मेहंदी या हिना हिंदू संस्कृति में खुशी, सुंदरता और पवित्रता का प्रतीक है। लॉसनिया इनर्मिस (Lawsonia inermis) झाड़ी कुल के पौधे की पत्तियों को सुखाने के बाद पीसकर बारीक पाउडर बना लिया जाता है।
जबकि, मेहंदी की ताजी पत्तियों को पीसकर हरे रंग का गीला पेस्ट बनाया जाता है। जिसका स्वरूप केक जैसा होता है। इस पेस्ट को शरीर के किसी भी अंग पर लगाने से लाल या काले रंग की खूबसूरत डिजाइन बनाई जा सकती है।
मेहंदी से हथेलियों और पैरों पर जटिल डिजाइन बनाकर प्राकृतिक रंग की खूबसूरत छाप बनाई जा सकती है। यही गुण मेहंदी को इसकी विशिष्ट उपस्थिति देता है। ‘मेहंदी’ संस्कृत शब्द “मेंहदिका” का समानार्थी है, जो इसके मूल सार और महत्व को दर्शाता है।
मेहंदी कॉस्मेटिक और उपचारात्मक उद्देश्य के लिए उगाई जाने वाली फसल है। मेहंदी के जड़ से लेकर बीज तक, इस पौधे के सभी अंगों का महत्वपूर्ण चिकित्सीय लाभ रखते हैं। दिलचस्प बात यह है कि, इस रंगद्रव्य को लगाने पर स्किन को कूलिंग इफेक्ट भी मिलता है।
स्किन को कूलिंग देने के इसी गुण के कारण, मेहंदी को राहत और सुकून देने वाली कॉस्मेटिक कलरिंग क्रीम माना जाता है। स्थायी टैटू का आसान विकल्प होने के साथ ही जीरो साइड इफेक्ट या बिना किसी दर्द के इसका प्रयोग किया जा सकता है। यही कारण है कि, मेहंदी नवविवाहित जोड़ों में सकारात्मक कंपन और शुभ उपहारों का आह्वान करती है।
मेहंदी की शरीर को सुंदर बनाने की क्षमता के अलावा, आयुर्वेद द्वारा बताए गए औषधीय गुण भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। परंपरागत रूप से, इसका उपयोग खुजली, एलर्जी, चकत्ते और घावों जैसी त्वचा की कई समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है।
मेहंदी के रोगाणुरोधी और सूजनरोधी गुण इसे शरीर को राहत प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं। दूसरी बात, मेहंदी बालों की बीमारियों के लिए भी रामबाण है। इसका प्राकृतिक रंग, बालों की रीग्रोथ को बढ़ाने वाला, बालों के लिए कंडीशनर और उन्हें चमकदार बनाने का भी काम करती है।
मेहंदी का चलन कब शुरू हुआ, ये तय किया जा सकता है। लेकिन, समाज में इसकी व्यापक स्वीकृति ने इसके प्रयोग की विभिन्न विधियों और डिजाइनों के विकास को जन्म दिया है, जो अब सदियों पुरानी बहुत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को कवर करते हैं।
आयुर्वेद, मेहंदी के “रोपना” उपचार गुणों और इसकी ‘सीता’ यानि शीतल करने की क्षमता के बारे में बताता है। जब मेहंदी को बालों पर लगाया जाता है, तो ये आॅयली बालों की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। जबकि, अपने कसैले और सुखाने वाले गुणों के माध्यम से रूसी से लड़ने में मदद करता है।
निस्संदेह, मेहंदी जो भारतीय शादियों की गहरी सांस्कृतिक अवधारणा को दर्शाती है, विवाह संस्कारों में सबसे पुरानी परंपराओं में से एक है। दुल्हन के हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाने की परंपरा भारतीय विवाह अनुष्ठानों में शुभकामनाओं का प्रतीक है।
ऐसा कहा जाता है कि दुल्हन के दोनों अंगों पर मेहंदी लगाने से शीतलता और सुखदायक प्रभाव पैदा होता है जो दुल्हन को उसकी शादी के दिन शांत करने में मदद करता है, इसलिए विवाह से जुड़ी मेहंदी की रस्म का उद्देश्य बेहतर लगता है।
मेहंदी धुलने के बाद भी मेहंदी का रंग और ज्यादा गहरा होता है। जो, लोक कथाओं के अनुसार, दूल्हा और दुल्हन के बीच बढ़ते रिश्ते को दर्शाता है। मेहंदी केवल शादी की रस्म का हिस्सा ही नहीं है, बल्कि विवाहित महिलाएं इसे शादी के बाद के त्योहारों जैसे करवा चौथ और तीज पर भी लगवाती हैं।
इसके अलावा, यह न केवल औषधीय उपयोग करता है बल्कि इसे सकारात्मकता और धन का प्रतीक भी माना जाता है, जो नव-विवाहित जोड़े के लिए समृद्धि लाता है और उनके बीच विश्वास को फिर से जगाता है।