ही इस्तेमाल किए हुए फूलों से बनी सुगन्धित धुप और अगरबती इस्तेमाल करें, अगर आप भी सुगन्धित धुप या अगरबत्ती खरीदना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
लक्ष्मी (Lakshmi Mata) का चंचल स्वभाव
लक्ष्मी की एक विशेषता है और वह यह है कि लक्ष्मी चंचल हैं। आज आपके पास है कल नहीं होगी। इसी प्रकार आज किसी के पास नहीं है लेकिन कल होगी। इसलिए जो भी धन आज आपके पास है उसका आनंद लें। धन से खुदकी ज़रूरतें ही नहीं शोक भी पुरे करें और ऐसे ही अपने धन में से कुछ हिस्सा जरूरतमंदों को भी खुशी-खुशी दें। कभी भी खर्च करते समय अपराधबोध न रखें। धन का प्रयोग सुख के लिए करें, और उसका प्रवाह बनाए रखें।
आत्म-सम्मान और आत्म-प्रेम
हम अधिकतर दूसरों की सेवा में स्वयं को भूल जाते हैं। लेकिन यह भी समझना आवश्यक है कि लक्ष्मी जी उसी के पास आती हैं जो उन्हें धारण करने के लिए सामर्थवान होता है इसलिए जब तक आप स्वयं को सम्मान नहीं देंगे, स्वयं को शाबाशी नहीं देंगे, स्वयं को योग्य नहीं मानेंगे, लक्ष्मी नहीं टिकेगी। इसलिए कहें – “मैं इस समृद्धि के योग्य हूँ”।
करुणा
धन केवल रखने के लिए नहीं है क्यूंकि रखे रखे धन में कभी भी वृद्धि नहीं होती। धन तो बांटने के लिए है इसलिए आपके धन से जितना ज्यादा हो सके दान पुण्य करें। धन को गलत कामो में न लगाएं। अगर आपके पास पैसा नहीं है, तो मुस्कान, प्रेम, या ज्ञान बाँटिए क्यूंकि करुणा से भरा हृदय लक्ष्मी को बहुत प्रिय होता है।
उत्कृष्टता (Excellence)
लक्ष्मी तब आती हैं जब आप अपने काम में पूर्ण समर्पण और गुणवत्ता रखते या दिखाते हैं। काम चाहे घर सँभालने का हो या व्यवसाय सँभालने का, उस काम को कभी भी आधे मन से न करें। काम छोटा हो या बड़ा सच्चे मन से, श्रेष्ठता के साथ करें। सस्ता और दिखावा न करें याद रखें उत्कृष्टता में ही सच्ची समृद्धि है।
गुणन और विस्तार
प्रकृति में सब कुछ विस्तार और गुणन में है – पेड़, नदियाँ, तारे। आप जो भी करें, उसे ऐसे रूप में करें कि उसका प्रभाव बढ़े, उसका प्रसार हो। अपने कार्यों में ऐसी ऊर्जा डालें जो उसे अनेक गुना बना सके।
धन का कर्म
अगर आप किसी की मेहनत की कमाई रोकते हैं, कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं देते, या उधार चुकता नहीं करते, तो लक्ष्मी की कृपा नहीं टिकती। जो सेवा कर रहा है, उसे उसका मूल्य पूरे सम्मान से दें। जिस प्रकार आप लक्ष्मी की चाह में है वैसे ही और लोग भी हैं, अपनी लक्ष्मी बढ़ाने के लिए दूसरों की लक्ष्मी पर बुरी नज़र न रखें।
संतुलन
व्यक्ति को उसके जीवन में संतुलन बनाना आना चाहिए। यदि आपके पास धन आए तो धन के साथ अहंकार नहीं आना चाहिए इसी प्रकार जब धन चला जाए तो डर या हीनभावना नहीं आनी चाहिए । जीवन के हर स्तर पर संतुलन बनाए रखें। अधिक धन भी तभी सुंदर है जब उसमें विनम्रता और संयम हो।
सततता
लक्ष्मी उन पर कृपा करती हैं जो अपनी दिनचर्या और जीवनशैली में नियमितता लाते हैं। अधूरे कार्य, आधे-अधूरे प्रयास – ये सब लक्ष्मी को दूर कर देते हैं। सतत अभ्यास और ध्यान आवश्यक है।
श्रद्धा और विश्वास
लक्ष्मी तब आती हैं जब आपके भीतर विश्वास होता है – अपने ऊपर, अपने कर्म पर और ईश्वर पर। बिना श्रद्धा के किया गया कोई प्रयास पूर्ण नहीं होता। इसलिए अपने जीवन में श्रद्धा को स्थान दें।
याद रखिए, माँ लक्ष्मी (Lakshmi Mata) को केवल भौतिक वस्तुओं से आकर्षित नहीं किया जा सकता इसलिए अगर आप ये सोच रहे हैं कि घर में अच्छा मंदिर बनाने से या भगवान के सामने अच्छा भोग रख देने से वो खुश हो जाएंगे तो आप गलत हैं। भगवान या लक्ष्मी को प्रस्सन करने के नियम आध्यात्मिक और मानसिक अनुशासन की माँग करते हैं। यदि आप इन 12 नियमों को अपने जीवन में उतार लें – अपने विचारों, कार्यों, और भावनाओं में – तो न केवल भौतिक धन, बल्कि सुख, संतोष, और संतुलन भी सहज रूप से प्राप्त होगा।