हनुमान जी ऐसे देव हैं जो न सिर्फ बड़ों को बल्कि बच्चों को भी प्रिय हैं, बजरंगबली के किस्से कहानियां बचपन से ही घरों में सुनाए जाते हैं कैसे उन्होंने एक छलांग में पूरा समुद्र पर कर दिया, कैसे उन्होंने रावण की सोने की लंका में आग लगा दी, कैसे वो एक ही रात में दक्षिण से उत्तर तक जाके लक्ष्मण जी को बचाने के लिए पूरा पर्वत उठाकर ले आए।
हनुमान जी की सच्ची भक्ति से पूजा करने से बल, बुद्धि, विद्या तो प्राप्त होती ही है साथ ही साथ समर्पण की भावना का भी विकास होता है। तो इसी समर्पण की भावना के साथ आइये हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav 2025) के बारे में जानते हैं जिसे हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2025) के नाम से भी जाना जाता है।
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हनुमान जन्मोत्सव कब मनाया जाता है? (Hanuman Jayanti Kab Hai)
हनुमान जन्मोत्सव चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल हनुमान जन्मोत्सव यानी चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है। ऐसे में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व 12 अप्रैल को मनाया जाएगा।
हनुमान जी का जन्म कहाँ हुआ था?

हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर हमेशा दुविधा बनी रहती है, कुछ लोगों का मन्ना है कि हनुमान जी का जन्म अंजनाद्री पर्वत पर हुआ था जो कि कर्नाटक, हम्पी में स्थित है वहीं कुछ लोगों का मन्ना है कि हनुमान जी का जन्म महाराष्ट्र में स्थित अंजनेरी एक जगह है वहां हुआ था। अभी हाल फिलहाल में यूट्यूब वीडियोस और इंस्टग्राम रील्स की वजह से अंजनेरी की महानता बहुत बढ़ती चली जा रही है।
हनुमान जी की मंगलवार की व्रत कथा जानने के लिए हमारा ये लेख पढ़ें।
हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ था?
हनुमान जी की माता का नाम देवी अंजना और पिता का नाम केसरी थे। कथाओं के अनुसार अंजना एक अप्सरा थीं जो श्रापवश वानरी रूप में जन्मी थीं। उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की और उनसे उनके ही जैसा तेजवान पुत्र प्राप्त करने का वरदान प्राप्त किया। उसी समय राजा दशरथ द्वारा किए गए पुत्रेष्टि यज्ञ के फल का एक भाग पवन देव के माध्यम से अंजना तक पहुंचा, जिससे हनुमान जी का जन्म हुआ। इन्हीं कारणों के वजह से हनुमान जी को पवनपुत्र भी कहा जाता है।
जयन्ती और जन्मोत्सव में क्या अंतर है? (Jayanti or Janmotsav me kya fark hai)
सनातन धर्म को मानने वाले बहुत से लोगों को जयंती एवं जन्मोत्सव में क्या फर्क होता है ये नहीं पता और वो इसीलिए इस पर्व को हनुमान जयंती के नाम से जानते हैं जो कि गलत है, आइये हम यहाँ इनके दोनों के बीच का फर्क जानने के प्रयास करते हैं।
“जयन्ती” शब्द उन दिव्य या महान व्यक्तियों के जन्मदिन के लिए प्रयोग होता है जो अब इस लोक में नहीं हैं। जैसे कि महावीर जयंती, गाँधी जयंती।
जबकि “जन्मोत्सव” उन व्यक्तित्वों के लिए प्रयोग होता है जो अब भी जीवित हैं या जिन्हें अमर माना गया है।
चूंकि हनुमान जी को चिरंजीवी (अमर) माना जाता है, इसलिए उनके जन्मदिन को हनुमान जयंती नहीं बल्कि हनुमान जन्मोत्सव कहा जाता है।
क्या हनुमान जी अमर हैं?
हाँ, हनुमान जी को भगवान श्रीराम ने स्वयं अमरत्व का वरदान दिया था। उन्हें अष्ट चिरंजीवियों में स्थान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि जब तक धरती पर रामकथा रहेगी, तब तक हनुमान जी इस लोक में उपस्थित रहेंगे और अपने भक्तों की रक्षा करते रहेंगे।
हनुमान जी की पूजा कैसे करें?

हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान जी के भक्त;
- उपवास रखते हैं
- हनुमान चालीसा और सुंदरकांड एवं बजरगबान का का पाठ करते हैं
- मंदिरों में जाकर उन्हें सिंदूर, चोला, चमेली का तेल और प्रसाद अर्पित करते हैं
- क्यूंकि हनुमान जी राम जी के सेवक हैं और राम नाम सुनकर प्रस्सन हो जाते हैं इसलिए कई भक्त इस दिन राम जी की भी पूजा करते हैं।
- भक्त इस दिन विशेष रूप से मंगल दोष, शनि दोष और भय से मुक्ति की प्रार्थना भी करते हैं
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