आसानी से याद करने लायक शिव तांडव स्त्रोत्रं

easy to learn and remember shiv tandav stotram

Easy to Learn and Read Shiv Tandav Stotram: ऐसा कहते हैं कि लंका धि पति राजा रावण बड़ा ही विद्वान एवं वेदों का ज्ञाता था। ऐसा भी माना जाता है कि रावण के ऊपर माता सरस्वती कि भी विशेष कृपा थी और इसीलिए वो वीणा वादन एवं संगीत विद्या में भी निपुण था। रावण के इसी संगीत विद्या में पारंगत होने की एक झलक हमें देखने को मिलती है जब हम रावण द्वारा रचित एवं प्रस्तुतित शिव तांडव स्त्रोत्रं पढ़ने की या याद करने की कोशिश करते हैं।
शिव तांडव को याद करने का प्रयास तो कई लोग करते हैं किन्तु वह सफल नहीं हो पते क्यूंकि शिव तांडव के श्लोक याद करने में बड़े ही जटिल हैं किन्तु हमने आपके लिए इन शोलों को विक्छेद करके इन्हें पढ़ने में आसान बना दिया है जिससे कि इसको बड़े ही आसानी से याद किआ जा सक। तो चलिए साथ में पढ़ना शुरू करते हैं।

easy to learn and remember shiv tandav stotram
Credit: 99 Pandit

शिव ताण्डव स्तोत्रम् (Very Easy to Learn Shiv Tandav Stotram Lyrics)

॥ जटा – अटवी – गल – जल – प्रवाह – पावित – स्थले ॥
गले – अवलम्ब्य – लम्बितां – भुजंग – तुंग – मालिकाम् ।
डम – डम – डम – डम – निनाद – वड्ड – मर्व – यं
चकार – चण्ड – ताण्डवं – तनोतु – नः – शिवः – शिवम् ॥१॥


जटा – कटाह – सम्भ्रम – भ्रमन् – निलिम्प – निर्झरी
विलोल – वीचि – वल्लरी – विराज – मान – मूर्धनि
धग – धग – धग – धज – ज्वल – ललाट – पट्ट – पावके
किशोर – चन्द्र – शेखरे – रतिः – प्रतिक्षणं – मम ॥२॥


धरा – धरेन्द्र – नंदिनी – विलास – बन्धु – बन्धुर
स्फुरद् – दिगन्त – सन्तति – प्रमोद – मान – मानसे
कृपा – कटाक्ष – धोरणी – निरुद्ध – दुर्धरा – अपदि
क्वचिद् – दिगम्बरे – मनो – विनोद – मेतु – वस्तुनि ॥३॥


जटा – भुजंग – पिङ्गल – स्फुरत् – फणा – मणि – प्रभा
कदम्ब – कुंकुम – द्रव – प्रलिप्त – दिग्वधू – मुखे
मदान्ध – सिन्धु – रस्फुरत् – त्वगुत्तरीय – मेदुरे
मनो – विनोद – अद्भुतं – बिभर्तु – भूत – भर्तरि ॥४॥


सहस्र – लोचन – प्रभृति – अशेष – लेख – शेखर
प्रसून – धूलि – धोरणी – विधूसर – अङ्घ्रि – पीठ – भूः
भुजंग – राज – मालया – निबद्ध – जाट – जूटक
श्रियै – चिराय – जायतां – चकोर – बन्धु – शेखरः ॥५॥


ललाट – चत्वर – ज्वलद् – धनञ्जय – स्फुलिङ्ग – भा
निपीत – पञ्च – सायकं – नमन – निलिम्प – नायकम्
सुधा – मयूख – लेखया – विराज – मान – शेखरं
महा – कपालि – सम्पद – शिरो – जटाल – मस्तु – नः ॥६॥


कराल – भाल – पट्टिका – धग – धग – धग – धज – ज्वल
धनञ्जय – आहुती – कृत – प्रचण्ड – पञ्च – सायके
धरा – धरेन्द्र – नन्दिनी – कुचाग्र – चित्र – पत्रक
प्रकल्प – नैक – शिल्पिनि – त्रिलोचने – रतिर्मम ॥७॥


नवीन – मेघ – मण्डली – निरुद्ध – दुर्धर – स्फुरत्
कुहू – निशीथि – नीतमः – प्रबन्ध – बद्ध – कन्धरः
निलिम्प – निर्झरी – धरः – तनोतु – कृत्ति – सिन्धुरः
कला – निधान – बन्धुरः – श्रियं – जगत् – धुरंधरः ॥८॥

🛍️ Save Big! Use code DHAROHAR15 to get 15% OFF on your purchase — Limited Time Only!
Shop & Save Now


प्रफुल्ल – नील – पङ्कज – प्रपञ्च – कालिम – प्रभा
वलम्ब – कण्ठ – कन्दली – रुचि – प्रबद्ध – कन्धरम्
स्मर – छिदं – पुर – छिदं – भव – छिदं – मख – छिदं
गज – छिदं – अन्धक – छिदं – तम् – अन्तक – छिदं – भजे ॥९॥


अखर्व – सर्व – मङ्गला – कला – कदम्ब – मञ्जरी
रस – प्रवाह – माधुरी – विजृम्भणा – मधु – व्रतम्
स्मर – अन्तकं – पुर – अन्तकं – भव – अन्तकं – मख – अन्तकं
गज – अन्तकं – अन्धक – अन्तकं – तम् – अन्तक – अन्तकं – भजे ॥१०॥


जयत् – वदभ्र – विभ्रम – भ्रमद् – भुजंग – मश्वस
द्वि – निर्गमत् – क्रम – स्फुरत् – कराल – भाल – हव्यवाट्
धिमिद् – धिमिद् – धिमिध्वनन् – मृदङ्ग – तुङ्ग – मङ्गल
ध्वनि – क्रम – प्रवर्तित – प्रचण्ड – ताण्डवः – शिवः ॥११॥


दृषद् – विचित्र – तल्पयोः – भुजंग – मौक्तिक – स्रजोर्
गरिष्ठ – रत्न – लोष्टयोः – सुहृत् – विपक्ष – पक्षयोः
तृण – अरविन्द – चक्षुषोः – प्रजा – मही – महेन्द्रयोः
समं – प्रवृत्तिकः – कदा – सदाशिवं – भजाम्यहम् ॥१२॥


कदा – निलिम्प – निर्झरी – निकुञ्ज – कोटर – वसन्
विमुक्त – दुर्मतिः – सदा – शिरः – स्थ – मञ्जलिं – वहन्
विमुक्त – लोल – लोचनो – ललाम – भाल – लग्नकः
शिवेति – मंत्र – उच्चरन् – कदा – सुखी – भवाम्यहम् ॥१३॥


इमं – हि – नित्यम् – एव – मुक्तम् – उत्तम – उत्तमं – स्तवं
पठन् – स्मरन् – ब्रुवन् – नरो – विशुद्धिम् – एति – संततम्
हरे – गुरौ – सुभक्तिम् – आशु – याति – न – अन्यथा – गतिं
विमोहनं – हि – देहिनां – सु – शङ्करस्य – चिंतनम् ॥१४॥

हमने इस वीडियो में शिव तांडव के सभी श्लोक याद करके गाकर भी सुनाए हैं

महाशिवरात्रि से जुड़े हुए हमारे और लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें