कैसे मिलता है पितरों का आशीर्वाद: पितृपक्ष में उनके लिए किए गए अनुष्ठानों का महत्व

पितृ दोष का निवारण करने के लिए पितृपक्ष में पिंड दान करना अति आवश्यक माना जाता है।

पितृपक्ष हिन्दू धर्म में पूर्वजों को सम्मानित करने का विशेष समय होता है। इस अवधि के दौरान हमारे पूर्वजों की आत्माओं के लिए तर्पण, पिंड दान और श्राद्ध जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। यह माना जाता है कि इस दौरान पितरों की कृपा प्राप्त होती है, जो परिवार के लिए शुभता और समृद्धि लेकर आती है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सही विधि और भक्ति भाव से किए गए अनुष्ठानों का पालन आवश्यक है।

पितृपक्ष में पितरों का आशीर्वाद क्यों महत्वपूर्ण है?

पितरों का आशीर्वाद व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ प्रदान कर सकता है। माना जाता है कि जब पितर प्रसन्न होते हैं, तो वे परिवार पर अपनी कृपा और आशीर्वाद बरसाते हैं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इसके विपरीत, अगर पितर नाराज़ होते हैं, तो व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है, जिससे जीवन में अड़चनें, बीमारियाँ, और आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

पितरों का आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें?

पितृपक्ष में एक पुत्र एक नदी किनारे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करता हुआ।
Credit: HarGharPuja
  1. तर्पण करना
    तर्पण का अर्थ है पवित्र जल अर्पित करना। पितृपक्ष के दौरान पवित्र नदी या कुंड में पितरों के लिए जल अर्पण किया जाता है। तर्पण से पितर तृप्त होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
    • तर्पण के दौरान “ॐ पितृभ्यो नमः” मंत्र का जाप किया जा सकता है।
  2. श्राद्ध और पिंड दान
    श्राद्ध में ब्राह्मणों या योग्य व्यक्तियों को भोजन और दक्षिणा देकर पितरों की तृप्ति की जाती है। साथ ही, पिंड दान (जिसमें चावल, तिल, और जल से बने पिंड अर्पित किए जाते हैं) भी पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।
    • पिंड दान के समय “ॐ श्री पितृभ्यो स्वधायिभ्यो नमः” मंत्र का उच्चारण लाभकारी माना जाता है।
  3. कौवे और गाय को भोजन कराना
    पितरों का प्रतीक माना जाने वाला कौवा भी इस दौरान विशेष ध्यान रखता है। कौवे को भोजन कराना, जैसे कि चावल और पिंड, पितरों की प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, गायों को भी इस दौरान विशेष भोजन अर्पित किया जाता है।
  4. दान करना
    पितृपक्ष में वस्त्र, अनाज, फल, और धन का दान ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को करना पितरों की प्रसन्नता का मार्ग है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से पितर संतुष्ट होकर अपना आशीर्वाद देते हैं, जिससे परिवार की उन्नति होती है।
  5. व्रत और पूजा
    पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए व्रत रखना और उनके लिए विशेष पूजा करना भी आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस दिन पितरों के नाम से हवन और पूजा करने से उनकी आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है और वे परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं।

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पितरों की शांति के लिए मंत्र

पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए कुछ महत्वपूर्ण मंत्रों का जाप किया जाता है, जैसे:

  • “ॐ श्री पितृभ्यो नमः”
  • “ॐ पितृमातृभ्यां नमः”

पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के फायदे

पितृपक्ष में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद साथ में बैठके भोजन पाता हुआ एक परिवार
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  • परिवार में शांति और सद्भाव बना रहता है।
  • स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • परिवार में संतान सुख और उनके जीवन में उन्नति होती है।
  • पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, जिससे जीवन की कठिनाइयाँ कम हो जाती हैं।

पितृपक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान के माध्यम से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। यह हमें न केवल आध्यात्मिक रूप से लाभ प्रदान करता है, बल्कि जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान के साथ किए गए अनुष्ठान निश्चित रूप से परिवार की उन्नति और सुख-शांति का कारण बनते हैं।