सनातन हिंदू धर्म में भगवान का अवतार किसी कारण विशेष से ही होता है। जब जब पृथ्वी लोक पर अधर्म को बढ़ावा और धर्म की हानि होने लगती है तब श्रीहरि विष्णु भगवान अवतार लेकर दुष्टों का संहार करते हैं।
भगवान श्री कृष्ण जी के रूप में भगवान विष्णु ने भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देवकी के गर्भ से जन्म लिया था। आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
भगवान कृष्ण को विष्णु जी का आठवां अवतार माना गया है, जिनका जन्म द्वापर युग में हुआ था जन्माष्टमी के इस शुभ दिवस पर स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्री कृष्ण को पालना झुलाया जाता है।
लेकिन, श्री कृष्ण का जन्मोत्सव सिर्फ मंदिरों में ही नहीं, बल्कि घरों में भी मनाया जाता है। इसलिए, इस आर्टिकल में हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर घर पर ही लड्डू गोपाल की विधिविधान पूर्वक पूजा करने की विधि और सामग्री के बारे में जानकारी देंगे।
भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की घर पर पूजा करने की विधि
भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को लड्डू गोपाल कहा जाता है। हर घर में उनके इस स्वरूप की पूजा की जाती है। मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।
लेकिन, अगर आपने घर पर कान्हा जी के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल को स्थापित किया है, तो इसके कुछ जरूरी नियम होते हैं। लड्डू गोपाल की सेवा ठीक ऐसे की जाती है, जैसे घर पर आप अपने बालक की करते हैं।
जब आप अपने घर पर लड्डू गोपाल की स्थापना करें तो, उनका कोई नाम भी रखें। जैसा कि घर-परिवार के सदस्यों का कोई न कोई नाम होता है, ठीक इसी तरह लड्डू गोपाल भी आपके घर पर आने के बाद घर-परिवार की तरह हो जाते हैं।
इसलिए आप लड्डू गोपाल का नाम भी रख सकते हैं। भक्त कृष्णजी को ठाकुर जी, लड्डू गोपाल, कान्हा आदि जैसे नामों से संबोधित करते हैं।
स्नान विधि संपन्न करें…
सुबह स्नान करने के बाद पूजा गृह की साफ-सफाई करें। इसके बाद पंचामृत से लड्डू गोपाल का स्नान कराएं। पंचामृत से लड्डू गोपाल को स्नान करवाना बेहद शुभ माना जाता है। पंचामृत को दूध, दही, शहद, गंगाजल और घी की मदद से बनाएं।
लड्डू गोपाल का करें श्रृंगार
स्नान कराने के पश्चात लड्डू गोपाल को वस्त्र पहनाएं। अब उनका विशेष श्रृंगार करें और हाथ में बांसुरी दें। साथ ही सिर पर मुकुट पहनाकर मोर पंख लगाएं। इसके अलावा आप उन्हें कुंडल और बाजूबंद भी पहनाएं। इसके बाद दीपक जलाकर लड्डू गोपाल की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
ऐसे कराएं स्नान
सुबह स्नान करने के बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद पंचामृत से लड्डू गोपाल का स्नान कराएं। पंचामृत से लड्डू गोपाल को स्नान करवाना बेहद शुभ माना जाता है। पंचामृत को दूध, दही, शहद, गंगाजल और घी की मदद से बनाएं।
इस तरह करें श्रृंगार
स्नान कराने के पश्चात लड्डू गोपाल को वस्त्र पहनाएं। अब उनका विशेष श्रृंगार करें और हाथ में बांसुरी दें। साथ ही सिर पर मुकुट पहनाकर मोर पंख लगाएं। इसके अलावा आप उन्हें कुंडल और बाजूबंद भी पहनाएं। इसके बाद दीपक जलाकर लड्डू गोपाल की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
विधिवत भोग लगाएं
बता दें कि, लड्डू गोपाल की सेवा बालक के रूप में की जाती है। इनको सुबह, दोपहर और रात को भोग लगाना चाहिए। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि भोग में तुलसी दल को अवश्य शामिल करें।
माना जाता है कि, बिना तुलसी दल के लड्डू गोपाल भोग स्वीकार नहीं करते हैं। लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए। क्योंकि माखन मिश्री लड्डू गोपाल का प्रिय भोग है।
प्रतिदिन आरती करें
सुबह-शाम पूजा के बाद बाल गोपाल की आरती जरूर करें। बाल गोपाल को बेले के फूल और केला अतिप्रिय है। ऐसे में आरती के समय आप लड्डू गोपाल को यह चीजें जरूर अर्पित करें।