Mokshada Ekadashi 2024: तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त

Mokshada Ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी का व्रत इस साल 11 दिसंबर को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, यह व्रत 11 दिसंबर को सुबह 3:42 बजे शुरू होगा और 12 दिसंबर को सुबह 1:09 बजे समाप्त होगा। उदयातिथि के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर 2024 को होगा। इस व्रत को करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आपके पितरों को मुक्ति मिलती है।

मोक्षदा एकादशी: शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

lord vishnu prayer on mokshada ekadashi
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मोक्षदा एकादशी एक व्रत या उपवास है, जिसमें भक्तगण इस दिन को आध्यात्मिक रूप से मनाते हैं, भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने पितरों की आत्माओं को मुक्ति प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। यह एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इसका संबंध भगवान कृष्ण और भगवद गीता से है।

मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी शुभ मुहूर्त में होती है, जो सुबह से लेकर अगले दिन तक होती है। भक्तों को इस दिन उपवास रखना और विशेष अनुष्ठान करना चाहिए। उपवास के समय सही मुहूर्त जानने के लिए आपको अपने स्थानीय पंडित या पंचांग से परामर्श लेना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी का संबंध “युधिष्ठिर और कृष्ण की व्रत कथा” से भी है। एक दिन राजा युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से इस व्रत के लाभ के बारे में पूछा। तब भगवान कृष्ण ने मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने के महत्व को बताया और कहा कि इस दिन उपवास करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे पितर पुनः जन्म से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यह व्रत श्रद्धा पूर्वक किया जाए, तो न केवल उपवासी को मुक्ति मिलती है, बल्कि उनके पितरों को भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Mokshada Ekadashi व्रत के नियम और विधि

मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन करते समय कुछ नियम और विधियाँ हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है:

1. उपवास : मोक्षदा एकादशी का सबसे महत्वपूर्ण अंग उपवास है। यह उपवास पूर्ण रूप से किया जा सकता है या फिर केवल फलाहार और अन्य अनाज रहित आहार लिया जा सकता है।

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2. पवित्रता : उपवास से पहले भक्तों को नदियों या किसी पवित्र जल स्रोत से स्नान करना चाहिए, जिससे शरीर की शुद्धि हो सके और व्रत के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकें।

3. भगवान विष्णु की पूजा : इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में फूल, फल और अन्य शुद्ध वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों का जाप (विश्णु सहस्त्रनाम) करना और भगवद गीता का पाठ भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

4. पितरों के लिए प्रार्थना : मोक्षदा एकादशी के दिन पितरों की आत्मा की मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। कई लोग तर्पण करते हैं, जिसमें वे अपने पितरों के नाम से जल अर्पित करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।

5. व्रत का समापन : उपवास का समापन अगले दिन पूजा के बाद हल्के आहार से किया जाता है, जिसमें फल, दूध और अन्य सात्विक आहार लिया जाता है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व: पितरों को मोक्ष दिलाने का उपाय

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मोक्षदा एकादशी को पितरों की आत्मा की मुक्ति का दिन माना जाता है। हिन्दू धर्म में यह विश्वास है कि मृत व्यक्तियों की आत्माएँ पुनः जन्म लेने के चक्र में बंधी रहती हैं, और उनके परिवारजन इस एकादशी के दिन पूजा-अर्चना करके उनके पापों को दूर करते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं। मोक्षदा एकादशी विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए मनाई जाती है, ताकि हमारे पितर कर्मों के बंधन से मुक्त हो सकें।


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