सोमवार को शिव चालीसा के पाठ से प्रसन्न होंगे भगवान भोलेनाथ

Shiv Chalisa

भगवान शिव हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख देवताओं में से एक हैं, और उन्हें उनके लाखों भक्तों द्वारा प्रेम और भक्ति के साथ पूजा जाता है। उन्हें भोले नाथ या भोले शंकर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के सच्चे प्रेम से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। शिव चालीसा का पाठ भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है। आइए जानते हैं, शिव चालीसा के पाठ से जुड़े कुछ लाभ और इसके महत्व के बारे में।

शिव चालीसा: एक संक्षिप्त परिचय

शिव चालीसा भगवान शिव को समर्पित एक धार्मिक भजन है, जिसमें चालीस चौपाइयां या छंद शामिल होते हैं। यह शिव पुराण से लिया गया है और भगवान शिव के गुणों, उनकी महिमा और उनके आशीर्वाद को संजोता है। ऐसा माना जाता है कि शिव चालीसा का नियमित और श्रद्धा के साथ पाठ करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं और बाधाएं दूर हो सकती हैं। यह एक अद्भुत साधन है, जिससे आप भगवान शिव का आशीर्वाद प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकते हैं।

चालीसा का महत्व

हिंदू धर्म में, प्रार्थना या भजन का विशेष स्थान है। “चालीसा” का पाठ देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का एक गहन तरीका माना जाता है। शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। यह भक्तों को भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति को प्रकट करने का एक सरल और प्रभावी तरीका प्रदान करता है। शिव चालीसा का पाठ करना सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सरल और प्रभावशाली है, चाहे वह युवा हो या वृद्ध, पुरुष हो या महिला। इसे पढ़ने में कुछ ही मिनट लगते हैं और इसे घर पर भी किया जा सकता है।

भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सरल मार्ग

भगवान शिव को प्रसन्न करना सरल है, क्योंकि वे अपने भक्तों के सच्चे प्रेम और भक्ति से जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं। शिव चालीसा का नियमित पाठ करना एक ऐसा उपाय है, जिससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। खासकर सोमवार के दिन शिव चालीसा का पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।

शिव चालीसा का पाठ करने के लाभ

  1. सभी समस्याओं का समाधान: शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और समस्याएं दूर हो जाती हैं।
  2. आध्यात्मिक शांति: शिव चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक तनाव दूर होता है।
  3. भगवान शिव की कृपा: शिव चालीसा के माध्यम से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता मिलती है।
  4. नकारात्मकता से मुक्ति: शिव चालीसा का पाठ नकारात्मक शक्तियों से बचाता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

आध्यात्मिक उन्नति: यह पाठ आत्मिक उन्नति और भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति विकसित करता है।

श्री शिव चालीसा

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4

मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8

देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20

एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

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कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28

धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32

नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36

पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा ।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥

आज के युग में शिव चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भक्त अपने जीवन में पैदा हुई कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए श्री शिव चालीसा का नियमित पाठ करते हैं। श्री शिव चालीसा के पाठ से आप अपने दुखों को दूर कर भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। 

शिव चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद करना चाहिए। भक्त प्रायः सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, त्रयोदशी व्रत एवं सावन के पवित्र महीने के दौरान शिव चालीसा का पाठ खूब करते हैं।