Bhagvan Vishnu ka Parashurama Avatar: परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। उनका अवतार अद्वितीय है क्योंकि परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय धर्म का पालन करते थे। परशु का अर्थ है कुल्हाड़ी, और राम का अर्थ है भगवान; इस प्रकार, परशुराम का अर्थ है “कुल्हाड़ी वाले भगवान राम।”
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जन्म और प्रारंभिक जीवन
परशुराम का जन्म ऋषि जमदग्नि और उनकी पत्नी रेणुका के घर हुआ था। उनका जन्म एक पवित्र आश्रम में हुआ था जहाँ वेदों और शास्त्रों का पाठ होता था। युवा परशुराम ने अल्पायु में ही वेदों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था और युद्ध कला में भी निपुण हो गए थे। उनके गुरू भगवान शिव थे, जिन्होंने उन्हें दिव्य शस्त्रों का ज्ञान प्रदान किया और उन्हें एक विशेष परशु (कुल्हाड़ी) भेंट की।
परशुराम का संकल्प
भगवान विष्णु के अवतार के रूप में, परशुराम का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी से अधर्मी और अत्याचारी क्षत्रिय राजाओं का विनाश करना था। इन राजाओं ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर जनता पर अत्याचार किया। परशुराम ने इक्कीस बार पृथ्वी का भ्रमण किया और इन अत्याचारी राजाओं को परास्त कर धर्म की पुनः स्थापना की।
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महत्वपूर्ण कथाएँ और कृत्य
कर्तवीर्य अर्जुन की कथा
कर्तवीर्य अर्जुन नामक एक अत्याचारी राजा ने परशुराम के पिता जमदग्नि के आश्रम से कामधेनु गाय का हरण किया। इस अन्याय से क्रोधित होकर, परशुराम ने कर्तवीर्य अर्जुन और उसकी सेना को पराजित किया और कामधेनु को वापस लाया।
जमदग्नि का शाप
रेणुका की पवित्रता पर संदेह करने पर, जमदग्नि ने परशुराम को अपनी मां का सिर काटने का आदेश दिया। परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया, लेकिन बाद में जमदग्नि ने उन्हें वरदान दिया जिससे उन्होंने अपनी मां को पुनर्जीवित कर दिया।
तटीय क्षेत्र की रचना
कहा जाता है कि परशुराम ने अपने परशु को समुद्र में फेंक कर तटीय क्षेत्र का निर्माण किया। यह क्षेत्र आज के कोकण और मलाबार के रूप में जाना जाता है।
रामायण में परशुराम का योगदान
रामायण में, जब भगवान राम ने शिव के धनुष को तोड़ा और सीता का हाथ जीता, तो परशुराम क्रोधित होकर प्रकट हुए। उन्होंने सोचा कि किसी ने उनके गुरु शिव का अपमान किया है। लेकिन जब उन्होंने राम की दिव्यता को पहचाना, तो उन्होंने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके उद्देश्य को स्वीकार किया।
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महाभारत में परशुराम का योगदान
महाभारत में, परशुराम ने भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महान योद्धाओं को शिक्षा दी। उन्होंने कर्ण को शाप दिया जब उन्हें पता चला कि कर्ण ने अपनी पहचान छुपाई थी, जो कर्ण के भाग्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
परशुराम एक चिरंजीवी के रूप में
परशुराम हिंदू परंपरा में सात चिरंजीवियों (अमर व्यक्तियों) में से एक हैं। चिरंजीवी वे होते हैं जिन्हें अनंत जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जिन्हें वर्तमान ब्रह्मांडीय चक्र के अंत तक जीवित रहना होता है।