भगवान भोलेनाथ को बेल पत्र क्यों है सबसे अधिक प्रिय, जानिए शास्त्रों में वर्णित कथा और महत्व

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌।

त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥

सनातन हिंदू धर्म में शिव भक्ति हैं, शिव ही पूजा हैं। शिव ही ध्येय हैं, शिव ही आराध्य हैं। भगवान भोले नाथ दया और करुणा देवता हैं। वो देवों के देव महादेव हैं। वे आदि हैं, अंत हैं। सृष्टि उनसे है सृष्टि उनमें है। 

भगवान भोले नाथ अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। तभी तो उनकी पूजा अर्चना और तपस्या मनुष्य, देव, गंधर्व, किन्नर, दानव, असुर और राक्षस सभी करते हैं। भगवान शिव  के लिए सभी भक्त समान हैं। वो अपने भक्तों में भेद नहीं करते। 

भगवान शिव सबके मन में निवास करते हैं। यूं तो भगवान नीलकंठ केवल सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं, परंतु शिवजी को प्रिय वस्तुओं का भोग लगाकर विशेष फल प्राप्त किया जा सकता है।

भगवान शंकर को बेल पत्र सबसे प्रिय है।  इसलिए बेल पत्र चढ़ाने से महादेव अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं।

इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको हिन्दू धर्म शास्त्रों में बताए गए बेल पत्र के महत्व और कथा के बारे में जानकारी देंगे। इस आर्टिकल को पढ़कर आप भी जान जाएंगे कि, भगवान शिव को आखिरकार बेल पत्र इतना प्रिय क्यों है?

धर्म ग्रंथों में वर्णित बेल पत्र की महिमा

अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूज्यै शिव शंकरम्‌।
कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥

सनातन हिंदू धर्म में भगवान शिव को बेल पत्र विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि, बेल पत्र शिव की ऊर्जा को अवशोषित करता है और जब इसे भगवान को अर्पित किया जाता है, तो भक्त इसका कुछ हिस्सा अपने साथ घर ले जाते हैं। 

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बेल पत्र के पेड़ की जड़ों के नीचे स्नान करना ब्रह्मांड के सभी पवित्र जल में स्नान करने के बराबर है, जिससे व्यक्ति पवित्र और दिव्य बन जाता है।

बेल पत्र के महत्व की पौराणिक कथा

शिव पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले विष के कारण संसार पर संकट मंडराने लगा था। तब भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष को गले में धारण कर लिया। इससे शिव के शरीर का तापमान बढ़ने लगा और पूरी सृष्टि आग की तरह तपने लगी। 

इस कारण धरती के सभी प्राणियों का जीवन कठिन हो गया। सृष्टि के हित में विष के असर को खत्म करने के लिए देवताओं ने शिव जी को बेल पत्र खिलाए। बेल पत्र खाने से विष का प्रभाव कम हो गया, तब से ही शिव जी को बेल पत्र चढ़ाने की प्रथा बन गई।

शास्त्रों में वर्णित बेल पत्र का महत्व

बेल पत्र एक त्रिपर्णी पत्ता है जो कि, भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की तीन आंखों का प्रतीक है। ये तीन आंखें या शक्तियां निर्णय लेने, कार्य करने और ज्ञान से जुड़ी हैं। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि बेल के पेड़ में साक्षात भगवान शिव वास करते हैं।

भोले नाथ को इस पेड़ के फल फूल और पत्ते सबसे अधिक प्रिय हैं। कहा जाता है कि बेल पेड़ के पूजन करने से गरीबी दूर होती है। बेलपत्र इतना शुभ पेड़ है कि इसके दर्शन और स्पर्श मात्र से पुण्य का सबसे अधिक संचय होता है। 

सारे बुरे कर्मों का फल कट जाता है। घर में बेल का पेड़ से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है साथ ही घर के वास्तु दोष भी दूर होता है। बेल का पेड़ पूज्य तो है ही साथ ही इसका फल स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना जाता है।

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय।।