Sharda Puja: जानिए, शारदा पूजा का महत्व और कथा

दीपावली पर्व में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। वहीं देवी सरस्वती की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। सरस्वती मां को हिंदू धर्म में विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है। माना जाता है कि उनकी पूजा मात्र से बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है। मां सरस्वती का एक नाम शारदा भी है। गुजरात में मां शारदा की पूजा का विशेष महत्व है, जिसे शारदा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। चलिए जानते है शारदा पूजा का महत्व और कथा के बारे में…

शारदा पूजा का महत्व क्या है?

मां सरस्वती जिन्हें मां शारदा भी कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार यह माना जाता है कि देवी लक्ष्मी से प्राप्त धन और समृद्धि तभी आपके पास रूकती है जब व्यक्ति के पास बुद्धि और ज्ञान दोनों हो। इसलिए देवी लक्ष्मी के साथ-साथ मां सरस्वती की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। ज्ञान और विद्या के बिना मनुष्य के पास मौजूद संपत्ति और समृद्धि उसकी जीवन में ज्यादा समय तक नहीं रह सकती, इसलिए दीपावली के दिन देवी शारदा की भी पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह पूजा केवल विद्यार्थियों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि व्यापारी वर्ग में भी इसकी अलग मान्यता है। गुजरात में शारदा पूजा को चोपड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

शारदा पूजा करने की विधि

मां शारदा की पूजा करना बेहद प्रभावशाली माना जाता है। इसे पूरे विधि विधान से करने से विद्या, बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। मां शारदा की पूजा करने के लिए सबसे पहले आप नहाकर साफ कपड़े पहनें। अब एक साफ चौकी लें और उस पर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। इसके बाद चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और मां शारदा की मूर्ति का चित्र स्थापित करें। इसके बाद मां शारदा को सफेद या पीले रंग के पुष्प चढ़ाएं और सफेद चंदन लगाएं और मिठाई चढ़ाएं। अगर उनकी पूजा में आप ‘सरस्वती यंत्र’ स्थापित करें तो यह और भी शुभ माना जाता है। मां शारदा की पूजा शाम के समय की जानी चाहिए, इससे पहले भगवान गणेश की विधि वत पूजा कर फिर मां शारदा की पूजा करें। पूजा के दौरान ‘ ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र का जाप करें।

अगर आप मां शारदा की पूजा कर रहे हैं तो पूजा करते समय उनके वाद्य यंत्र के साथ-साथ पुस्तकों की भी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां सरस्वती को दही, हलवा और केसर से मिली हुई मिश्री का भोग लगाएं। पूजा के अंत में मां शारदा की आरती कर पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।

शारदा पूजा की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने ब्रह्मा देव को संसार की रचना का आदेश दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी ने सभी जीव जंतुओं विशेष रूप से मनुष्य की रचना की, लेकिन इसके बाद भी ब्रह्मदेव को संतुष्टि प्राप्त नहीं हुई। ब्रह्मा जी को ऐसा लगता था कि संसार में अभी भी किसी चीज की कमी है, क्योंकि हर तरफ ही मौन का वातावरण है। इसके बाद ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से इस बात को साझा किया और उनकी आज्ञा लेकर उन्होंने अपने कमंडल से जल लेकर छिड़काव किया। पृथ्वी पर जैसे ही ब्रह्मा जी के कमंडल का जल गिरा उस समय धरती पर कंपन होने लगा। जिसके बाद वृक्ष में से एक अद्भुत शक्ति निकली यह शक्ति एक चार भुजाओं वाली सुंदर स्त्री थी। जो वीणा और वर मुद्रा के साथ उत्पन्न हुई थी और उनके हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाने के लिए कहा जैसे ही उस देवी ने अपनी वीणा बजाई वैसे ही संसार के सभी प्राणियों को वाणी प्राप्त हो गई। साथ ही साथ जलधारा में कोलाहल होने लगा। पवन से सरसराहट की आवाज आने लगी और यह सब देख कर उस समय ब्रह्मा जी ने उस देवी को सरस्वती नाम से संबोधित किया। आपको बता दें मां सरस्वती को बागेश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वाग्देवी के नाम से भी जाना जाता है।

शारदा पूजा करने के लाभ

हिंदू मान्यता अनुसार शारदा मां की पूजा करना बहुत खास माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। शारदा पूजा का दिन व्यापारियों और विद्यार्थियों दोनों के लिए ही बेहद ही फलदाई माना जाता है। वहीं विद्यार्थियों को मां शारदा की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि मिलती है और व्यापारियों को मां शारदा की पूजा करने से समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है