कैसे बनती हैं महिला नागा साधु?
Mahila Naga Sadhu Kaise Bante hain? महिला नागा साधु बनने के लिए अत्यंत ही कठोर प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है। किसी भी महिला को नागा सन्यासिनी बनने से पहले १०-१५ वर्षो तक पुरे तरीके से मोह माया को त्याग के अपने गुरु को यह सिद्ध करना होता है कि वह अब इस कठिन मार्ग पर पूरी तरह से चलने के लिए तैयार हैं। यह एक ऐसी कठोर साधना है जिसमे न सिर्फ शारीरिक बक्ली मानसिक तपस्या भी करनी पड़ती है।
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महिला नागा साधुओं का जीवन कैसा होता है?
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महिला नागा साधु का जीवन कठिन नियमों वाला होता है। वे पूरी तरह से सांसारिक जीवन त्यागकर आध्यात्मिक जीवन को अपनाती हैं। उनका पूरा दिन पूजा पाठ करने एवं साधना या ध्यान करने में ही निकल जाता है। वे शिव और पार्वती की उपासना करने के साथ-साथ देवी काली की आराधना भी करती हैं। यह सब उन्हें बड़े अनुशाशन के साथ करना होता है।
महिला नागा साधु बनने की कठिन परीक्षा
महिला नागा साध्वी बनने के लिए उन्हें अपना पिंडदान करना पड़ता है एवं अपना सर भी मुंडवाना पड़ता है। यह सब इस बात का प्रतीक होता है कि आप अपने पुराने सांसारिक जीवन को त्यागकर नए आध्यात्मिक जीवन पर आगे बढ़ने के लिए अब तैयार हो। किसी भी महिला के लिए जो नागा साधु बनना चाहतीं हैं, ये दोनों कर्म कांड करना बहुत ज़रूरी है।
महिला नागा साधुओं को क्यों कहा जाता है ‘माता’?
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जब आप इतना त्याग, तपस्या करने के बाद ध्यात्मिक शक्ति हासिल कर लेते हैं तो सभी नागा सन्यासिनिओं को माता कहकर सम्बोधित किआ जाने लगता है। यह सम्बोधन सभी लोगों का उनके प्रति सम्मान को दर्शाता है।
यदि आप नागा साधुओं के बारे में जानना चाहते हैं तो हमरा ये लेख पढ़ें।
वस्त्र और नियम: पुरुष नागा साधुओं से कैसे अलग होती हैं महिला नागा साधु?
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पुरुष नागा साधु तो नग्न अवस्था में रहते हैं किंन्तु महिला साधुओं के लिए ऐसा नियम नहीं होता। सभी महिला नागा साधुओं को केसरिया रंग के वस्त्र धारण करने होते हैं। यह वस्त्र भी सिला हुआ नहीं होना चाहिए अपितु एक ही कपडा होगा जिसे आप इस तरीके से पहनिए कि उससे आपका सारा शरीर ढक जाए। इसके अलावा नागा साधुओं के लिए महा कुम्भ के दौरान एक “माई वाडा” बनाया जाता है, जहाँ वह एक साथ रहती हैं।
महिला नागा साधुओं का खान-पान और दिनचर्या (Mahila Naga Sadhu ka Khan Pan)
महिला नागा साधुओं के आहार में मुख्य रूप से कंद-मूल, फल, जड़ी-बूटियां और कुछ विशेष प्रकार की पत्तियां शामिल होती हैं। वे सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव का जाप करती हैं, दोपहर में भोजन के बाद फिर से साधना में लीन हो जाती हैं, और संध्या को दत्तात्रेय भगवान की आराधना करती हैं।
पीरियड्स में महिला नागा साधुओं के लिए गंगा स्नान का नियम
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महिला नागा साधु कुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में भी भाग लेती हैं, लेकिन उनके लिए कुछ विशेष नियम होते हैं। चूंकि वे केसरिया वस्त्र पहनती हैं, इसलिए पीरियड्स के दौरान वे छोटे वस्त्र का उपयोग कर सकती हैं। इस दौरान वे गंगा में स्नान नहीं करतीं, बल्कि गंगाजल छिड़ककर अपनी पूजा विधि पूरी करती हैं।
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