Gudi Padwa 2025: गुड़ी पड़वा विशेष रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। यह त्यौहार हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक होता है। इसे ‘संवत्सर पाडवो’ भी कहा जाता है। यह त्यौहार हर साल चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। आइये इस त्यौहार के बारे में और भी बहुत कुछ जानते हैं।
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गुड़ी पड़वा कब मनाया जाता है? (Gudi Padwa Kab Manaya Jata Hai)

गुड़ी पड़वा हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। यह वही तिथि जब उत्तर भारत के राज्यों जैसे कि बिहार, दिल्ली,हरयाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में चैत्र नवरात्रों के पहले दिन का व्रत रखा जाता है। यह तिथि आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में आती है। 2025 में गुड़ी पड़वा 30 मार्च को मनाया जाएगा।
Gudi Padwa 2025 किस किस जगह मनाया जाता है
गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से तो महाराष्ट्र में ही बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह पर्व गोवा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी मनाया जाता है। कर्नाटक में इसे ‘युगादी’ और आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में ‘उगादी’ के नाम से जाना जाता है। वहीं, उत्तर भारत में इसे विक्रमी संवत के प्रारंभ के रूप में मनाया जाता है।
गुड़ी पड़वा कैसे मनाया जाता है? (Gudi Padwa Kaise Manate Hain )

गुड़ी पड़वा का उत्सव हर्षोल्लास और धार्मिक विधियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन कई विशेष परंपराएँ निभाई जाती हैं:
गुड़ी की स्थापना:
घरों के मुख्य द्वार या छतों पर एक लंबा बाँस लगाया जाता है, जिसके ऊपर एक पीतल या तांबे का कलश रखा जाता है।
इस पर एक रेशमी कपड़ा लपेटा जाता है और आम के पत्तों, नीम की टहनी और फूलों से इसे सजाया जाता है।
इसे ‘गुड़ी’ कहा जाता है, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक होता है।
स्नान और पूजा:
इस दिन विशेष रूप से अभ्यंग स्नान (तेल मालिश के बाद स्नान) करने की परंपरा है।
इस दिन ब्रह्मा जी, श्री हरी विष्णु एवं माता शक्ति की पूजा करने का विधान बताया जाता है।
विशेष भोजन:
इस दिन पारंपरिक रूप से पूरनपोली, श्रीखंड, और पानक जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं।
इस दिन नीम के पत्तों का सेवन करना शुभ माना जाता है क्यूंकि नीम के पत्ते स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
रंगोली और सजावट:
घरों के आंगन में रंगोली बनाई जाती है।
द्वार पर आम के पत्तों की तोरण लगाई जाती है।
नववर्ष का स्वागत:
लोग नए वस्त्र धारण कर एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।
व्यापारी इस दिन को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत मानते हैं।