नवरात्री का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रघंटा माँ दुर्गा का विवाहित रूप है। कहते हैं कि विवाह के बाद माता ने शिव जी के माथे का आधा चद्रमा अपने मस्तक पर सजाना शुरू कर दिया था और इसी कारन से उनका नाम चंद्रघंटा भी पड़ा। यदि आप भी तीसरे दिन माता को प्रस्सन करने के लिए उनका व्रत कर रहे हैं तो उनकी आरती भी जान लीजिए जिससे कि आप आरती गाकर माँ की विशेष कृपा प्राप्त कर सकें।
माँ चंद्रघंटा आरती (Maa Chandraghanta Aarti)
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।
चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।
हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।
श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी॥
मंत्र
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥