जानिए, कुंवारी कन्याएं क्यों रखती हैं हरियाली तीज का व्रत

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हिंदू धर्म में त्योहार भगवान की आराधना के सेतु माने जाते हैं। यहां अनेक त्योहार मनाए जाते हैं और हर पर्व का एक अपना एक धार्मिक महत्व है। हिंदू धर्म में हर क्रिया के पीछे कोई न कोई उद्देश्य छिपा होता है।

हिंदू धर्म में हरियाली तीज पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। शास्त्रों में इस पर्व की विशेष महिमा बताई गई है। यह पर्व हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह सावन महीने का प्रमुख त्योहार है। 

हरियाली तीज में सुहागन महिलाएं 16 श्रृंगार कर अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। वहीं हरियाली तीज का व्रत कुंवारी लड़कियां भी मनपसंद वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।

आज हम आपको हरियाली तीज पर्व के बारे में बताने जा रहे हैं। 

हरियाली तीज का महत्व

वैदिक परंपरा की अनूठी खासियत यह है कि यहां धार्मिक कर्मकांड मात्र दिखावा नहीं बल्कि भगवान की भक्ति का एक सरल माध्यम है। सावन के महीने में जब सम्पूर्ण प्रकृति हरी-भरी ओढ़नी से आच्छादित होती है प्रकृति का यह सुंदर रूप हर किसी के लिए मनभावन होता है। 

इस श्रावण मास में अनेक त्योहार मनाये जाते हैं लेकिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। कई स्थानों पर इस त्योहार को कजली तीज के रूप में मनाया जाता है।

हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?

ऐसा माना जाता है कि सावन में काम की भावना बढ़ जाती है। मेंहदी इस भावना को नियंत्रित करती है। हरियाली तीज का नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दें। मेंहदी का औषधीय गुण इसमें महिलाओं की सहायता करता है। 

इस व्रत में सास और परिवार के बड़े नई दुल्हन को वस्‍त्र, हरी चूड़ियां, श्रृंगार सामग्री और मिठाइयां भेंट करती हैं। इनका उद्देश्य होता है दुल्हन का श्रृंगार और सुहाग सदा बना रहे और वंश की वृद्धि हो।

हरियाली तीज की पुराणों में वर्णित कथा

भविष्यपुराण में हरियाली तीज के संबंध में वर्णन मिलता है। भविष्यपुराण में कहा गया है कि  मां देवी पार्वती बताती हैं कि, तृतीय तिथि का व्रत उन्होंने बनाया है। इस व्रत के प्रभाव से स्त्रियों को सुहाग और सौभाग्य की प्रापित होती है। 

सावन महीने में तृतीया तिथि को सौ वर्ष की तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का वरदान प्राप्त किया था । कुंवारी और सुहागन दोनों ही इस व्रत का रखती हैं।

हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है?

सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।  इस अवसर पर महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाकर तीज पर्व की शुरूआत करती हैं।

इस दिन सुहागनें अपने हाथों, कलाइयों और पैरों आदि पर विभिन्न कलात्मक रीति से मेंहदी लगाती हैं। मेंहदी लगाना इस पर्व की खास रीति रिवाज में शामिल है। इसलिए इसे मेहंदी पर्व भी कहा जा सकता है। 

महिलायों द्वारा मेंहदी रचाने के बाद अपने परिवार की वरिष्ठ महिलाओं से आशीर्वाद लेना पड़ता है। वृद्ध महिलाओं तीज व्रत रखने वाली महिलाओं का आर्शीवाद देती हैं।

हरियाली तीज कब है?

पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त 2024 की शाम को 7: 53 मिनट पर तृतीया तिथि का आरंभ हो रहा है और 7 अगस्त को रात में 11 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 को ही रखा जाएगा।

हरियाली तीज पर मंत्रों का पाठ

  • ॐ उमामहेश्वराभ्यां नम:
  • ॐ गौरये नम:
  • ॐ पार्वत्यै नम:

संतान प्राप्ति के लिए मंत्र

  • ॐ साम्ब शिवाय नम:
  • मुनि अनुशासन गनपतिहि पूजेहु शंभु भवानी।

कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि।।

कुंवारी कन्याओं के लिए श्लोक…

हे गौरी शंकरार्धांगी, यथा त्वं शंकर प्रिया।

तथा मां कुरू कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

हरियाली तीज पर गाए जाने वाले लोकगीत….

लोकगीत-1

 झूला झूल रही सब सखियां, आई हरयाली तीज आज,

राधा संग में झूलें कान्हा झूमें अब तो सारा बाग़,

झूला झूल रही सब सखियां, आई हरियाली तीज आज,

नैन भर के रस का प्याला देखे श्यामा को नंद लाला,

घन बरसे उमड़ उमड़ के देखों नृत्य करे बृज बाला,

छमछम करती ये पायलियां,  खोले मन के सारे राज,

झुला झूल रही सब सखियां, आई हरियाली तीज आज,

लोकगीत-2

2- अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी कोई आई हैं हरियाली तीज।

घर-घर झूला झूलें कामिनी जी, बन बन मोर पपीहा बोलता जी।

एजी कोई गावत गीत मल्हार, सावन आया…

कोयल कूकत अम्बुआ की डार पें जी, बादल गरजे, चमके बिजली जी।

एजी कोई उठी है घटा घनघोर, थर-थर हिवड़ा अम्मा मेरी कांपता जी।