Vinayak Chaturthi: विनायक चतुर्थी क्या है? जानिए पूजा विधि और कथा

विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) वह व्रत है, जो प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित होता है। विनायक चतुर्थी पर गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। साथ ही साथ शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए इनका व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से आय, वृद्धि, सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है। इसके अलावा आपके जीवन में मौजूद सभी प्रकार के दुख और संकट भी दूर हो जाते हैं, इसलिए भक्त भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। तो चलिए जानते हैं विनायक चतुर्थी करने की पूजा विधि और इसके शुभ मुहूर्त के बारे में…

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त

विनायक चतुर्थी आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष 6 अक्टूबर को यह तिथि पढ़ रही है, जो कि सुबह 7:49 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 7 अक्टूबर को सुबह 9:45 पर होगा। अगर बात करें चंद्र के अस्त होने की तो इस दिन शाम 7:53 पर चंद्र अस्त होगा। इस व्रत का पालन करने वाले भक्त 6 अक्टूबर को विनायक चतुर्थी व्रत रख सकते हैं।

विनायक चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी जिसे विनय की चतुर्थी भी कहा जाता है। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। जो भी भक्त सच्चे श्रद्धा और मन से विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं और भगवान गणेश को प्रसन्न करते हैं उन्हें भगवान गणेश प्रसन्न होकर ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं।

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विनायक चतुर्थी पूजन विधि

अगर आप विनायक चतुर्थी का व्रत कर रहे हैं तो आप सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लाल रंग के कपड़े पहनकर सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान गणेश के मंदिर में एक नारियल और मोदक से बने प्रसाद लेकर जाएं। उसके बाद उन्हें गुलाब के फूल और दूर्वा चढ़ाएं और ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का 27 बार जाप करें। इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से उनकी आरती करें। दोपहर में पूजा करते वक्त आप अपने घर में अपने सामर्थ्य के अनुसार तांबा, सोने या चांदी, पीतल और मिट्टी से बने गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद श्री गणेश की आरती कर उन्हें मोदक का भोग लगाएं और इस प्रसाद को सभी बच्चों में बांट दें।

हर महीने पड़ती है दो चतुर्थी

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती है। एक पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी और दूसरी अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाले चतुर्थी। पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है और अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। एक साल में लगभग 12 से 13 विनायकी चतुर्थी होती है। वहीं भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में विनायकी चतुर्थी के त्यौहार को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है