पितृ पक्ष: महत्व, तर्पण विधि, और पितरों की शांति के लिए प्रार्थनाएं

पितृ पक्ष, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय होता है, जो हमारे पूर्वजों को सम्मानित करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। इस 15 दिवसीय अवधि में, पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण, और पिंड दान जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। इस समय का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करना है, जिससे परिवार में सुख, समृद्धि, और शांति बनी रहे।

  • पितृ दोष से मुक्ति: पितृ दोष को दूर करने के लिए पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक माना जाता है।
  • परिवार की समृद्धि और शांति: पितरों का आशीर्वाद परिवार में शांति और समृद्धि लाता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: पितरों का स्मरण और उनके प्रति श्रद्धा भाव, आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बनता है।

तर्पण विधि

पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के समय अपने पूर्वजों की आत्म शांति के लिए पानी से तर्पण किया जाता है
Credit: HarGharPuja

तर्पण का अर्थ है पितरों को जल अर्पित करना। यह अनुष्ठान आमतौर पर घर के सबसे बड़े पुत्र द्वारा किया जाता है, लेकिन अन्य सदस्य भी इसे कर सकते हैं। पवित्र जल, तिल, और कुशा का उपयोग करके तर्पण करना शुभ माना जाता है। तर्पण के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का पाठ किया जा सकता है:

  1. तर्पण मंत्र:
    “ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यो नमः।”
  2. पिंड दान मंत्र:
    “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यः स्वधा नमः।”
  3. पितृ शांति मंत्र:
    “ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत साक्षिणे धीमहि तन्नो पितरः प्रचोदयात।”

तर्पण के दौरान विशेष प्रार्थनाएं

पितृ पक्ष में तर्पण करते समय पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए प्रार्थना भी की जाती है
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तर्पण की शुरुआत और समापन पर निम्नलिखित प्रार्थनाओं का पाठ किया जा सकता है, जिससे तर्पण और अधिक प्रभावी और श्रद्धा पूर्ण हो सके:

तर्पण की शुरुआत:

“मैं अपनी सर्वोत्तम क्षमताओं के अनुसार, सभी देवों, ऋषियों, अन्य दिव्य प्राणियों और सभी पितरों को तर्पण अर्पित कर रहा हूँ। कृपया इस तर्पण को स्वीकार करें, जिसे मैं पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ कर रहा हूँ । मेरी यात्रा और लक्ष्यों की प्राप्ति में मेरा मार्गदर्शन करें।”

तर्पण का समापन:

“मैंने अपनी सर्वोत्तम क्षमताओं के अनुसार, सभी देवों, ऋषियों, अन्य दिव्य प्राणियों और सभी पितरों को तर्पण संपन्न किया है। कृपया अपनी संपूर्ण कृपा मुझ पर बनाए रखें। मेरी यात्रा और लक्ष्यों की प्राप्ति में मेरा मार्गदर्शन करें।”

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पितरों को जल कौन दे सकता है

पितरों को जल देने का कार्य, जिसे तर्पण कहा जाता है, आमतौर पर परिवार के सबसे बड़े पुत्र द्वारा किया जाता है। हालांकि, यदि वह अनुपलब्ध हो, तो अन्य परिवार के सदस्य भी इसे कर सकते हैं। तर्पण करते समय, व्यक्ति को शुद्ध और एकाग्र मन से इस प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए। परिवार के सभी सदस्य, चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं, पितरों के प्रति श्रद्धा भाव से इस अनुष्ठान में भाग ले सकते हैं।

पितरों को जल देने का समय

पितरों को जल अर्पित करने का सबसे शुभ समय सूर्योदय के समय माना जाता है। तर्पण करने के लिए प्रातःकाल का समय सबसे उपयुक्त होता है क्योंकि इसे शुद्ध और पवित्र समय माना गया है। तर्पण के लिए गंगा जल या अन्य पवित्र नदियों के जल का उपयोग करना शुभ होता है।

तर्पण की विधि

पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का पवित्र नदी के जल से तर्पण करते और उनका आशीर्वाद लेता एक पुरुष
Credit: HarGharPuja
  1. जल का अर्पण:
    एक साफ बर्तन में जल लें और उसमें तिल और कुशा डालें। इसे अपने दाएं हाथ में लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं। जल को धीरे-धीरे जमीन पर छोड़ते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।
  2. तर्पण की संख्या:
    आमतौर पर तीन बार तर्पण किया जाता है, पितरों के तीन पीढ़ियों के लिए – पिता, पितामह, और प्रपितामह।
  3. कौवे को भोजन देना:
    तर्पण के बाद, पितरों के लिए अर्पित भोजन को कौवे को खिलाना शुभ माना जाता है, क्योंकि कौवे को पितरों का प्रतीक माना गया है।

पितृ पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध और तर्पण कर्म पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति प्रदान करते हैं। पितरों की पूजा और तर्पण के माध्यम से हम उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो जीवन में शांति, समृद्धि, और उन्नति लाते हैं। तर्पण, पिंड दान, और मंत्रों का पाठ पितरों को तृप्त करने के महत्वपूर्ण उपाय हैं, और इन अनुष्ठानों का पालन श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए।