पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व और घर पर श्राद्ध विधि कैसे करें

पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के दिन एक पुत्र अपने पूर्वजों को भोजन पान कराता हुआ

पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक विशेष समय है, जिसमें हम अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह 15 दिनों का समय होता है, जिसे ‘श्राद्ध पक्ष’ भी कहा जाता है। पितृ पक्ष का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को तृप्त करना और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति कराना है। माना जाता है कि पितरों का आशीर्वाद परिवार के सदस्यों को सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

श्राद्ध का महत्व

एक पुत्र पितृ पक्ष के दिन अपने पूर्वजों का श्राद्ध करता हुआ
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1. पितृ दोष से मुक्ति:
पितृ दोष से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे विवाह में बाधा, संतान सुख में कमी, आर्थिक तंगी आदि। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से इस दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

2. पारिवारिक समृद्धि और सुख-शांति:
श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। यह मान्यता है कि पितरों का आशीर्वाद जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।

3. आध्यात्मिक उन्नति:
श्राद्ध कर्म व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह कर्म हमें हमारे पूर्वजों से जोड़ता है और हमें उनकी स्मृतियों को संजोने का अवसर प्रदान करता है। इसके माध्यम से हम पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करते हैं।

घर पर श्राद्ध विधि कैसे करें

श्राद्ध के समय अपने पूर्वजों को पिंड दान किया जाता है
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घर पर श्राद्ध कर्म करने के लिए कुछ सरल विधियों का पालन किया जा सकता है:

1. तर्पण करना:

तर्पण का अर्थ है जल अर्पित करना। यह प्रक्रिया पवित्रता और समर्पण के साथ की जाती है। तिल, कुशा और जल का मिश्रण बनाकर पितरों का तर्पण किया जाता है। इस दौरान, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है:

ओम पितृभ्यः स्वधा नमः
इस मंत्र के उच्चारण से पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति मिलती है। तर्पण के लिए पवित्र नदी या जलाशय का उपयोग करना शुभ माना जाता है।

2. पिंड दान:

पिंड दान का महत्व पितृ पक्ष में विशेष होता है। चावल के गोले (पिंड) बनाकर उन्हें घी, शहद, और तिल के साथ मिलाया जाता है। ये पिंड पितरों की आत्मा के तृप्ति के प्रतीक होते हैं। पिंड दान करते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं:

ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत साक्षिणे धीमहि तन्नो पितरः प्रचोदयात।
यह मंत्र पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और उन्हें प्रसन्न करता है।

3. ब्राह्मण भोजन और दान:

श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ब्राह्मण भोजन को पितरों का प्रतीक माना जाता है। इसमें सात्विक भोजन जैसे खीर, पूरी, चावल, दाल, और सब्जी अर्पित की जाती हैं। इसके साथ ही, वस्त्र, अनाज, और धन का दान करना भी श्राद्ध कर्म का हिस्सा है। यह कर्म पितरों को प्रसन्न करता है और परिवार के लिए शुभ फल प्रदान करता है।

4. पितरों के लिए भोजन अर्पण:

श्राद्ध के दिन पितरों के लिए भोजन बनाकर उसे बाहर छत या आंगन में रखें। ऐसा माना जाता है कि पितरों की आत्मा इस भोजन को ग्रहण करती है। भोजन अर्पण करते समय एकाग्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

5. कौवे को भोजन कराना:

श्राद्ध के समय कौवे को भोजन कराना भी बहुत शुभ माना जाता है
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कौवे को पितरों का प्रतीक माना गया है। श्राद्ध के दिन कौवे को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह विश्वास है कि कौवे को दिया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करता है।

6. ध्यान और प्रार्थना:

पितरों की आत्मा की शांति के लिए ध्यान और प्रार्थना अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्राद्ध के समय पवित्र ग्रंथों का पाठ जैसे भगवद गीता, गरुड़ पुराण आदि का पाठ करना शुभ माना जाता है।

7. परहेज और संयम:

श्राद्ध के दिन मांसाहार, शराब, और अन्य तामसिक पदार्थों से परहेज करना चाहिए। परिवार के सभी सदस्य सात्विक और संयमित जीवन शैली अपनाएं। ऐसा माना जाता है कि इस समय संयम और पवित्रता का पालन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।