पितृ पक्ष 2024: तिथियां, महत्व, और पितरों के श्राद्ध की कथा

पितृ पक्ष में एक पुत्र अपने पूर्वजों का श्राद्ध करता हुआ

पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह समय पितरों (पूर्वजों) की आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने, उनका आशीर्वाद प्राप्त करने और उनके लिए तर्पण एवं श्राद्ध कर्म करने के लिए समर्पित है। यह भाद्रपद मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। पितृ पक्ष के दौरान, लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।

पितृ पक्ष की कथा

महान शूरवीर कर्ण के रथ का पहिया जब धरती में धस गया, तब श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने कर्ण वध कर दिया।
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पितृ पक्ष से जुड़ी एक प्रमुख कथा महाभारत के नायक कर्ण से संबंधित है। कर्ण, जो अपने जीवन में महान दानी थे, ने अपने पूरे जीवन में सोना, धन और अन्न का दान किया था, लेकिन उन्होंने अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध और तर्पण का दान नहीं किया था। जब कर्ण की मृत्यु हुई और उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुंची, तो उन्हें केवल सोना और रत्न ही प्राप्त हुए, लेकिन खाने के लिए अन्न नहीं मिला। उन्होंने भगवान इंद्र से इसका कारण पूछा। इंद्र ने उन्हें बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी अपने पितरों के लिए अन्न का दान नहीं किया था।

इसलिए कर्ण ने भगवान यम से अनुरोध किया कि उन्हें पृथ्वी पर लौटने और अपने पितरों के लिए श्राद्ध करने का अवसर मिले। भगवान यम ने उन्हें यह अवसर दिया, और इसी समय को पितृ पक्ष के रूप में मनाया जाने लगा। इस अवधि के दौरान, लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करते हैं।

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष में एक पुत्र अपने पूर्वजों का श्राद्ध करता हुआ
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पितृ पक्ष का महत्व कई प्रकार से समझा जा सकता है:

1. पूर्वजों का आशीर्वाद: पितृ पक्ष के दौरान किए गए पूजा पाठ, श्राद्ध और तर्पण कर्म से पूर्वजों की आत्माएं संतुष्ट होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य बना रहता है।

2. कर्म ऋण से मुक्ति: हिंदू धर्म के अनुसार, हर व्यक्ति को अपने पितरों का ऋणी माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान किए गए कर्मों से व्यक्ति अपने पितरों के ऋण से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।

3. आत्मा की शांति: पितृ पक्ष के अनुष्ठानों से पूर्वजों की आत्माएं शांत होती हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में किए गए तर्पण से आत्माओं को स्वर्ग में स्थान मिलता है।

4. धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व: पितृ पक्ष भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अभिन्न अंग है। यह पीढ़ियों के बीच संबंध और सम्मान को दर्शाता है।

पितृ पक्ष 2024: महत्वपूर्ण तिथियाँ

पांचांग में बताई गई पितृ पक्ष की सारी तिथियां
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September 17, 2024 मंगलवारपूर्णिमा श्राद्ध
September 18, 2024 बुधवारप्रतिपदा श्राद्ध
September 19, 2024गुरुवारद्वितीया श्राद्ध
September 20, 2024शुक्रवारतृतीया श्राद्ध
September 21, 2024शनिवारचतुर्थी श्राद्ध, महा भरणी
September 22, 2024रविवारपंचमी श्राद्ध
September 23, 2024सोमवारषष्ठी श्राद्ध, सप्तमी श्राद्ध
September 24, 2024मंगलवारअष्टमी श्राद्ध
September 25, 2024बुधवारनवमी श्राद्ध
September 26, 2024गुरुवारदशमी श्राद्ध
September 27, 2024शुक्रवारएकादशी श्राद्ध
September 29, 2024रविवारद्वादशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध
September 30, 2024सोमवारत्रयोदशी श्राद्ध
October 1, 2024मंगलवारचतुर्दशी श्राद्ध
October 2, 2024 बुधवारसर्व पितृ अमावस्या

पितृ पक्ष के अनुष्ठान

पितृ पक्ष के दौरान निम्नलिखित अनुष्ठान किए जाते हैं:

  • श्राद्ध: यह पवित्र अनुष्ठान पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। इसमें विशेष भोजन तैयार करके ब्राह्मणों को खिलाया जाता है।
  • तर्पण: इस अनुष्ठान में पवित्र जल और तिल का उपयोग करके पितरों को तर्पण अर्पित किया जाता है।
  • पिंडदान: इसे मुख्य रूप से गया में किया जाता है, जहां पितरों के लिए पिंड (अन्न के गोले) बनाए जाते हैं और उन्हें अर्पित किया जाता है।