श्रावण मास में करें भगवान शिव का रुद्राभिषेक, दूर होगी कालसर्प दोष बाधा

a man doing rudrabhishek on a shivlinga

श्रावण मास यानी भगवान शिव जी का सबसे प्रिय महीना। यही मास भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की निश्छल भक्ति को कभी भी निष्फल नहीं होने देते हैं। जो भक्त शिव का सच्चे मन से ध्यान करता है वही उन्हें पा भी लेता है। 

कैलाशपति भगवान शिव का जो कोई भक्त श्रावण मास में रुद्राभिषेक करता है उसके पुण्यफल का संचय होना निश्चित है। कहते हैं  कि रुद्राभिषेक कराने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर चली जाती है और ऐसे घर को भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है।

इस आर्टिकल में हम आपको श्रावण मास में भगवान शिव के रुद्राभिषेक करने के लाभ के बारे में बता रहे हैं। इस आर्टिकल को पढ़कर आप भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करके जीवन में असीम आनंद का अनुभव कर सकते हैं।

सावन में रुद्राभिषेक का महत्व

शास्त्रों में भी लिखा है ‘रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:’ इसका अर्थ है कि शिव सभी दुखों को हरकर उनका नाश कर देते हैं। वैसे कहा जाए तो श्रावण मास का हर दिन शिव पूजा के लिए  अच्छा होता है। 

लेकिन सावन शिव

रात्रि का दिन शिव पूजा के लिए और भी अधिक उत्तम माना जाता है। इस दिन सूर्योदय से लेकर आप कभी भी शिव जी का जलाभिषेक कर सकते हैं। हालांकि आप सर्वार्थ सिद्धि योग में जलाभिषेक करें तो उत्तम फल की प्राप्ति होती है। 

सर्वार्थ सिद्धि योग में आप जिस मनोकामना के साथ शिव जी का जलाभिषेक करेंगे, उसके पूर्ण होने की उम्मीद अधिक रहेगी।

रुद्राभिषेक से दूर होगा कालसर्प दोष

शिवपुराण के अनुसार शिव के रूद्र अवतार का विधि पूर्वक रुद्राभिषेक करने से मनुष्यों को जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। सावन में रुद्राभिषेक करना कालसर्प दोष  दूर करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इससे राहू और केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं

रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव की पूजा करते समय शिवलिंग पर दुग्ध, घी, शुद्ध जल, गंगाजल, शक्कर, गन्ने का रस, बूरा, पंचामृत, शहद, आदि का उपयोग करते हुए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना चाहिए।

रुद्राभिषेक करते समय करें मंत्र का पाठ

रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं|

सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो रूद्र उच्च्यते||

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एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः।

एकदशभिरेता भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।।

ग्रहों की शांति के लिए रुद्राभिषेक

सूर्य दोष के लिए रुद्राभिषेक

यदि आपकी कुंडली में सूर्य दोष, सूर्य से संबंधित कष्ट, रोग आदि हो तो श्वेतार्क के पत्तों को पीस लें और उसे गंगाजल में डाल दें, फिर उससे रुद्राभिषेक करें। कष्टों से मुक्ति जरूर मिलेगी।

चंद्र दोष के लिए रुद्राभिषेक

कुंडली के चंद्र दोष, उससे संबंधित रोग या कष्ट से मुक्ति के लिए काले तिल को पीस लें और उसे गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें। आपको अवश्य लाभ होगा।

बुध दोष के लिए रुद्राभिषेक

कुंडली के बुध दोष और उससे जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए विधारा के रस से रुद्राभिषेक करें।

गुरु दोष के लिए रुद्राभिषेक

गुरु दोष से मुक्ति के लिए आप गाय के दूध में हल्दी मिला लें, उससे रुद्राभिषेक करें, इससे गुरु ग्रह से जुड़ी अशांति दूर होगी।

शुक्र दोष के लिए रुद्राभिषेक

कुंडली में व्याप्त शुक्र दोष और उससे जुड़ी समस्याओं के निवारण के लिए आप गाय के दूध से बने छाछ से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराएं। आपको जल्द फायदा मिल सकता है।

शनि दोष के लिए रुद्राभिषेक

शनि की पीड़ा, कष्ट और कुंडली के शनि दोष से मुक्ति के लिए गंगाजल में शमी के पत्ते को पीसकर मिला लें, फिर उससे रुद्राभिषेक करें, आपको लाभ मिल सकता है।

राहु दोष के लिए रुद्राभिषेक

पाप ग्रह राहु की पीड़ा, उससे जुड़ी समस्याओं से मुक्ति के लिए गंगाजल में दूर्वा मिला लें। फिर उससे रुद्राभिषेक करें।

मंगल और केतु दोष के लिए रुद्राभिषेक

कुंडली के केतु दोष या उससे होने वाले रोगों के निवारण के लिए गंगाजल में कुश की जड़ पीसकर मिला दें, उससे रुद्राभिषेक करें, आपकी समस्याएं दूर होंगी।