पितृ पक्ष में तर्पण कैसे करें और कोनसे मंत्रो का जप करें

पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय है, जब हम अपने पूर्वजों की आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हैं, उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, और उनकी आत्माओं को शांति और मुक्ति प्रदान करने का प्रयास करते हैं। इस समय के दौरान सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक तर्पण है, जिसमें जल, तिल, जौ और अन्य पवित्र वस्तुओं का उपयोग करके पितरों को अर्पित किया जाता है।

यहां बताया गया है कि पितृ पक्ष में तर्पण कैसे करें, तर्पण के लिए विभिन्न मंत्र, और पितरों को शांति और मोक्ष प्राप्त करने के उपाय।

पितृ पक्ष में तर्पण कैसे करें

पितृ पक्ष में एक पुत्र एक नदी किनारे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करता हुआ।
Credit: HarGharPuja
  1. तैयारी:
    • प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ, सफेद वस्त्र पहनें।
    • आवश्यक सामग्री जुटाएं: तिल, जौ, गंगाजल, कुशा घास, और एक स्वच्छ तांबे या चांदी का पात्र।
    • तर्पण करने के लिए किसी नदी, तालाब या किसी पवित्र जल स्रोत के पास एक स्वच्छ और शांत स्थान चुनें।
  2. अनुष्ठान की प्रक्रिया:
    • दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें: एक आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें, क्योंकि इसे पितरों की दिशा माना जाता है।
    • आवाहन: देवताओं और पितरों का आवाहन करें। भगवान विष्णु की प्रार्थना करें, जो ब्रह्मांड के रक्षक हैं, अनुष्ठान के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
    • जल अर्पित करें: अपनी हथेली में जल लें, उसमें तिल और जौ के कुछ दाने मिलाएं, और इसे पितरों को अर्पित करते हुए जमीन पर या एक छोटे बर्तन में डालें। इस प्रक्रिया के दौरान तर्पण मंत्रों का उच्चारण करें।
    • मंत्रों का उच्चारण: पूरे भक्ति भाव के साथ तर्पण मंत्रों का उच्चारण करें। नीचे कुछ सामान्य तर्पण मंत्र दिए गए हैं।

तर्पण के लिए मंत्र

पितृ पक्ष में एक सनातनी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मंत्र जाप करता हुआ।
Credit: HarGharPuja
  1. सर्वपितृ तर्पण मंत्र:
    “ॐ सर्वपितृभ्यः सर्वयज्ञात्मभ्यः सर्वस्वधाभ्यः नमः।”
  2. देवों के लिए अर्पण:
    “ॐ देवतारूपाय विद्महे महाशक्तिरूपाय धीमहि। तन्नो देवा प्रचोदयात्।”
  3. ऋषियों के लिए अर्पण:
    “ॐ ॠषिभ्यो नमः। ॐ आचार्याय नमः। ॐ पुरोहिताय नमः।”
  4. पितरों के लिए अर्पण:
    “ॐ पितृरूपाय विद्महे महातमोरूपाय धीमहि। तन्नः पितरः प्रचोदयात्।”

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पितरों की शांति और मुक्ति के उपाय

पिंड दान करना भी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए।
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  1. पिंडदान:
    • इस अनुष्ठान में चावल, तिल और घी से बने पिंड (गेंद) पितरों को अर्पित किए जाते हैं। यह माना जाता है कि पिंडदान पितरों की आत्माओं को पोषण प्रदान करता है, जिससे उन्हें शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।
  2. गरीबों और कौवों को भोजन कराना:
    • पितृ पक्ष के दौरान गरीबों को भोजन कराना और कौवों को अन्न खिलाना पितरों को संतुष्ट करने का एक तरीका माना जाता है। कौवे पितरों के प्रतिनिधि माने जाते हैं।
  3. दान और दान-पुण्य:
    • पितृ पक्ष में वस्त्र, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान करने से पितरों को शांति मिलती है।
  4. धार्मिक ग्रंथों का पाठ:
    • गरुड़ पुराण, भगवद गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ पितृ पक्ष के दौरान करना पितरों की आत्माओं को शांति प्रदान करता है।
  5. श्राद्ध अनुष्ठान:
    • श्राद्ध अनुष्ठान में ब्राह्मणों को भोजन अर्पित करना और तर्पण करना शामिल होता है, जो पितरों को प्रसन्न करता है। यह अनुष्ठान पारंपरिक रूप से उस तिथि पर किया जाता है जो पितर की मृत्यु की तिथि के अनुरूप होती है।

पितृ पक्ष में तर्पण करना हमारे पूर्वजों को कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है जिससे हम उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और उनकी आत्माओं की शांति और मोक्ष प्राप्ति में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। तर्पण के साथ-साथ पिंडदान, दान-पुण्य, और गरीबों को भोजन कराना हमारे पितरों को शांति और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है। इन अनुष्ठानों को सच्चे मन और भक्ति के साथ करने से पितृ दोष के प्रभावों को कम किया जा सकता है, जिससे हमारे जीवन में समृद्धि, सद्भाव, और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।