रामायण में श्रीराम की वानर सेना: प्रमुख योद्धा और उनकी अद्भुत शक्तियाँ

ram ji ki vanar sena nal neel ram setu

रामायण हमें धर्मों का मूल्यों का पाठ पढ़ाती है। रामायण से जहाँ हमको ये पता लगता है कि किस प्रकार इतना शक्तिशाली होने के बाद भी उन्होंने चुपचाप अपने पिता की बात मान ली जब राजा दशरथ को उन्हें १४ वर्ष के लिए वनवास देने को मजबूर होना पड़ा। वहीं हमे यह भी समझ आता है कि एक स्त्री जिसे आप विवाह कर लाए हैं उसकी रक्षा की जिम्मेदारी भी आपकी ही होती है।

जब माता सीता का हरण हो गया तो राम जी कैसे पेड़ों से, पत्तो से, आकाश से पशुओं से पूछने लगे कि क्या किसीने उनकी भार्या सीता को देखा है। कैसे वो कहने लगे कि बिना सीता के मैं किस मुँह से वापिस लोट के अयोध्या को जाऊंगा।

और यही नहीं जब राम जी को पता लगा कि उनकी पत्नी का हरण राकक्षों के राजा रावण ने किआ है जो कि अति बलशाली है, जिससे कि देवताओं के राजा इंद्र भी भयभीत रहते हैं तब भी श्री राम उसको चुनौती देने से, उसके साथ युद्ध करने से पीछे नहीं हट किन्तु भगवान श्री राम ने रावण की एवं रावण की सेना के साथ अकेले युद्ध नहीं किया, श्री राम का इस युद्ध में बराबर साथ दिया वानर सेना ने।

तो आइये इस लेख में जानते हैं इसी वानर सेना के बारे में (Ram Ji ki Vanar Sena)।

क्या वानर बन्दर थे

अब इस बात पर हमेश विवाद बना ही रहता है कि क्या राम जी के सेना में जो वानर थे वो बन्दर ही थे या कोई और थे। अगर हम इस शब्द को देखें वानर तो ये दो शब्दों की संधि से बना है “वा” एवं “नर” जिसमें वा का तात्पर्य वन से है और नर का मतलब है इंसान से। तो अगर हम इस तथ्य से समझने का प्रयास करें तो हमें समझ आएगा कि वानर असल में बन्दर नहीं थे अपितु ऐसे मनुष्य थे जो कि वन में रहते थे।

अब ये बड़ा स्वाभाविक भी है, आज भी कुछ लोग जंगलों में ही रहते हैं और हम लोग उन्हें आदिवासी कहके बुलाते हैं जबकि वो भी हमारी तरह मनुष्य ही हैं , इसी प्रकार पुराने समय या यूँ कहिए रामायण काल में इन्हीं जगलों में रहने वाले मनुष्यों को वानर कहा जाता था।

अब चलिए इस इस लेख में हम जानते हैं–
श्रीराम की वानर सेना में कौन-कौन से प्रमुख योद्धा थे (Ram ki sena ke pramukh vanar) और उनकी क्या विशेषताएँ थीं,

हनुमान जी

hanuman ji
Credit: Freepik

इनका जन्म से नाम मारुती था और जब इंद्र ने अपने वज्र से इनपर वार किया और इनके हनु (ठुड्डी) पर चोट लग गई तब इनका नाम हनुमान पड़ा। इसी घटना के बाद इंद्र के आशीर्वाद से ही इनका नाम वज्र अंग बलि पड़ा जो कि समय के साथ बजरंगबली हो गया। हनुमान जी को अष्ट सिद्धियाँ प्राप्त थीं जिससे वे अपने आकर को बड़ा छोटा कर सकते थे और वे अत्यंत तेज़गति से आकाश मार्ग में चल सकते थे।

  • हनुमान जी ही राम लक्ष्मण को अपने कंधे पर बिठाकर आकाश मार्ग से रिशयिमुरक पर्वत पर लेकर आए थे जहाँ राम लक्ष्मण की भेंट सुग्रीव से हुई।
  • हनुमान जी ही समुद्र को पार करके लंका नगरी में पहुंचे थे और उन्होंने ही माता सीता की खोज करके ये पता लगाया था कि वो रावण की अशोक वाटिका में कैद हैं।
  • हनुमान जी ने ही रावण की अशोक वाटिका उजाड़ी थी और रावण के पुत्र अक्ष कुमार का वध किया था।
  • हनुमान जी ने ही रावण की सोने की लंका का दहन किया था।
  • हनुमान जी ने नाग पाश से और अहिरावण से राम और लक्ष्मण के प्राण बचाए थे।
  • हनुमान जी ही अपनी सिद्धिओं की वजह से एक ही रात में संजीवनी पर्वत ले आए थे जिससे कि लक्ष्मण के प्राण बच सके।

सुग्रीव

sugriva and bali fighting
Credit: The world of Indian Mythology

सुग्रीव वानरों की सेना के राजा थे। सुग्रीव ने राम की सहायता से अपने बड़े भाई बालि का वध किया था और अपनी पत्नी को उसकी कैद से आजाद कराया था। राम द्वारा इस सहायता के बदले ही सुग्रीव ने अपनी वानर सेना को सीता माता की खोज में भेजा था।
सुग्रीव को भूगोल में भी बहुत महारथ प्राप्त थी और उन्होंने वानर सेना को बताया था कि उन्हें किस दिशा में कहा कहा नहीं जाना।
युद्ध में उन्होंने कई राक्षसों से वीरता से युद्ध किया और कई योद्धाओं का वध किया। एक बार तो रावण को देखकर सुग्रीव अपना गुस्सा रोक नहीं पाए और रावण से द्वन्द युद्ध करने लग गए थे।

अंगद

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Credit: Tales of Sanatan

अंगद श्रीराम के प्रमुख योद्धाओं में थे, जिन्होंने युद्ध में अपनी बहादुरी से राक्षसों को कांपने पर मजबूर किया। अंगद बालि के पुत्र थे और वानरों के राजा सुग्रीव के भतीजे। बड़े कमाल की बात ये है कि अंगद के पिता बालि ने अंगद की देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी व्यक्ति को दे दी जिसने उसके पिता कि मृत्यु करवाई थी और अंगद ने भी बिना किसी प्रतिशोध की भावना से अपने पिता के वचन को माना।

अंगद श्री राम का दूत बनकर लंका की सभा में गए और एक ऐसी सभा में जहां एक से एक बड़ा महारथी बैठा था उस सभा में भी अंगद ने रावण को बिना डरे बताया कि उसने क्या गलत किया है और क्यों उसे श्री राम की पत्नी सम्मान पूर्वक लौटा देनी चाहिए। जब रावण ने अंगद का मज़ाक बनाया तो अंगद ने अपनी शक्ति और श्री राम की शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए अपना पैर रावण की सभा में गाढ़ दिया और सबको ये खुली चुनौती दे दी कि उस सभा में से कोई भी उनका पैर हिला दे तो वे ये वचन देते हैं कि श्री राम अपनी सेना लेकर वापिस लौट जाएंगे।

अंगद भी इतने बलशाली थे कि स्वयं रावण भी उनका पैर हिला नहीं पाया था।

नल और नील

nal neel ram setu
Credit: News18 Hindi

नल और नील दो वानर योद्धा थे जिन्हें माना जाता है कि वो विश्वकर्मा के पुत्र थे। एक कहानी ऐसी भी है कि एक ऋषि ने उन्हें श्राप दिया था कि उनके द्वारा पानी में फैके गए पत्थर पानी में डूबेंगे नहीं अपितु तैरेंगे।
नल नीर ने इसी का लाभ उठाते हुए समुद्र के ऊपर पत्थरों का एक सेतु बना दिया और इसी सेतु के कारन श्री राम की समस्त सेना समुद्र पार करके लंका जा पाई।

जांबवंत

jambvant
Credit: Jagran

जांबवंत एक ऋक्ष (भालू) योद्धा थे, जिन्होंने श्रीराम के पूर्व अवतार वामन को भी देखा था। वानर सेना से पहले वो सुग्रीव के मंत्री थे और सुग्रीव को सही गलत का सुझाव देते थे। उन्होंने ही हनुमान जी को उनकी शक्तियों की याद दिलाई थी जिससे कि हनुमान जी समुद्र पर करके लंका जा पाए। युद्ध में उन्होंने विशाल राक्षसों का वध किया और राम जी की विभीषण के साथ रणनीति में सहायता की। इन्होने विष्णु भगवान का अगला अवतार अर्थात कृष्ण अवतार भी देखा था और इनकी पुत्री का विवाह द्वापर युग में श्री कृष्ण के साथ हुआ था।

शरभ, गवय, गज, शतबलि, पनस, महाबल, धूमकेतु आदि

इन सभी वानरों ने भी युद्ध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और युद्ध के कई मोर्चो पर राकक्षों का सामना किया और वध किया।