हनुमान जन्मोत्सव: पूजा विधि और दो बार मनाने का रहस्य

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Hanuman Jayanti 2025: भगवान हनुमान हिन्दू धर्म के ऐसे अद्वितीय देवता हैं जिनकी पूजा बच्चे हों, बड़े हों या बूढ़े हों सब करते हैं। उन्हें ‘अंजनी पुत्र’, ‘बजरंगबली’, ‘मारुति’, और ‘पवनपुत्र’ जैसे कई नामों से जाना जाता है। वे चिरंजीवी हैं, अर्थात् अमर हैं और इसीलिए उन्हें आज भी जीवित माना जाता है।

भक्तजन उन्हें संकटमोचन के नाम से भी पुकारते हैं क्यूंकि हनुमान जी की पूजा करने से सभी कष्टों और भय से मुक्ति मिल जाती है। हनुमान जी का नाम स्मरण करने मात्र से भय दूर होता है और आत्मबल की प्राप्ति होती है। हनुमान जी की पूजा प्रत्येक मंगलवार को और शनिवार को उनके भक्त बड़े प्रेम भाव से करते हैं और उससे भी अधिक धूमधाम से उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है तो आइये हनुमान जी के जन्मोत्सव के बारे में जानते हैं।

हनुमान जन्मोत्सव साल में दो बार क्यों मनाया जाता है?

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Credit: Iskcon Banglore

हनुमान जन्मोत्सव वर्ष में दो बार मनाया जाता है एक बार उत्तर भारत में और एक बार दक्षिण भारत में। उत्तर भारत में यह चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे हनुमान जी का अवतरण दिवस माना जाता है। वहीं, दक्षिण भारत में कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को यह उत्सव मनाया जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि देवी सीता ने हनुमान जी को इसी दिन अमरत्व का वरदान दिया था।

उत्तर भारत में इसे “हनुमान जन्मोत्सव” या “हनुमान जयंती” के रूप में मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे उनके ‘अमरत्व’ की स्मृति में पूजा जाता है। यह अंतर धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का परिणाम है, जो क्षेत्रीय विविधताओं के अनुसार विकसित हुआ है।

साल 2025 में हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Jayanti) 12 अप्रैल को मनाया जाएगा।

वैसे हमने अपने एक पहले के लेख में बताया है की क्यों इसे हनुमान जन्मोत्सव कहना सही है और हनुमान जयंती कहना गलत, अगर आप भी वह लेख पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करके पढ़ें

हनुमान जी का योगदान त्रेता और द्वापर युग में

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Credit: Amazon

त्रेता युग में हनुमान जी का जन्म भगवान श्री राम के कार्य पुरे करने के लिए हुआ। श्री हनुमान जी भगवन शिव के रूद्र रूपों में से एक हैं और शिव और विष्णु दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं इसीलिए जब श्री हरी विष्णु ने रावण का वध करने के लिए मानव रूप में अवतार लिया तब भगवन शिव ने भी उनकी सहायता करने के लिए वानर रूप में जन्म लिया। हनुमान जी ने त्रेता युग में कई असंभव कार्य करके श्री राम के प्रति उनकी भक्ति साबित की, उनमें से कुछ कार्य इस प्रकार है;

  • हनुमान ने श्री राम की भेंट सुग्रीव से कराई जिससे की वह माता सीता की खोज कर सकें
  • जब समुद्र पर करके कोई भी लंका जाने का साहस नहीं दिखा पा रहा था तब हनुमान जी ने एक ही छलांग में समुद्र पार करके लंका जाके सीता माता को ये खबर दी की श्री राम बहुत ही जल्द आपको बचाने के लिए आएँगे
  • हनुमान जी ने लंका के राजा रावण के सबसे बड़े पुत्र अक्षय कुमार का वध किया
  • जब अहिरावण ने श्री राम और उनके भाई लक्ष्मण को पातळ लोक में ले जाकर कैद कर दिया तब हनुमान जी ने ही पंचमुखी रूप धारण करके अहिरावण का वध किया और दोनों भाइयों को मुक्त कराया
  • जब रावण के पुत्र इंद्रजीत ने राम और लक्ष्मण को नाग पाश में बांध दिया था तब हनुमान जी ने ही गरुड़ देव की सहायता से उन दोनों के प्राण बचाए थे
  • इसी प्रकार जब इंद्रजीत ने शक्ति का प्रहार करके लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया तब हनुमान जी ने ही सूर्योदय से पहले संजीवनी पर्वत लाकर लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की थी

द्वापर युग में भी हनुमान जी ने महाभारत काल में भीम और अर्जुन से भेंट की। भीम उनके भाई थे (दोनों वायु पुत्र) और अर्जुन को उन्होंने श्रीराम से पुल बनवाने की कथा सुनाकर विनय का पाठ पढ़ाया और अर्जुन के घमंड को चकनाचूर किया । युद्ध के समय अर्जुन के रथ के ध्वज पर उनका निवास था, जिससे अर्जुन को विजय प्राप्त हुई।

हनुमान जन्मोत्सव पर पूजन विधि (Hanuman Jayanti 2025 Puja Vidhi)

  • स्नान और संकल्प: इस दिन प्रातःकाल स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें।
  • हनुमान मंदिर में दर्शन: यदि संभव हो तो हनुमान मंदिर जाकर दर्शन करें, सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
  • पूजा सामग्री: घर में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उन्हें सिंदूर, चमेली का तेल, चावल, गुड़, नारियल, फल, फूल, लाल कपड़ा, दीपक, धूप, नैवेद्य, तुलसी पत्ता आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करें।
  • अंत में हनुमान जी की आरती करें और गुड़-चने या गुलदाने का भोग लगाएं।

कई भक्त इस दिन उपवास भी करते हैं और कई भक्त इस दिन सब्जी पूरी या हलवे का प्रसाद भी बंटवाते हैं।