महाशिवरात्रि 2025: पार्वती के पूर्व जन्म की अद्भुत कथा

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MahaShivRatri 2025: महाशिवरात्रि ऐसा पर्व है जिसदिन शिव भक्त मानते हैं कि भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था परन्तु क्या आप जानते हैं कि शिव जी की पत्नी पार्वती अपने पूर्व जन्म में कौन थीं अगर नहीं तो आइये इस महाशिवरात्रि 2025 पर हम आपको माता पार्वती के पूर्व जन्म की अद्भुत कथा सुनाते हैं, जो भक्ति, प्रेम और तपस्या का अनुपम उदाहरण है।

माता पार्वती का पूर्व जन्म: देवी सती की कथा

माता पार्वती का पूर्व जन्म देवी सती के रूप में हुआ था, वे भी पार्वती की तरह ही दुर्गा माता का ही अवतार थीं। सती का जन्म प्रजापति दक्ष के यहाँ हुआ था जो कि भगवान ब्रह्मा के पुत्र थे। दक्ष अपने पिता के अपमान के कारण शिव से नफरत करते थे किन्तु उनकी पुत्री शिव की भक्त थी, यहाँ तक कि सती ने अपनी भक्ति से शिव को पति रूप में प्राप्त करने का वरदान पा लिया था। सती एवं शिव दोनों विवाह के बाद ख़ुशी से कैलाश पर रहने लगे किन्तु उनके इस विवाह से दक्ष बिलकुल भी खुश नहीं थे।

दक्ष यज्ञ और सती का बलिदान

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Credit: Clear Holidays

एक बार राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के लिए दक्ष ने सभी सप्त ऋषिओं को, देवताओं को आमंत्रित किआ यहाँ तक कि श्री विष्णु को भी बुलावा भेजा किन्तु अपने जमाता भगवान शिव को न्योता नहीं भेजा। जब सती को ये बात ज्ञात हुई तो उन्होंने शिव से अपने पिता के यहाँ यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी। शिवजी ने उन्हें समझाया कि बिना निमंत्रण वहां जाना उचित नहीं होगा, लेकिन सती अपने मायके जाने के लिए अडिग रहीं।

जब वे यज्ञ स्थल पर पहुंचीं, तो वहां उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया और कटु वचन बोले। यह सुनकर सती अत्यंत दुखी हुईं। वे अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकीं और क्रोधित होकर यज्ञ की अग्नि में स्वयं को भस्म कर लिया।

इस घटना से भगवान शिव इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने अपने वीरभद्र रूप को जागकर पुरे यज्ञ को ही भस्म कर दिया एवं स्वयं गहरे ध्यान में चले गए।

सती का पुनर्जन्म: पार्वती के रूप में जन्म

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Credit: Her Zindagi

देवी सती का यह बलिदान व्यर्थ नहीं गया। उनके बिना भगवान शिव ने योग साधना में लीन रहना शुरू कर दिया। इस कारण सृष्टि का संतुलन बिगड़ने लगा।

उधर, सती ने पुनर्जन्म लेने का संकल्प लिया और राजा हिमालय व रानी मैना के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। वे बचपन से ही शिवजी को अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं और पुनः उन्हें प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने लगीं। उनकी तपस्या इतनी कठिन थी कि स्वयं देवताओं को हस्तक्षेप करना पड़ा।

आखिरकार, भगवान शिव पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उनका विवाह संपन्न हुआ। यही कारण है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

शिव पार्वती के विवाह की कथा पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करके हमारा आर्टिकल पढ़ें

MahaShivRatri 2025 से जुड़ा सामान्य प्रश्न (FAQ)

देवी पार्वती पिछले जन्म में कौन थीं?

देवी पार्वती का पूर्व जन्म देवी सती के रूप में हुआ था। वे प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं और भगवान शिव की अर्धांगिनी थीं।

देवी सती के पिता का नाम क्या था?

देवी सती के पिता का नाम प्रजापति दक्ष था, जो ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे।

वीरभद्र कौन थे?

वीरभद्र भगवान शिव के एक उग्र और शक्तिशाली गण थे, जिन्हें दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने के लिए शिवजी ने प्रकट किया था।

देवी सती ने खुद को क्यों जलाया?

राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव के अपमान को सहन न कर पाने के कारण देवी सती ने यज्ञ की अग्नि में स्वयं को भस्म कर लिया।

दक्ष शिव से नफरत क्यों करते थे?

दक्ष भगवान शिव को योगी और औघड़ मानते थे और उनकी तपस्वी जीवनशैली से असंतुष्ट थे। इसी कारण वे शिव से द्वेष रखते थे।