अक्षय तृतीया 2025: महत्व, तिथि और यह क्यों मनाई जाती है

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अक्षय तृतीया क्या है?

अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) हिन्दू पंचांग के अनुसार आने वाला एक महत्वपूर्ण और शुभ दिन हैं जिसे अखा तीज भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग या हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से ये दिन वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। हिन्दू धर्म में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है और ऐसा माना जाता है कि यह तिथि बहुत फलदायी है।

‘अक्षय’ शब्द दो शब्दों से मिलके बना है “अ” और “क्षय” जिसमे क्षय का मतलब है नष्ट होना और इसके आगे अ लग जाने से इसका अर्थ बन जाता है वो जो कभी क्षय न हो या यूँ कहिए वो जो कभी नष्ट न हो। इसकी वास्तविक कहानी तो महाभारत काल से जुडी हुई है किन्तु इस दिन और भी बहुत महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं, इसीलिए ये दिन इतना शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए पुण्य, दान, स्नान, जप, तप, हवन आदि का फल अक्षय रहता है।

अक्षय तृतीया 2025 कब है? (Akshaya Tritiya Kab Hai)

वर्ष 2025 में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) बुधवार, 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन त्रेतायुग का आरंभ भी हुआ था और यह दिन विष्णुजी के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है? (Akshaya Tritiya Kyu Manate Hain)

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अक्षय तृतीया के दिन कई ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाएं घटी थीं, जिनके कारण यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है आइये उनको एक एक करके जानते हैं;

  • इस तिथि को भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। अतः यह तिथि परशुराम जयंती के रूप में भी मनाई जाती है। भगवान परशुराम को चिरन्जीविओं में से एक माना जाता है जिसका मतलब ये हुआ कि वो इस कलियुग में भी अमर हैं। कहते हैं कि परसुराम जी आज भी महेंद्र पर्वत पर तप कर रहे हैं।
  • मान्यता यह भी है कि इसी तिथि को त्रेतायुग का आरंभ हुआ था। यह वही युग है जिसमें भगवान राम का जन्म हुआ था और उन्होंने दुष्ट रावण का वध किया था।
  • महाभारत से जुड़ी एक घटना ऐसी भी है कि एक बार पांडव वनवास में थे और तब उनके यहाँ श्री कृष्ण ने आकर द्रौपदी से कुछ खाने को माँगा, उस दिन पांडवों के यहाँ कुछ खाने को नहीं बचा था इसलिए द्रोपदी ने जो पात्र में एक ही चावल का दाना था वो खाने को दिया। अब क्यूंकि वो एक दाना भी इतने प्रेम और भाव से दिया गया था कि श्री कृष्ण का पेट वो एक दाना खाने से ही भर गया। इस प्रेम भाव से प्रस्सन होकर श्री कृष्ण ने द्रोपदी को एक अक्षय पात्र दिया, ये एक ऐसा पात्र था जिसमे भोजन कभी भी समाप्त नहीं होता था।
  • महाभारत से जुडी हुई एक घटना ये भी है कि इसी दिन ऋषि वेदव्यास ने और भगवान गणेश ने महाभारत लिखने का काम शुरू किया था।
  • ऐसा माना जाता है कि इसी दिन कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया और उन्हें अपार धन प्राप्त हुआ।
  • कुछ परंपराओं में यह भी माना जाता है कि गंगा माता इसी दिन धरती पर अवतरित हुई थीं।

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का महत्व (Akshaya Tritiya Mahatva)

akshaya tritiya ka mahatva
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इस दिन किए गए पूजा-पाठ, दान, जप-तप का फल कभी क्षय नहीं होता इसीलिए इसे ‘सर्वसिद्धि योग’ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से सोना, चांदी, अन्न, वस्त्र, जल और गाय का दान अत्यंत शुभ माना जाता है।

Akshaya Tritiya को विवाह, गृह प्रवेश, नई संपत्ति खरीदने, व्यापार की शुरुआत जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत बिना मुहूर्त देखे की जा सकती है।

इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान को तुलसी पत्र और पंचामृत से स्नान कराकर खीर, फल और मिष्ठान्न अर्पित किया जाता है।

अक्षय तृतीया के अन्य धार्मिक पक्ष:

जैन धर्म में यह तिथि भगवान ऋषभदेव के पहले आहार (इक्षु रस) से जुड़ी है। जैन अनुयायी इस दिन व्रत रखते हैं और धर्म कार्यों में संलग्न रहते हैं।

यह दिन देवी अन्नपूर्णा का प्राकट्य दिवस भी माना जाता है। अतः अन्न का दान विशेष रूप से महत्व रखता है।

अक्षय तृतीया से जुड़ी कुछ परंपराएं:

  • सोना खरीदना: इस दिन सोना या चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि और लक्ष्मी का वास होता है।
  • गृहस्थ जीवन की शुरुआत: अक्षय तृतीया पर विवाह करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। कई क्षेत्रों में सामूहिक विवाह समारोहों का आयोजन भी इस दिन किया जाता है।
  • कृषि की शुरुआत: किसानों के लिए भी यह दिन विशेष होता है। कई स्थानों पर किसान खेत की पहली जुताई इसी दिन करते हैं।