भारत के तमिलनाडु राज्य में रामनाथपुरम जिले के रामेश्वरम में स्थित रामेश्वरम मंदिर (Rameshwaram Jyotirlinga) हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में 11वां है रामेश्वरम। ये मंदिर देश के चार धामों में भी शामिल है और पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान रखता है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित यह मंदिर धार्मिक आस्था, वास्तुकला और पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम है।
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ज्योतिर्लिंग क्या होता है? (Jyotirlinga Kya Hota Hai)

‘ज्योतिर्लिंग’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है—ज्योति यानी प्रकाश और लिंग यानी भगवान शिव का प्रतीकात्मक स्वरूप। यह एक ऐसा शिवलिंग होता है जिसमें शिव स्वयं अग्नि या प्रकाश के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं। पुराणों के अनुसार, जब ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ, तब भगवान शिव ने अग्नि के विशाल स्तंभ के रूप में प्रकट होकर उन्हें अपनी अनंतता का बोध कराया। उसी दिव्य स्तंभ के प्रतीक रूप में 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंगों की स्थापना हुई।
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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कथा (Rameshwaram Jyotirlinga Katha)
इस शिवलिंग की कथा त्रेता युग से जुड़ी हुई है। त्रेता युग में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए और राक्षसों का वध करने के लिए अयोध्या के राजा नेमी अर्थात् दशरथ के सबसे बड़े पुत्र के रूप में अवतार लिया था। राम को पिता की आज्ञा एवं वचन का पालन करने के लिए 14 वर्ष तक वनवास जाना पड़ा, जब वह वन में थे तभी राक्षसों का राजा रावण श्रीराम की पत्नी सीता का हरण करके उसे अपनी नगरी लंका ले गया।
श्रीराम अपनी पत्नी के वियोग में सुध-बुध खो बैठे और वह वानरों की सेना की सहायता से समुद्र तट पहुँचे, जहाँ उन्हें पता लगा कि समुद्र के दूसरे तट पर एक नगरी है लंका, उसी नगरी में रावण ने माता सीता को बंदी बनाया हुआ है। श्रीराम ने रावण को हराने के लिए समुद्र पर एक पुल बनाया और अंत में रावण का वध कर दिया।
जब वह रावण का वध करके और विभीषण को लंका का नया राजा बनाकर लौट रहे थे, तो ऋषि-मुनियों ने कहा कि हे राम, आप पर ब्रह्म-हत्या का पाप लगा हुआ है क्योंकि रावण जन्म से एक ब्राह्मण था। श्रीराम ने पूछा कि यह पाप कैसे उतरेगा, तो ऋषियों ने सुझाव दिया कि आप भी शिव के भक्त हैं और रावण भी शिव का भक्त था, अतः आप भगवान शिव से इस पाप से मुक्ति प्राप्त करने के लिए पूजन करें।
इस पर रामजी ने अपने परम भक्त श्रीहनुमान से कहा कि तुम कैलाश जाकर स्वयं भगवान शिव से लिंग रूप में प्रकट होने को कहो और फिर उन्हें यहाँ लेकर आओ जिससे कि मैं उनका पूजन कर सकूँ। हनुमान ने राम की आज्ञा का पालन करते हुए कैलाश के लिए प्रस्थान किया।
किंतु जब उनको आने में विलंब हो गया, तो माता सीता ने और अधिक इंतजार न करते हुए वहीं समुद्र की बालू से एक शिवलिंग बना दिया और उसका पूजन शुरू कर दिया। इधर हनुमानजी भी शिवलिंग लेकर आ गए और इस प्रकार उस शिवलिंग को भी बालू के शिवलिंग के बराबर में ही स्थापित किया गया और इस प्रकार सीता माता द्वारा बनाए गए लिंग को रामलिंग और हनुमानजी द्वारा लाए गए लिंग को विश्वलिंग कहा गया।

इस ज्योतिर्लिंग से जुडी हुई एक दूसरी कहानी ये भी है कि भगवान राम ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना लंका पर चढाई करने से पहले की थी ताकि वो महादेव से विजय प्राप्ति का वरदान मांग सकें।
और क्योंकि यहाँ राम ने अपने ईश्वर अर्थात् शिव की आराधना की, इसलिए इस स्थान को रामेश्वरम् कहा जाने लगा।
विशाल आकार और अद्भुत वास्तुकला
यह मंदिर करीब 1000 फुट लंबा और 650 फुट चौड़ा है। इसका प्रवेश द्वार 40 मीटर ऊंचा है। मंदिर की दीवारें और गलियारे द्रविड़ शैली की वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं। बता दें कि इस मंदिर को बनाने के लिए पत्थरों को श्रीलंका से नाव के जरिए लाया गया था।
दुनिया का सबसे लंबा गलियारा

रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व प्रसिद्ध है। यह उत्तर से दक्षिण 197 मीटर और पूर्व से पश्चिम 133 मीटर लंबा है। यहां तीन गलियारे हैं, जिनमें से एक गलियारा 12वीं सदी का माना जाता है।
22 पवित्र कुंड
मंदिर परिसर में 22 पवित्र कुंड हैं, जहां श्रद्धालु पूजा से पहले स्नान करते हैं। यहां के कुंडों का पानी भी चमत्कारिक गुणों से भरपूर है। कहा जाता है कि यहां के अग्नि तीर्थम में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और बीमारियां दूर हो जाती हैं।
रामेश्वरम मंदिर का खुलने और बंद होने का समय
बता दें कि तमिलनाडु राज्य में स्थित रामेश्वरम मंदिर सुबह 4 बजकर 30 मिनट में खुलता है और दोपहर 1:00 बजे बंद हो जाता है। इसके बाद पुनः दोपहर 3:00 बजे खुलता है और रात 9:00 बजे बंद हो जाता है।
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