Diwali 2024: दीपावली का त्यौहार क्यों मनाते है? जानें इसके पीछे का महत्व

दीपावली (Dipawali) खुशियों का त्यौहार है। इस दिन लोग अपने घरों को दिए से सजाते हैं और बड़ी-बड़ी रंगोलिया भी बनाते हैं। दिवाली के आने से पहले लोग अपने-अपने घरों की साफ सफाई भी करते हैं और धनतेरस(Dhanteras) के दिन से इस त्यौहार की शुरुआत हो जाती है। दीपावली का पर्व कार्तिक मास (Kartik month) की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी (Lakshmi) और श्री गणेश (Ganesh) की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है। इस दिन घरों में मिठाइयां बनाई जाती हैं या फिर दुकानों से खरीदकर लाई जाती है और दोस्तों और परिवार के बीच बांटी जाती हैं। लोग इस दिन उपहारों का आदान-प्रदान भी करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं दीपावली मनाने के पीछे क्या कारण है? और इसका क्या महत्व है तो आइए जानते हैं।

क्यों मनाते है दीपावली?

हिंदू धर्म में दिवाली (Diwali) का बहुत खास महत्व होता है। इस त्यौहार की खुशी में लोग काफी दिन पहले से ही अपने-अपने घरों की साफ सफाई में जुट जाते हैं। दिवाली को लेकर लोगों के मन में एक अलग उत्साह रहता है। महीने भर पहले से ही लोग अपने पहनने के लिए नए-नए कपड़े और घर में सजाने के लिए नई वस्तुएं लेने में जुट जाते हैं। दीपावली के दिन लोग अपने घरों को रंगोली दिए और अन्य नई चीजों से सजाते हैं। दीपावली के दिन सभी साज श्रृंगार कर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम लंका पति रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस लौटे थे, जिसकी खुशी में अयोध्या के नगर वासियों ने दिए जलाए थे और उसी दिन से दीपावली का यह त्यौहार मनाया जाने लगा। दिवाली प्यार, सकारात्मकता और धार्मिकता का संदेश देती है, जो समुदायों और परिवारों में खुशी और एकजुटता लाती है। दिवाली पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है।

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क्या है पूरी कथा?

रामायण (Ramayan) के मुताबिक जब भगवान श्री राम लंका के राजा रावण (Ravan) का वध करके मां सीता (Sita) और अपने छोटे भाई लक्ष्मण (Lakshma) के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन उनकी आने की खुशी में पूरे अयोध्या वासियों ने अपनी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया हुआ था। कहते हैं कि भगवान श्री राम के 14 वर्षों के वनवास काल के बाद उनके अयोध्या आगमन पर लोगों के द्वारा दीपों से अयोध्या सजाने के बाद दिवाली पर्व की शुरुआत हुई और तब से लेकर आज तक यह दिन अंधकार पर विजय का पर्व बन गया और इस दिन से दिवाली मनाई जाने लगी।

पांडवों से जुड़ी कथा

दीपावली को लेकर एक और कथा प्रचलित है। पांडवों को भी अपना घर छोड़कर वनवास के लिए जाना पड़ा था और जब अपना वनवास पूरा कर पांडव घर लौटे तो इस खुशी में पूरी नगरी को दियों से जगमगाया गया था और तभी से दिवाली की शुरुआत हुई थी।

दूसरी तरफ, दक्षिण भारत में, लोग इस अवसर को उस दिन के रूप में मनाते हैं जब भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था। इसके अलावा, ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का विवाह हुआ था।
पूरी दुनिया में लोग दीपावली को बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं