हरतालिका तीज पूजा क्यों मनाई जाती है
हरतालिका तीज एक प्रमुख व्रत और त्योहार है, जिसे विवाहित और अविवाहित महिलाएँ वैवाहिक सुख, परिवार की समृद्धि और पति की दीर्घायु के लिए करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन माँ पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। इसी कारण इस दिन महिलाएँ उपवास रखकर, पूजन और कथा सुनकर, दांपत्य जीवन की खुशहाली और परिवार के कल्याण की कामना करती हैं।
पूजा के 5 चरण
- चरण 1: पूजा स्थल की स्थापना – पूजा का स्थान और सामग्री को पवित्र कर सजाना।
- चरण 2: कथा से पहले की तैयारी – अभिषेक, वस्त्र, तिलक और श्रृंगार अर्पित करना।
- चरण 3: व्रत कथा – श्रृंगार अर्पण के बाद व्रत कथा का पाठ।
- चरण 4: आरती और हवन – आरती और हवन से वातावरण शुद्ध करना।
- चरण 5: पूजा का समापन – क्षमा प्रार्थना, आशीर्वाद, चंद्रमा को अर्घ्य और प्रसाद वितरण।
चरण 1: पूजा स्थल की स्थापना
- स्वयं और स्थान की सफाई करें
सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ पारंपरिक वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल की कुछ बूँदें छिड़ककर शुद्ध करें। - आसन और मूर्तियाँ स्थापित करें
एक छोटी मेज या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ। फूलों की पंखुड़ियों और अक्षत छिड़कें। फिर थाली में शिव, पार्वती और गणेश जी की मूर्तियाँ या शिव परिवार की तस्वीर रखें। मूर्तियाँ न हों तो मिट्टी/रेत से छोटे प्रतीक बना सकते हैं। - कलश और दीपक स्थापना
एक साफ जगह पर अक्षत और फूल छिड़कें। वहाँ जल से भरा कलश रखें और उसमें सिक्का, लौंग, इलायची, सुपारी और फूल डालें। ऊपर आम के पत्ते रखें। कलश पर रोली से तिलक करें और पास में घी का दीपक रखें। दीपक और धूपबत्ती जलाकर पवित्र वातावरण बनाएं।
चरण 2: कथा से पहले की तैयारी
- जल अभिषेक करें
दीपक जलाकर मूर्तियों या तस्वीरों पर गंगाजल (या साफ पानी) छिड़कें। फिर दूध छिड़कें और उसके बाद पुनः पानी छिड़कें। यह घर पर अभिषेक का सरल तरीका है। - चाँद अर्घ्य के लिए जल अलग रखें
पूजा की शुरुआत में ही एक छोटे लोटे में जल भरकर अलग रख दें। इसे रात में चंद्रमा को अर्पित किया जाएगा। - वस्त्र, तिलक और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें
अभिषेक के बाद, मौली का टुकड़ा प्रत्येक देवता पर चढ़ाएँ (नए वस्त्र का प्रतीक)। रोली तिलक और अक्षत लगाएँ। फिर फूल, फल और प्रसाद चढ़ाएँ (भीगे हुए चने विशेष रूप से अर्पित करें)।
चरण 3: व्रत कथा
- माँ पार्वती को श्रृंगार अर्पित करें
पूजा पेटी में दी गई श्रृंगार सामग्री एक-एक करके माँ पार्वती को अर्पित करें। फिर माँ पार्वती को सिंदूर लगाएँ — 1, 3 या 5 बार। ध्यान रखें, उतनी ही बार आपको अंत में अपने माथे पर सिंदूर लगाना होगा। - व्रत कथा का पाठ
हाथ में भीगे हुए चने लेकर व्रत कथा पढ़ें (या सुनें)। कथा पूरी होने पर चनों को प्रसाद के साथ रख दें।
चरण 4: आरती और हवन
- आरती करें
थाली में अक्षत छिड़कें, रोली से छोटा स्वस्तिक बनाएँ। उसमें कपूर से भरा धातु का दीपक रखकर जलाएँ और थाली को घड़ी की दिशा में घुमाते हुए शिव आरती करें। - हवन करें
आरती के बाद छोटा हवन करें। हवन पात्र (कप) का प्रयोग करें या छोटा हवन कुंड बनाकर कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें। हवन सामग्री और थोड़ी-सी प्रसाद अग्नि में अर्पित करें।
चरण 5: पूजा और अर्घ्य का समापन
- क्षमा याचना और आशीर्वाद लें
हाथ जोड़कर पूजा में हुई किसी भूल के लिए क्षमा माँगें। परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें। - माँ पार्वती से सिंदूर लें
आँचल या चुन्नी से माँ पार्वती को लगाए गए सिंदूर को स्पर्श कर माथे पर लगाएँ। ऐसा उतनी ही बार करें जितनी बार आपने माँ पार्वती को सिंदूर अर्पित किया था। - चाँद को अर्घ्य दें
रात में चाँद निकलने पर अलग रखा हुआ जल लें। आँचल या चुन्नी पर जल डालते हुए अर्घ्य दें। उसी स्थान पर घूमकर यह प्रक्रिया 3, 5 या 7 बार दोहराएँ। - पूजा का समापन और प्रसाद वितरण
अगली सुबह स्नान करें, धूपबत्ती जलाकर छोटी पूजा करें और फिर सेटअप हटाएँ। प्रसाद परिवार में बाँटें।