हनुमान चालीसा क्या है? 11 फायदे, सावधानियां और पढ़ने का सही तरीका

चालीसा, चालीस पदों वाली कविता को कहा जाता है। हनुमान चालीसा की रचना अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास जी ने की है। तुलसीदास जी ने इसकी रचना 16वीं सदी में दिल्ली में की थी।

भारत विविधताओं का देश है।

यही कारण है कि, भारत में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। लेकिन, आम जनता में सर्वाधिक मान्यता हनुमान जी की है। उतनी महिमा किसी भी देवी-देवता की आमतौर पर नहीं देखी जाती है।

हनुमान जी, भगवान राम के सेवक और भक्त हैं। हनुमान चालीसा में हनुमान जी के गुणों और महिमा को बताया गया है। हनुमान चालीसा के फायदे अनेक हैं। हनुमान चालीसा रोज पढ़ने से न सिर्फ बिगड़े काम सफल होते हैं बल्कि, भय, रोग और दुखों से भी मुक्ति मिलती है।

शायद यही कारण है कि, भारत में ज्यादातर लोगों को हनुमान चालीसा याद होती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि, हनुमान चालीसा क्या है? हनुमान चालीसा के फायदे, नियम और पढ़ने के सही तरीके के बारे में जानकारी देंगे।

चालीसा क्या है? (What is Chalisa)

चालीसा, चालीस पदों वाली कविता को कहा जाता है। चालीसा में कुल 4 छंद होते हैं। जबकि, 40 चौपाई होती हैं। चालीसा में 40 लाइन में किसी देवी-देवता की प्रार्थना की जाती है। चालीसा में तुकबंदी वाली कविता होती है, जिसमें आमतौर पर मंत्रों को ही सरल भाषा में लिख दिया जाता है।

हनुमान चालीसा क्यों और किसने लिखी है? (Why and who wrote Hanuman Chalisa?)

हनुमान चालीसा की रचना अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास जी ने की है। तुलसीदास जी ने इसकी रचना 16वीं सदी में दिल्ली में की थी। रामचरितमानस लिखने के बाद तुलसीदास जी की लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई थी।

उनकी ख्याति सुनकर देश के तत्कालीन शासक मुगल बादशाह अकबर ने उन्हें अपनी सभा में बुलवाया। उनके मंत्री राजा टोडरमल और राजा मान सिंह उन्हें लेकर आए थे। अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी से भगवान रामचन्द्र जी से मिलवाने के लिए कहा। 

इस पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा कि, ‘भगवान श्री राम सिर्फ अपने भक्तों को ही दर्शन देते हैं।’ ये सुनते ही अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास को जेल भेजने का आदेश दिया। गोस्वामी तुलसीदास जी ने इस संकट की घड़ी में हनुमान जी को याद किया। 

उन्होंने अकबर की कैद में ही हनुमान चालीसा के पहले दो दोहे लिखे। यही दोहे गाकर उन्होंने हनुमान जी से मदद की याचना की। इसके बाद, ऐसा कहा जाता है कि, बंदरों ने अकबर के किले और फतेहपुर सीकरी शहर पर हमला बोल दिया। 

अकबर की शाही सेना भी बन्दरों का आतंक रोकने में असफल रही। तब अकबर ने अपने मंत्रियों की सलाह को मानते हुए तुलसीदास जी को जेल से छोड़ दिया। इसके बाद, गोस्वामी तुलसीदास जी फतेहपुर सीकरी से मथुरा होते हुए दिल्ली चले गए।

दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में रहते हुए उन्होंने बाकी हनुमान चालीसा लिखी। आज भी सनातन धर्म के मानने वालों में ये विश्वास है कि, हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की दैवीय सहायता जरूर मिलती है।

हनुमान चालीसा के 11 फायदे (11 benefits of Hanuman Chalisa) :

उलझनें और समस्याएं हम सभी के जीवन में होती हैं। ये समस्याएं वर्कप्लेस, पर्सनल लाइफ या स्प्रिचुअल लाइफ से जुड़ी हो सकती हैं। इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए हनुमान चालीसा रामबाण उपाय है।

हनुमान चालीसा में न सिर्फ हनुमान जी को उनका बल याद दिलाया जाता है। बल्कि प्रभु श्री राम की शक्ति से हमारा संकट भी दूर करने के लिए कहा जाता है। हनुमान जी श्री राम के अनन्य भक्त हैं। उनकी महिमा सुनकर वो संकट दूर करने के लिए जरूर आते हैं।

1. नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा (Protection from Negative Forces)

माना जाता है कि हनुमान चालीसा भगवान हनुमान के आशीर्वाद का आह्वान करती है, जो बुरी आत्माओं और सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने की क्षमता रखते हैं।

2. बाधाओं को दूर करना (Removal of Obstacles)

कहा जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से निजी, पेशेवर और आध्यात्मिक सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं में समस्याओं और बाधाओं पर काबू पाने में मदद मिलती है।

3. साहस और शक्ति को बढ़ाना (Enhanced Courage and Strength)

हनुमान शक्ति, साहस और वीरता के प्रतीक हैं। माना जाता है कि हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों में ये गुण आ जाते हैं।

4. शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा (Promotion of Physical Health) 

ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा का जाप करने से शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे शरीर को जीवन शक्ति और ऊर्जा मिलती है।

5. मानसिक शांति और स्थिरता (Mental Peace and Stability)

ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा सुनने या पढ़ने से मन शांत होता है, तनाव कम होता है और आंतरिक शांति और मानसिक स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।

6. मनोकामनाओं की पूर्ति (Fulfillment of Wishes)

भक्त अक्सर अपनी इच्छाओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान हनुमान से प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा का सच्चे मन से पाठ करने से इन इच्छाओं को प्रकट करने में मदद मिल सकती है।

7. बेहतर एकाग्रता और फोकस (Improved Concentration and Focus)

हनुमान चालीसा का पाठ भक्ति और एकाग्रता के साथ किया जाता है, जो बदले में जीवन के अन्य क्षेत्रों में एकाग्रता और फोकस को बेहतर बनाने में मदद करता है।

8. आध्यात्मिक विकास (Spiritual Growth)

हनुमान चालीसा न केवल एक प्रार्थना है बल्कि एक आध्यात्मिक पाठ भी है जिसमें बहुमूल्य शिक्षाएं और पाठ शामिल हैं। नियमित पाठ से आध्यात्मिक विकास और आंतरिक परिवर्तन हो सकता है।

9. यात्रा के दौरान सुरक्षा (Protection During Travel)

हनुमान को यात्रियों का रक्षक माना जाता है। माना जाता है कि यात्रा पर निकलने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करने से यात्रा का सुरक्षित और सुगम अनुभव सुनिश्चित होता है।

10. सकारात्मक आभा और वाइब्स (Positive Aura and Vibes)

ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक आभा और कंपन पैदा होता है, जो सकारात्मकता और आशीर्वाद को आकर्षित करता है।

11. दैवीय ऊर्जा के साथ संबंध (Connection with Divine Energy)

अंततः, हनुमान चालीसा का पाठ भगवान हनुमान की दिव्य ऊर्जा से जुड़ने, उनकी कृपा का अनुभव करने और किसी के आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने में मदद कर सकता है।

हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही तरीका (Correct way to recite Hanuman Chalisa):

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें।
  2. ऊनी आसन या कंबल को बिछाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें। 
  3. सामने लाल रंग का कपड़ा बिछाकर हनुमान जी की फोटो उस पर रखें।
  4. अब फोटो के सामने गाय के घी का दीपक जलाकर रख लें। 
  5. हनुमान जी को हनुमान चालीसा सुनने के लिए बुलाएं। 
  6. हनुमान जी की अगरबत्ती से आरती उतारें और ईशान कोण में रख दें। 
  7. तांबे के लोटे में जल भी भरकर साथ रख लें। 
  8. श्रद्धानुसार, 3,7,11 या 21 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। 
  9. पाठ पूरा होने के बाद राम नाम संकीर्तन करते हुए प्रसाद चढ़ाएं।
  10. प्रसाद में गुड़-चना या बूंदी के लड्डू का भोग लगाया जा सकता है।
  11. इसके बाद प्रणाम करते हुए जल को प्रसाद के ऊपर छिड़क दें। 
  12. हनुमान जी से विदा होने की प्रार्थना करें और प्रणाम कर लें।
  13. इसके बाद, प्रसाद ग्रहण करें और उसे अपने परिवार में भी बांटें।

हनुमान चालीसा पाठ में क्या सावधानियां रखनी चाहिए? (What precautions should be taken while reciting Hanuman Chalisa?)

हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी और परम तपस्वी हैं। उनकी चालीसा का पाठ करते समय शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। फिर भी कुछ सामान्य सावधानियां और नियम हैं, जिनका ध्यान हनुमान चालीसा का पाठ करते समय रखना चाहिए।

  • हनुमान चालीसा का पाठ सुबह या शाम के वक्त किया जा सकता है।
  • सुबह पाठ करने से पहले नित्यक्रिया करके स्नान कर लेना चाहिए।
  • शाम को पाठ करने के लिए धुले कपड़े पहन लें।
  • अगर स्नान न करें तो, कम से कम हाथ-पैर जरूर धो लें।
  • हनुमान चालीसा का पाठ बोलकर करना चाहिए।
  • पाठ करते समय वाणी सुमधुर और स्पष्ट होनी चाहिए।
  • पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश को याद करना आवश्यक होता है।
  • पाठ करते वक्त कभी भी जमीन पर न बैठें। हमेशा ऊनी आसन पर बैठें।
  • हनुमान जी की फोटो हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा में लाल वस्त्र बिछाकर ही रखें।

श्री हनुमान चालीसा का मूल पाठ (Original text of Shri Hanuman Chalisa):

दोहा:

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरणहुं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बलधामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरण बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।

तेज प्रताप महा जग वंदन॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

विकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र जी के काज संवारे॥

लाय संजीवन लखन जियाये।

श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।

लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

युग सहस्र योजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहैं तुम्हारी शरना।

तुम रच्छक काहू को डर ना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।

तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।

अस बर दीन्ह जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहौ रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अंतकाल रघुबरपुर जाई।

जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेई सर्ब सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

यह शत बार पाठ कर जोई।

छूटहिं बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥

दोहा

पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥