सनातन हिंदू धर्म में भगवान गणेश जी की ऐसे देवता के रूप में प्रतिष्ठा है जो, हर शुभ कार्य के विधिनायक देवता है। उनकी पूजा के बिना सारे काम अधूरे माने जाते हैं। गणेश चतुर्थी पर जो भी सनातनी विधिपूर्वक 10 दिनों तक गणपति जी की आराधना करता है उसके सब काम बनते ही हैं।
एक जमाना था, जब गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा और आराधना सिर्फ चौक-चौराहों और मंदिरों में ही विशेष रूप से की जाती थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। भगवान गणेश की उपासना और पूजा पूरे भारत में लगभग हर घर में की जा रही है।
गणेश चतुर्थी के त्योहार पर बप्पा की प्रतिमा को विराजमान कर सुखद जीवन और समृद्धि की कामना की जाती है। ये कामना आप भगवान गणनायक की प्रतिमा को घर पर विराजमान करके भी कर सकते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको गणेश चतुर्थी पर भगवान गजानन की प्रतिमा स्थापना और पूजा विधि के बारे में जानकारी देंगे। इस आर्टिकल को पढ़कर आप भी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान गणपति की उपासना से लाभ पा सकेंगे।
भगवान गणेश जी की स्थापना और पूजन विधि
गणेश जी की स्थापना करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। ताकि भगवान गणपति जी के स्थापना में भूलवश किसी भी तरह की कोई चूक ना हो पाए।
- सबसे पहले घर को अच्छी तरह साफ कर लें। घर में किसी भी तरह के मादक पदार्थ न हों, इस बात का भी विशेष ध्यान रखें।
- सबसे पहले गृह शुद्धि करने के बाद शरीर की शुद्धि के लिए स्नान करें और साफ धुले हुए वस्त्र पहनें। पूजन सामग्री को एकत्रित करें।
- इसके पश्चात प्रतिमा जी को उत्तर या पूर्वोत्तर भाग में रखें। और दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं। गणेश जी की प्रतिमा से पूर्व दिशा की ओर कलश रखें।
- प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि को स्थापित करें और अपने ऊपर जल का छिड़काव करते हुए प्रतिमा के साथ एक एक सुपारी रखें।
- ओम पुण्डरीकाक्षाय नम: मंत्र का जाप करें।
- भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं।
- मूर्ति स्थापित करने के बाद गणपति जी का पंचामृत से स्नान करायें। उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले पुष्प और फल चढ़ाएं।
गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर विधिपूर्वक पूजन की परंपरा निभानी चाहिए, जो सर्व प्रकार से लाभदायक है।
भगवान गणेश जी की आरती
गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक घर पर प्रतिदिन सुबह शाम करनी बेहद जरूरी है।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
भगवान गणेश को सनातन हिंदू धर्म में विधिनायक देवता के रूप में पूजा जाता है, जिनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य अधूरा माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की आराधना करना, विशेषकर 10 दिनों तक, सभी कार्यों की सफलता का प्रतीक है। इस पर्व पर पहले गणेश जी की पूजा चौक-चौराहों और मंदिरों में की जाती थी, लेकिन अब यह पूरे भारत में घर-घर में की जाती है। इस लेख में गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना और पूजा की विधि के बारे में जानकारी दी गई है, जिससे श्रद्धालु सही तरीके से पूजा कर सकें और भगवान गणपति की कृपा प्राप्त कर सकें। पूजा की तैयारी से लेकर आरती तक, हर चरण को विधिपूर्वक निभाने का महत्व इस लेख में समझाया गया है।