नवरात्रि के दिनों में भक्तों द्वारा गाए जाने वाले महिषासुर मर्दिनी गीत का एक श्लोक कुछ इस प्रकार है,
अयि जगदम्बमदम्बकदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते। शिखरिशिरोमणि तुङ्गहिमालय शृंगनिजालय मध्यगते।।
मधुमधुरे मधुकैटभगन्जिनि कैटभभंजिनि रासरते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।।
अर्थ: हे जगतमाता,मेरी मां, प्रेम से कदम्ब के वन में वास करने वाली, हास्य भाव में रहने वाली, हिमालय के शिखर पर स्थित अपने भवन में विराजित, मधु (शहद) की तरह मधुर, मधु-कैटभ का मद नष्ट करने वाली, रास विलास में मगन रहने वाली, ये शैल पुत्री माता महिषासुर मर्दिनी मैं आपको प्रणाम करता हूं।
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हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व उत्कर्ष का प्रतीक है। नवरात्रि का त्योहार हमें देवी मां उपासना के लिए प्रेरित करता है। भारतीय पर्व और त्योहारों में नवरात्र पर्व का अत्यधिक महत्व माना गया है। नवरात्रि पर अधिकांश सनातनी व्रत, उपवास एवं अनुष्ठान करते हैं।
प्रतीक्षा रहती है कि कब नवरात्र आए और साधना-अनुष्ठान के माध्यम से मनोवांछित फल प्राप्त कर सकें।
इन 9 दिनों में हिंदू धर्मावलंबी मां दुर्गा के नौ स्वरुपों का विधिवत पूजन अर्चना करते हैं। प्रथम दिन मां शैलपुत्री, द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी, चतुर्थ मां चंद्रघंटा, पंचम स्कंद माता, षष्टम मां कात्यायनी, सप्तम मां कालरात्रि, अष्टम मां महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है।
नवरात्रि का त्योहार हमें साधना के मार्ग की ओर ले जाता है। इन दिनों में जो साधक आदि शक्ति का जप-तप और ध्यान करता है उसे मनवांछित फल प्राप्त होता है।
नवरात्रि के प्रत्येक दिवस का महत्व
नवरात्रि जीवन में ज्ञान का प्रकाश लेकर आती है। यह पर्व अज्ञानता का नाश कर हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। यह त्योहार आत्मशक्ति को पहचान ने का अवसर प्रदान करता है। नवरात्रि हमें अध्यात्म के मार्ग पर लगाती है।
हमारी चेतना के अंदर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण- तीनों प्रकार के गुण व्याप्त हैं। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते है। इन 9 दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है।
नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की रौनक और धार्मिक रीति-रिवाज हर सनातनी घरों में देखने को मिल जाएगी है। हिंदू धर्म में नवरात्र का काफी महत्व है। इन नौ दिन लोग शक्ति की पूजा-आराधना करते हैं।
24 घंटे माता रानी की भक्ति-पूजा का उत्साह वो भी लगातार 9 दिनों तक। कभी भजन गाये जाते है, तो कभी पूरे परिवार के सदस्य माता रानी की आरती करता हुआ दिखाई देता है। रात्रि के समय जगराता या गरबा की धूम इस पर्व को और भी अधिक खास बना देती है।
इस त्योहार को हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह से उत्साह के साथ मनाया जाता है। साथ ही इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ लोग इसे दुर्गा पूजा के रूप में जानते हैं, तो कुछ काली पूजा के रूप में मां भक्ति में रंगे हुए दिखाई देते हैं।
नवरात्रि का अर्थ
नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें।” इन नौ रातों की गिनती अमावस्या के अगले दिन से की जाती है। यह देवी के लिए एक विशेष समय है, जो ईश्वर की स्त्री प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती है। दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को स्त्री के तीन आयामों के रूप में देखा जाता है।
जो भक्त ताकत या शक्ति की आकांक्षा रखते हैं, वे पृथ्वी माता, दुर्गा या काली जैसे नारी के रूपों की पूजा करते हैं। जो लोग धन-धान्य, जुनून या भौतिक उपहार की इच्छा रखते हैं, वे लक्ष्मी या सूर्य की पूजा करते हैं।
वहीं, जो लोग ज्ञान, विघटन या नश्वर शरीर की सीमाओं के पार जाने की आकांक्षा रखते हैं, वे सरस्वती या चंद्रमा की पूजन अवश्य करते हैं।
इन रात्रियों में ग्रहों के अद्भुत योग के कारण ब्रह्मांड दिव्य ऊर्जाओं से भर जाता है। नवरात्रि में यज्ञ, भजन, पूजन, मंत्र जप, ध्यान, त्राटक आदि साधनाएं की जाती है। संयमित जीवन जीकर उपवास आदि रखकर आत्मशुद्धि की जाती है।
मां की आराधना का यह त्योहार जीवन को सदी दिशा देने में सबसे महत्वपूर्ण पर्व कहा जा सकता है। अगर आप भी माता रानी की उपासना करना चाहते हैं तो इस वार की नवरात्रि पर उनका पूजन भक्ति अनुष्ठान और उपवास आदि धामिक क्रियाएं जरूर करें आपका जीवन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाएगा।