नवरात्रि व्रत के नियम और पूजा विधि

नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा का ध्यान करते उनके भक्त गण

नवरात्रि हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसे पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस नौ दिन के पर्व में भक्त मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा और उपासना करते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। व्रत और पूजा विधि का सही पालन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। इस लेख में हम नवरात्रि व्रत के नियम और पूजा विधि की पूरी जानकारी देंगे।

नवरात्रि व्रत के नियम

नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा का ध्यान करती एक सनातनी महिला
Credit: HarGharPuja
  1. शुद्धता और पवित्रता:
    • व्रत रखने से पहले शरीर और मन की शुद्धता का ध्यान रखें।
    • प्रातः स्नान करें और साफ कपड़े पहनें, विशेष रूप से सफेद या लाल रंग का कपड़ा, जो नवरात्रि के दौरान शुभ माना जाता है।
  2. सात्विक भोजन:
    • व्रत के दौरान केवल सात्विक भोजन का सेवन करें।
    • प्याज, लहसुन और मांसाहार से परहेज करें। कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना और फल प्रमुख व्रत के आहार होते हैं।
    • साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करें।
  3. व्रत के प्रकार:
    • पूर्ण व्रत: इसमें पूरे दिन केवल पानी का सेवन किया जाता है। कुछ भक्त पूरे नौ दिन का कठोर व्रत रखते हैं।
    • आंशिक व्रत: इसमें फल, दूध और साधारण सात्विक भोजन का सेवन दिन में एक या दो बार किया जाता है।
    • एकादशी व्रत: कुछ भक्त अष्टमी या नवमी को व्रत रखते हैं, जो व्रत का समापन दिन माना जाता है।
  4. नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहें:
    • व्रत के दौरान क्रोध, वाद-विवाद और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।
    • मानसिक शांति बनाए रखें और धार्मिक गतिविधियों में संलग्न रहें, जैसे मंत्र जाप या पवित्र ग्रंथों का पाठ।
  5. नियमित प्रार्थना:
    • व्रत के दौरान दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें।
    • मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और उपासना करें, जैसे मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा आदि।

नवरात्रि पूजा विधि (पूजा करने के नियम)

नवरात्रि के पर्व पर स्थापित एक कलश
Credit: HarGharPuja
  1. कलश स्थापना:
    • नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करें, जो देवत्व का प्रतीक होता है।
    • तांबे या पीतल का कलश लें, उसमें शुद्ध जल या गंगाजल भरें और उसके मुख पर पांच आम के पत्ते रखें।
    • नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर या मौली बांधकर कलश के ऊपर रखें।
  2. मां दुर्गा का आवाहन:
    • पूरे नौ दिन अखंड ज्योति (दीपक) जलाकर रखें, जो घर में दिव्यता और शक्ति का प्रतीक है।
    • दुर्गा मंत्र का जाप करते हुए मां दुर्गा का अपने घर में स्वागत करें।
    • देवी को फूल, अक्षत, हल्दी और कुमकुम अर्पित करें।
  3. भोग अर्पण:
    • मां को सात्विक भोजन जैसे फल, मिठाइयाँ (लड्डू, खीर) और साधारण भोजन अर्पित करें।
    • भोग अर्पण के बाद प्रसाद के रूप में इसे परिवार और भक्तों में वितरित करें।
  4. चुनरी और श्रृंगार:
    • रोजाना या विशेष रूप से अष्टमी और नवमी के दिन मां को लाल चुनरी और चूड़ियां अर्पित करें।
    • यह श्रृंगार देवी की मूर्ति पर ओढ़ाकर उनका सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रतीक है।
  5. आरती:
    • दीपक, अगरबत्ती और कपूर से मां दुर्गा की आरती करें।
    • आरती के समय मां की स्तुति में दुर्गा आरती गाएं और घंटे (घंटी) बजाएं, जिससे पवित्र वातावरण बने।

अष्टमी और नवमी के विशेष अनुष्ठान

अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है
  • अष्टमी (आठवां दिन):
    • इस दिन कन्या पूजन किया जाता है। छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।
    • उन्हें पूरी, चने और हलवे का प्रसाद दें और उपहार भेंट करें।
  • नवमी (नौवां दिन):
    • इस दिन व्रत का समापन होता है, माना जाता है कि मां दुर्गा ने इस दिन महिषासुर का वध किया था।
    • विशेष भोग अर्पित करें और मां दुर्गा की आरती करके बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाएं।

नवरात्रि व्रत का पालन और पूजा विधि का सही तरीके से पालन करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इन नियमों और विधियों का सही तरह से पालन करने से व्यक्ति आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त करता है और मां दुर्गा के आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।