सनातन हिंदू धर्म धर्म में आराध्य देव की पूजा का विधान सबसे पहले बताया गया है। आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का माध्यम भक्ति का मार्ग ही है। सनातन परंपरा में तीज-त्योहार पर व्रत-पूजा और अनुष्ठान करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
भगवान गणेश जी की उपासना अनेक सिद्धियों का कारक है। गणेश चतुर्थी पर घर-घर में भगवान गणेश उल्लास और उत्साह के साथ विराजमान होते हैं। कई परिवारों में 10 दिन अर्थात अनंत चतुर्दशी तक भगवान गणपति जी की प्रतिमा जी विराजित रहती हैं।कुछ लोग गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना 5, 7 या 9 दिन के लिए भी करते हैं।
इन 10 दिनों में भक्ति भाव से की गई पूजा निश्चित ही फलदायक सिद्ध होती है। अनंत चतुर्दशी का शुभ दिवस जहां एक ओर भगवान गणेश जी की विदाई का दिवस होता है तो वहीं एकदन्त की भक्ति में डूब जाने का पावन अवसर भी होता है।
जो इस दिन तक गणेश जी की सच्चे मन से आराधना करता है उसके सारे संकट दूर हो जाते है। अगर आपने भी अपने घर गणेश जी की स्थापना की है तो गणेश विसर्जन करना भी बेहद जरूरी माना गया है। भगवान को जिस आदर और सम्मान के साथ घर लाया गया था, उसके बाद अब समय है विदाई या विसर्जन का। इस दौरान भक्त अपने भगवान के प्रति भक्ति की पराकाष्ठा का परिचय देता है। भगवान की भक्ति में तन-मन नाच उठता है।
इस आर्टिकल में हम आपको गणेश विसर्जन के बारे में बता रहे हैं। इस आर्टिकल को पढ़कर आप भी गणेश प्रतिमा के विसर्जन के धार्मिक महत्व और विधि के बारे में जान जाएंगे। इसके बाद अगले साल गणपति फिर से आपके घर आएंगे।
धार्मिक ग्रंथों में गणेश विसर्जन का उल्लेख
हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी गणेश जी को जल स्नान करने का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि, गणेश जी ने ही बद्रीनाथ तीर्थ के पास स्थित माणा गांव में महाभारत ग्रंथ को लिखा था।
ऐसा कहते हैं कि, महर्षि वेद व्यास जी ने गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक महाभारत की कथा सुनाई और गणेश जी ने भी लगातार 10 दिनों तक इस कथा को अक्षरशः लिखा।
दस दिनों के बाद जब वेद व्यास जी ने गणेश जी को छुआ तो पाया कि उनके शरीर का तापमान बढ़ गया है। इसके बाद वेदव्यास जी ने उन्हें तुरंत समीप ही बह रही सरस्वती नदी में ले जाकर स्नान करवाया। इससे उनके शरीर का बढ़ा हुआ तापमान शांत किया जा सका। ऐसा कहते हैं कि, गणेश विसर्जन का असली उद्देश्य गणपति महाराज को शीतल करना ही है।
कैसे मनाया जाता है गणपति विसर्जन का उत्सव?
भगवान गणेश के भक्त खुशी में अबीर-गुलाल उड़ाते हुए हर्षोल्लास के साथ उन्हें विसर्जन के लिए ले जाते हैं और कहते हैं- “गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ”। कुछ लोग गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना 5, 7 या 9 दिन के लिए भी करते हैं।
परंतु अधिकांश भक्त गणपति जी को 10 दिन के लिए ही स्थापित करते हैं जो, सर्वोत्तम माना जाता है।’विघ्नकर्ता भगवान गणेश जी की विदाई के समय गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ’ यह गाना विसर्जन करते समय जरूर गाया जाता है। भक्त नम आंखों के साथ इस गीत को गाकर गणेश जी की विदाई करते हैं।
गणेश विसर्जन की विधि
- गणेश विसर्जन से पहले भगवान गणेश जी की विधिवत पूजा-अर्चना करना बेहद जरूर माना जाता है।
- विधिवत पूजा करने के बाद, हवन करें और फिर गणेश जी का स्वस्तिवाचन का पाठ करें।
- गणेश जी पूजा करते समय उन्हें मोदक,दूर्वा और फल जरूर अर्पित करें।
- इसके बाद गणेश जी की आरती करें। आरती करने के बाद गणेश से विदा लेने की प्रार्थना करें।
- फिर इसके बाद जहां पर भगवान गणेश पिछले 10 दिनों से स्थापित हैं वहां से उनकी प्रतिमा को ध्यान और सम्मान से उठा लें।
- फिर प्रतिमा को लकड़ी के पटे पर जिसमें लाल या गुलाबी कपड़ा बिछा हो वहां पर रख दें।
- फिर गणेश जी की प्रतिमा के ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें।
- इसके बाद, गणेशजी की मूर्ति के साथ सभी तरह की सामग्री को एक पोटली में बांध कर प्रतिमा के पास रख दें।
- गणेश जी की मूर्ति को बहते हुए जल में विसर्जित कर दें।
- इसके बाद, अगले वर्ष दोबारा से आने की कामना करें। अपनी प्रतिक्रिया भावों के माध्यम से व्यक्त करें।
- क्षमा याचना करें कि, इन 10 दिनों कहीं भक्ति, पूजा आदि के माध्यम से कोई भूल या चूक हुई हो तो, हे सिद्धि के दाता भगवान गणेश हम अल्पज्ञ भक्तों को क्षमा करें।
गणेश विसर्जन के समय ध्यान रखने योग्य बातें…
- अगर आप घर पर ही किसी प्लास्टिक के टब या हौद में गणेश विसर्जन कर रहे हैं तो भी पूरी प्रक्रिया को निभाएं।
- गणेश प्रतिमा के विसर्जन के समय प्रतिमा जी के प्रति भक्ति भाव कम नहीं होना चाहिए श्री गणेश प्रतिमा को फेंकें नहीं उन्हें पूरे आदर और सम्मान के साथ धीरे-धीरे जल में विसर्जित करें।
- प्रतिमा विसर्जन के बाद पानी और मिट्टी को घर के गमले या गार्डन में विसर्जन कर दें। इसके बाद भगवान गणेश से जल्द आने की कामना करें और सभी कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
गणेश विसर्जन की शोभायात्रा में फूहड़ डांस बचें
गणेश विसर्जन का उत्सव उत्साह और उमंग का अवसर होता है। लेकिन हमें इस दौरान यह भी ध्यान रखना है कि, हम भगवान गणेश के विसर्जन उत्सव को मना रहे हैं ऐसे में फूहड़ डांस और ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे भगवान की भक्ति में दूषण लगे।
गणेश विसर्जन पर प्रतिमा जी के प्रति भक्ति भाव बनायें रखें
गणेश विसर्जन के समय कई बार भूल वश कहें या फिर जल्दी के कारण, लोग प्रतिमाओं के प्रति अनादर का भाव प्रकट करने लगते हैं। गणेश विसर्जन के समय प्रतिमा को जल में धीरे-धीरे विसर्जित करें।
गणेश विसर्जन पर मंत्र का करें जाप…
ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
गणेश विसर्जन पर शंख ध्वनि और आरती करना न भूलें
गणेश विसर्जन के समय सबसे जरूरी है कि, विसर्जन स्थान पर गणेश प्रतिमा को विराजमान कर सबसे पहले जयकारों के साथ गणेश जी की कपूर से आरती करें और शंख बजायें।
गणपति विसर्जन में शंख बजाने का वैज्ञानिक महत्व
हिन्दू परंपरा में जीवन के चार पुरुषार्थ हैं- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। जिसमें शंख धर्म का प्रतीक है। शंख बजाने का एक वैज्ञानिक कारण यह बताया जाता है कि शंख की ऊर्जामयी ध्वनि से जो तरंग निकलती है, वह नकारात्मक ऊर्जा का हनन कर देती है।