माता बगलामुखी की उत्पत्ति, स्वरूप, महिमा, पूजन विधि

माता बगलामुखी या बगला की सनातन धर्म में बड़ी मान्यता है। प्राचीन वैदिक तंत्र में 10 महाविद्याओं का वर्णन मिलता है। ये वो देवियां हैं, जिनका पूजन तांत्रिक शक्ति या सिद्धि प्राप्त करने के लिए करते थे।

10 महाविद्याओं में माता बगलामुखी का भी उल्लेख मिलता है। माता 10 महाविद्याओं में प्रमुख हैं और स्त्री रूप में भक्तों पर कृपा करती हैं । देवी बगलामुखी अपने भक्त की गलतफहमियों, भ्रमों और शत्रुओं को अपने मुग्दर से नष्ट कर देती हैं।

“बगला” या “वल्गा” संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ – लगाम कसना या लगाम लगाना होता है। बाद में ये शब्द अपभ्रंश होकर “वागला” और फिर “बगला” बन गया। देवी के 108 अलग-अलग नाम हैं। कुछ विद्वान ऐसा मानते हैं कि, माता के 1108 नाम हैं। 

माता बगलामुखी की मान्यता न सिर्फ उत्तर भारत बल्कि दक्षिण भारत, उत्तर पूर्वी राज्यों और नेपाल में भी है। उत्तर भारत में माता बगलामुखी को पीतांबरी के नाम से भी जाना जाता है। ये नाम माता के पीले रंग और पीली वस्तुओं से विशेष प्रेम के कारण भी दिया गया है।

माता बगलामुखी का स्वरूप अति दिव्य है। वह विभिन्न रत्नों से सुसज्जित पीले खंभों वाले स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। माता के तीन विशाल नेत्र हैं, जो बताते हैं कि, वह भक्त को परम ज्ञान प्रदान कर सकती हैं।

माता बगलामुखी की उत्पत्ति कैसे हुई?

माता बगलामुखी की उत्पत्ति के संबंध में शास्त्रों में दो कथाओं का वर्णन मिलता है।

पहली कथा के अनुसार, सतयुग में एक महाप्रलय आई थी। इस प्रलय के कारण संसार जलमग्न होने लगा। सृष्टि के रचयिता परमपिता ब्रह्मा ने भगवान विष्णु से संसार की रक्षा करने की प्रार्थना की। प्रार्थना सुनकर सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु भी चिंतित हो उठे।

भगवान विष्णु ने संकट के समाधान के लिए हल्दी के समान पीले रंग वाले हरिद्रा सरोवर के तट पर महाशक्ति को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर, देवी प्रकट हुईं। 

उन्होंने सरोवर के जल से ही अपने अंश से हल्दी के समान पीले रंग वाली माता बगलामुखी को प्रकट किया। माता बगलामुखी ने ही तूफान को शांत किया अैर ब्रह्मांड का कामकाज पहले की तरह ही चलने लगा।

एक अन्य कथा में बताया गया है कि, मदन नाम के राक्षस ने कड़ी तपस्या करके भगवान शिव से वाकसिद्धि प्राप्त कर ली। वरदान प्राप्त करने के बाद, मदन राक्षस को अहंकार हो गया। वह जो भी कह देता था, वह सच हो जाता था। 

अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए वह मनुष्यों को परेशान करने लगा। देवताओं ने माता बगलामुखी से रक्षा करने की प्रार्थना की। देवताओं को रक्षा का आश्वासन देते हुए माता बगलामुखी ने राक्षस से भयंकर युद्ध किया। 

युद्ध के बीच में ही देवी ने राक्षस की जीभ पकड़ ली और उसकी बोलने की शक्ति स्थिर कर दी। मदन ने मरने से पूर्व देवी से वरदान मांगा कि, उसकी पूजा भी देवी के साथ ही की जाए। देवी ने उसे मारने से पहले ये वरदान भी दे दिया।

यही कारण है कि, दिव्य स्वरूप में कमल पर बैठी हुई माता बगलामुखी के एक हाथ में मुग्दर दिखता है, तो दूसरे हाथ से वह राक्षस मदन की जीभ को हाथ से पकड़कर खींचती हुई दिखती हैं।

माता बगलामुखी का स्वरूप कैसा है?

भारत में स्थित बगलामुखी मंदिरों में अधिकतर देवी के द्विभुजा या दो हाथ वाली देवी की ही मूर्तियां मिलती हैं। लेकिन, कुछ दुर्लभ स्थानों पर चार हाथ वाली मूर्ति की स्थापना भी की गई है। देवी की ​दो हाथ वाली मूर्ति को ही माता का सौम्य रूप समझा जाता है। 

माता ​बगलामुखी कमल के फूल पर बैठी हैं। उनके दाहिने हाथ में एक मुग्दर है, जिससे वह राक्षस को पीट रही हैं। जबकि, उनके बाएं हाथ में राक्षस की जीभ है। देवी का ये रूप सर्वपूजित है और उनके भक्तों के बीच इसी रूप की मान्यता भी है। 

कई तांत्रिक ग्रंथों जैसे तंत्रसार में माता ​बगलामुखी के स्वरूप का वर्णन मिलता है। तंत्रसार के अनुसार, माता बगलामुखी एक वेदी में समुद्र के बीच एक सुनहरे सिंहासन पर विराजमान हैं। आपका रंग और वस्त्र हल्दी की तरह पीले हैं। उन्होंने पीले फूलों की माला को धारण कर रखा है और सोने के गहनों से पूरी तरह से सजी हुईं हैं।

माता बगलामुखी बाएं हाथ से राक्षस मदन की जीभ खींचती है, जबकि दाहिना हाथ उठाकर उस पर मुग्दर से वार करती हैं। एक अन्य वर्णन में कहा गया है कि उनकी चार भुजाएं और एक तीसरी आंख है। उनके माथे पर पीला अर्धचंद्र शोभायमान है।

माता बगलामुखी की उपासना क्यों की जाती है?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शक्ति के बिना ब्रह्मांड के संहारकर्ता शिव भी मात्र ‘शव’ ही रह जाते हैं। देवी पूजन में एक भाव यह भी महत्वपूर्ण है कि, पूजन करने वाला साधक शिशु की तरह माता  से याचना करता है। और मां बच्चे को क्या नहीं देती है?

माता बगलामुखी को स्तम्भन की देवी माना जाता है। यानि कि, दुश्मन को स्तब्ध कर देना या फिर उसके बोलने की शक्ति ​छीनकर उसे चुप करवा देना। माता बगलामुखी के ज्यादातर भक्त कोर्ट-कचहरी के विवाद को जीतने के लिए ही उनकी उपासना करते हैं।

ऐसी मान्यता भी है कि, महाविद्या की अन्य देवियां भी शत्रुओं को परास्त करने के लिए उनकी ही शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनका आह्वान उनके उपासकों द्वारा विभिन्न अनुष्ठानों के माध्यम से किया जाता है।

मां बगलामुखी की पूजा विधि के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें

माँ बगलामुखी मंदिरों के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें