Karwa Chauth 2024: जानिए करवा चौथ व्रत की पूजन विधि क्या है और इसका महत्व

हिन्दू सनातन धर्म में सुहागिनों के लिए करवा चौथ (Karwa Chauth) का त्योहार महत्वपूर्ण माना गया है। इस पर्व पर महिलाएं साज श्रृंगार कर अपने पति की लंबे उम्र की कामना के लिए पूजा और व्रत का पालन करती हैं। इस व्रत को स्त्रियां अपना पतिव्रत धर्म मानकर पूरा करती हैं। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। इस वजह से इसे करक चतुर्थी व्रत (Karak Chaturthi Vrat) के नाम से भी जाना जाता है। करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat) अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग मान्यताओं के आधार पर रखा जाता है, हालांकि उनकी मान्यताओं में थोड़ा बहुत ही फर्क होता है।

करवा चौथ व्रत में सरगी का महत्व

करवा चौथ के व्रत में सरगी का खास महत्व है। व्रत की शुरुआत सरगी खाने के बाद होती है। इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इस सरगी के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है। व्रत शुरू होने से पहले सास अपनी बहू को सरगी का देती है। अगर सास न हो तो ऐसी परिस्थिति में घर की कोई भी बड़ी महिला सरगी दे सकती है। एक त्यौहार भारत के उत्तरी भागों में व्यापक रूप से मनाया जाता है।

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करवा चौथ व्रत करने की विधि

करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लेना चाहिए। व्रत की शुरुआत सरगी खाने के बाद होती है, इसके बाद ही निर्जल व्रत रखने का नियम है। व्रत रखने वाली महिलाएं अपनी सास जेठानी या किसी दूसरी महिला से करवा चौथ की व्रत कथा सुनें। यह कथा सुनते समय सुहागिन महिलाएं एक पटरा या चौकी पर जल से भरा लोटा और थाली में रोली, गेहूं, चावल से भरा हुआ मिट्टी का करवा ढक्कन अपने पास रखें। साथ ही बायने के लिए 13 करवे रोली से सतीया लगाकर भी रख लें। कथा सुनने के बाद 7 बार करवे की अदला-बदली करें। यह पूरी क्रिया होने के बाद लोटे का जल और गेहूं के 13 दानों को चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए अलग रखें. रात में जब चांद का दीदार हो जाए तो चांद को अर्घ्य देकर पति की पूजा कर भोजन ग्रहण करें। महिलाएं छलनी से चांद और अपने पति के चेहरे को देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं।

भूलकर भी ये न करें करवाचौथ का व्रत

करवा चौथ (Karwa Chauth) में महिलाएं खूब बढ़-चढ़कर साज श्रृंगार, पूजा अर्चना का ध्यान रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं शिव- शक्ति, भगवान गणेश और स्वामी कार्तिकेय की पूजा अर्चना करती हैं। इस व्रत को करने का अधिकार केवल सौभाग्यवती महिलाओं को ही है। विधवा (Widow) और कुंवारी लड़कियों को यह व्रत नहीं रखना चाहिए। कुंवारी लड़कियों को तो भूल से भी यह व्रत नहीं करना चाहिए।

करवा चौथ पूजा सामाग्री

करवा चौथ (Karwa Chauth) की पूजा करने के लिए महिलाओं को मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन पान, सींक, कलश, अक्षत, चंदन, फल पीली मिट्टी, फूल ,हल्दी, देसी घी, कच्चा दूध, दही, लकड़ी का आसान, हल्दी, शक्कर का बूरा, शहद, मौली, रोली, मिठाई, चलनी या चालनी इन सामग्रियों की आवश्यकता होती है।

करवा चौथ की आरती

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।

यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।

दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।

गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।

व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।