Gopasthami Puja: हिंदू धर्म में गोपाष्टमी त्यौहार को एक शुभ त्योहार माना जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ-साथ गौ माता की भी पूजा की जाती है। यह त्यौहार मुख्य रूप से मथुरा और वृंदावन के साथ-साथ सभी ब्रज क्षेत्र में बड़े ही भक्ति भावनाओं के साथ मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार गोपाष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गोपाष्टमी के दिन कठोर व्रत का पालन करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। इस साल गोपाष्टमी का पर्व 9 नवंबर, दिन शनिवार यानी आज मनाया जा रहा है।
गोपाष्टमी के दिन क्यों करें गाय की पूजा?
गाय को हिंदू संस्कृति में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। गाय को गौ माता भी कहा जाता है, और हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। जिस प्रकार एक माता अपनी संतान को हर सुख समृद्धि देना चाहती है, उसी प्रकार गाय माता उनकी सेवा करने वाले लोगों को अपने कोमल दिल में स्थान देती हैं और उनकी सारी मनोकामना पूरी करती हैं। हिंदू मान्यता अनुसार यह भी कहा जाता है कि गोपाष्टमी के दिन गाय की सेवा करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी भी कोई संकट नहीं आता। पौराणिक कथाओं में भी यह व्याख्या है कि किस तरह भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल लीलाओं में गौ माता की सेवा भी की है।
गोपाष्टमी त्यौहार का धार्मिक महत्व
हिंदू और सनातन धर्म में अगर गोपाष्टमी त्यौहार के धार्मिक महत्व की बात की जाए तो इस पर्व का अपना एक विशेष महत्व है। यह दिन गोकुल, मथुरा, वृंदावन, बृज, पुरी और द्वारिका में बड़े ही श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त बड़े ही श्रद्धा भाव से श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। मान्यता अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन विष्णु जी और श्री कृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि और शांति आती है। वहीं, इस दिन पर लोग गायों और बछड़ों को रंगीन कपड़ों और घंटियों से सजाते हैं और उनकी सेवा करते हैं।
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गोपाष्टमी की पूजा विधि
इस दिन पूजा करने वाले भक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर नहाकर अपने द्वारा गाय और उनके बछड़ों को नहलाया और तैयार किया जाता है। उसके बाद गाय और बछड़ों का श्रृंगार भी किया जाता है। उनके पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं, आभूषण पहनाएं जाते हैं और गले में घंटी भी बांधी जाती है। गौ माता के सिंघो पर चुनरी भी बांधी जाती है। गौ माता को तैयार करने के बाद उनके चरणों को स्पर्श करना चाहिए। इसके बाद गौ माता की परिक्रमा कर उन्हें चराने के लिए बाहर ले जाया जाता है। इस दिन अगर ग्वालो को दान देते हैं तो यह बेहद शुभ होता है। वहीं, इस दिन कई जगह पर ग्वालो को नए कपड़े भी दिए जाते हैं और उनका तिलक भी किया जाता है। शाम के समय जब गौ माता घर वापस आती हैं तो उनकी पूजा की जाती है। इसके बाद उन्हें भोजन कराया जाता है। इस दिन गौ माता को विशेष कर हरा चारा, हरा मटर और गुड़ खिलाया जाता है। इस दिन कई लोग श्री कृष्ण की पूजा अर्चना कर उनके भजन भी गाते हैं। अगर किसी के घर पर गाय नहीं है तो वह गौशाला जाकर भी गौ माता की पूजा कर सकते हैं। गौशाला में भी गाय को खाना खिलाकर सामान दान किया जा सकता है।
गोपाष्टमी के दिन न करें ये काम
इस दिन पूजा करने वालों को सुबह जल्दी उठना चाहिए उनको गोपाष्टमी त्यौहार के दिन तामसिक भोजन और पेय पदार्थ से परहेज करना चाहिए। इस दिन बछड़ों और गायों को भूलकर भी अपमानित न करें। गाय और बछड़ों की पूजा कर उनका तिलक करें और उन्हें हरा चारा खिलाएं। इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा करें। इस दिन गाय को गुड़ ,फल, हरा चारा, मटर आदि ही खिलाएं। इस दिन दान पुण्य अवश्य करें। इस दिन किसी से भी लड़ाई करने से बचे। गौ माता और श्री कृष्ण से आशीर्वाद अवश्य लें।