आधुनिक युग में बच्चों को सनातन धर्म से कैसे जोड़ें?

chote bacche ko sanatan dharm kaise sikhae

आज का आधुनिक समय विज्ञान, तकनीक और तेज़ जीवनशैली का है। आज के समय में बच्चे 4-5 साल से ही मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट से जुड़ जाते हैं। इसमें गलती माता पिता की भी होती है कि वे भी अब छोटे रोते हुए बच्चो को शांत कराने के लिए यूट्यूब पर “बेबी शार्क” जैसी वीडियोस दिखाने का प्रयास करते है। स्कूलों में भी धर्म की चर्चा न के बराबर होती है। ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक है – क्या आज के बच्चों को सनातन धर्म से जोड़ा जा सकता है, और यदि हाँ, तो कैसे?

यह लेख इसी बात पर केंद्रित है कि कैसे (baccho ko dharm se kaise jode) हम बच्चों को बिना उनकी आधुनिक वैज्ञानिक शोधों से भरी हुई पढाई के साथ सनातन धर्म की भी शिक्षा दे सकते हैं।

धर्म को “पढ़ाई के विरोध में” न रखें, बल्कि पूरक बनाएं

सबसे पहले तो स्वयं अभिभावकों को यह समझना होगा कि धर्म और आधुनिक शिक्षा एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं, जिस प्रकार से विज्ञानं से आप बाहरी दुनिया को समझ पाते हैं वैसे ही ज्ञान से अपनी भीतर की दुनिया को समझ पाते हैं जैसे कि आंतरिक आत्मा और मानव मूल्य। यदि बच्चो को यह बताया जाए कि इससे उनका चरित्र निर्माण होगा तो उन्हें बात आसानी से समझाई जा सकती हैं।

दिन की शुरुआत एक आध्यात्मिक अभ्यास से करें

हर दिन की शुरुआत 2 मिनट के लिए ही सही, एक प्रार्थना या श्लोक के साथ करें।
उदाहरणस्वरूप: “कराग्रे वसते लक्ष्मी“, “सर्वे भवन्तु सुखिनः“, “गायत्री मंत्र

gayatri mantra ka arth kya hai
Credit: wikipedia

ये मंत्र चाहे तो सुबह उठने के तुरंत बाद बुल वाएं, या सुबह जब सब साथ में बैठकर नाश्ता कर रहे हो तब या पूजा करते समय। इन मंत्रों का उच्चारण ना केवल मानसिक शांति देगा बल्कि बच्चों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को भी बढ़ाएगा।

कहानियों के माध्यम से धर्म को रोचक बनाएं

बच्चों को उपदेश देने से बेहतर है कि उन्हें कहानियाँ सुनाई जाएं क्यूंकि छोटे बच्चे किस्से कहानियों से ज्यादा जुड़ाव महसूस कर पाते हैं। कोई तो कारन होगा कि “माय फ्रेंड गणेशा” मूवी में गणेश जी की भक्ति करना, पूजा करना एक कहानी के माध्यम से प्रस्तुत की गई हैं।

श्रीराम, श्रीकृष्ण, हनुमान, भीष्म, युधिष्ठिर आदि के कई सरे जीवन प्रसंग ऐसे हैं जिन्हें कि बहुत रोचक कहानियों के माध्यम से समझाया जा सकता हैं। जैसे कि एक कहानी ये हो सकती हैं कि कैसे हनुमान जी आयरन मैन या सुपरमैन से भी ज्यादा स्ट्रांग हैं। यदि आप चाहते हैं कि हम ही आप लोगो के लिए ऐसे कहानियां बनाए तो कमेंट के माध्यम से हमें बताएं।

chote bacche ko hanuman chalisa yad karae
Credit: Hotstar

आपने देखा होगा कि कैसे छोटे बच्चो की कविताओं की किताबों में चित्र ज्यादा होते हैं क्यूंकि इन चित्रों के माध्यम से बच्चे किताबें खोलने में और उन्हें पढ़ने में ज्यादा आनंदित महसूस करते हैं इसी तरीके से उन्हें चित्रों वाली किताबें, ऑडियोबुक्स और एनिमेटेड विडियोज़ के ज़रिए धर्म से परिचित कराएं। आज के समय में कई चित्र वाली धार्मिक किताबें भी आती हैं जो कि छोटे बच्चों को ही ध्यान में रखके बनाई गईं हैं।

सप्ताह में एक दिन “संस्कृति दिवस” बनाएं

यह ज़रूरी है कि जो काम आप बच्चो से कहने के लिए कह रहे हैं वो आप स्वयं भी कर रहे हो और इसके लिए हर सप्ताह एक दिन घर में

  • आरती, भजन या कथा रखी जाए
  • खुद जब भी दीपक जलाएं तो बच्चे से भी छोटा सा दीपक जलवाएं।
  • इतना सब भी ज्यादा लगे तो बच्चे को बताएं कि सूर्य देव हमारे लिए कितने ज़रूरी हैं और उन्हें थैंक्स कहने के लिए मंडे को स्कूल जाने से पहले उन्हें जल अर्पित कर दिया करो।

ऐसा सब करने से धर्म एक बोझ नहीं, बल्कि खुशी का अवसर लगेगा।

त्यौहारों को केवल छुट्टी न मानें – उनका सार सिखाएं

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Credit: Crackers India

जब भी त्यौहार आए और आपकी ऑफिस की छुट्टी हो तो उसे छुट्टी मानकर कहीं घूमें फिरने निकल जाने या सिर्फ नाच गाना करने के साथ साथ बच्चो को हर त्यौहार के पीछे की धार्मिक कथा और समाज में उसका महत्व समझाएं।

जैसे – दीपावली केवल दीप जलाने का पर्व नहीं, अंधकार पर प्रकाश की विजय है। कैसे श्री राम ने रावण का अंत किया।

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होली, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, रामनवमी जैसे पर्वों पर घर में साधारण पूजन, भजन, या नाटक आयोजित किए जा सकते हैं।

मंदिर जाना “परिवार की परंपरा” बनाएं

मंदिर जाना केवल पूजा नहीं, बल्कि सामूहिक भक्ति, अनुशासन,धार्मिकता का वातावरण अनुभव करने का तरीका भी है।

  • बच्चों को साथ ले जाएं, उन्हें मूर्तियों के नाम बताएं,
  • उन्हें बताएं कि कृष्ण जी की मूर्ति श्याम रंग की क्यों हैं, उन्हें बताएं राम जी के पास धनुश बाण क्यों हैं और यह धनुष बाण कृष्ण के पास क्यों नहीं है।
  • बच्चो को आरती की थाल छूने का, घंटी बजाने का अवसर दें।

मुझे याद है यहाँ पुणे में एक “सोमेश्वर वाड़ी” करके शिव मंदिर है जहाँ रात को 11-12 बजे शिव जी की आरती और श्रृंगार होता है, मैंने वहां रात को छोटे छोटे बच्चों को शंख बजाते देखा, क्यूंकि माँ बाप आए तो वो अपने बच्चो को भी साथ लाने लगे अब बच्चो को आरती तो याद होगी नहीं इतनी जल्दी तो बच्चे बोर महसूस न करें इसलिए माता पिता ने उन्हें शंख दिला दिए।

अब कई सारे छोटे बच्चे आपस में परिस्पर्धा की भावना से ही सही किन्तु शंख बजा रहे थे, आरती सुन रहे थे क्यूंकि ऐसे छोटे छोटे प्रयास करने से बच्चे धीरे-धीरे आत्मीय रूप से जुड़ने लगते हैं।

बच्चो से दिए जलवाने का एक तरीका ये हो सकता है कि उन्हें पहले से ही बनी हुई दिया बाती दे दी जाए। हम हरघरपूजा में शुद्ध देसी घी से बानी हुई दिया बाती बनाते हैं, हमारी दिया बाती, या मंदिरो के फूलों से बनी हुई सुगन्धित धूपबत्ती या अगरबत्ती खरीदने के लिए हमारी वेबसाइट पर यहाँ क्लिक करके जाएं।

आधुनिक संसाधनों का सहारा लें

आज के बच्चे टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं, तो धर्म को उनके अनुकूल बनाना होगा:

  • YouTube पर बच्चों के लिए श्लोक, भजन, कहानियाँ सुनाएं न कि “हम्प्टी डम्प्टी” या “बा बा ब्लैक शीप” या “बेबी शार्क”
  • इसी प्रकार बच्चों के लिए Sanatan dharma apps, e-books, interactive क्विज़ेज ज्वाइन कराएं
  • ऑनलाइन “रामायण क्लब” या “गीता कक्षा” भी इन दिनों लोकप्रिय हो रहे हैं।

अनुशासन और आदर की भावना से जोड़ें

धर्म का मूल उद्देश्य व्यवहारिक नैतिकता है। इसीलिए बच्चों को सिखाएँ कि –

  • बड़ों का सम्मान करना चाहिए
  • सच बोलना चाहिए
  • नियमितता और स्वच्छता बनाके रखनी चाहिए
  • ये सब सनातन मूल्यों का ही हिस्सा हैं।

धर्म का भय नहीं, प्रेम सिखाएँ

बहुत से माता-पिता धर्म को “डर का उपकरण” बना देते हैं – “यह मत करो नहीं तो भगवान नाराज़ होंगे।”
इसकी बजाय उन्हें यह समझाएं –

भगवान हमारे मार्गदर्शक हैं,”

प्रकृति और सभी प्राणी परमात्मा के ही अंश हैं,”

भक्ति प्रेम से होती है, भय से नहीं।”

संक्षेप में, बच्चों को सनातन धर्म से जोड़ने के लिए ज़रूरी नहीं कि वे आधुनिक शिक्षा से दूर हों। बल्कि हमें ऐसा संतुलन बनाना है जहां
आधुनिक ज्ञान से उनका भविष्य बने,और धार्मिक ज्ञान से उनका चरित्र। जैसे कि अगर बच्चो को अंग्रेजी कविताएं या बॉलीवुड हॉलीवुड के गाने ही सुन्ना पसंद है तो उनसे कहें कि ठीक है ४ गाने आप ये वाले सुन लो लेकिन उसके साथ श्री हनुमान चालीसा भी सुनेंगे।