हिन्दू धर्म में धार्मिक व्रत-पूजा और अनुष्ठान के पीछे क्या हैं वैज्ञानिक तर्क

इस आर्टिकल में हम आपको हिन्दू धर्म में फूलों और तुलसी जी के सूखे पत्तों से निर्मित अगरबत्ती के महत्व और उनके विविध प्रकार के बारे में जानकारी देंगे

Rishi Agastya

सनातन यानी हिन्दू धर्म यह शब्द ही अपने आप में बृहद है। हिन्दू यानी आध्यात्मिकता चेतना और सदाचरण के साथ धार्मिक क्रियाओं का पालन करना। हिन्दू धर्म सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश देता है। 

यहां की हर धार्मिक रीति रिवाज का एक वैज्ञानिक पक्ष है। हिन्दू धर्म के मानने वाले लोग कई परंपराओं और मान्यताओं को मानते हैं। लेकिन कई लोग इन्हें टोटके और अंधविश्वास कहकर सारी धार्मिक क्रियाओं पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देते हैं।  

वैदिक परंपरा में हर मान्यता और अनुष्ठान को जीवन के अलंकार की तरह माना जाता है। ये एक पीढ़ियों से आजमाई हुई परंपरा है, जिसके पीछे अवश्य ही कोई वैज्ञानिक कारण रहा होगा। जिसकी हमें आज जानकारी नहीं है। 

इस आर्टिकल में हम आपको हिन्दू धर्म में धार्मिक व्रत-पूजा और अनुष्ठान के पीछे के वैज्ञानिक तर्कों के बारे में जानकारी देंगे। इस आर्टिकल को पढ़कर आप भी समझ जाएंगे कि, आखिर क्यों हमारे पूर्वजों ने इतनी वैज्ञानिक व्यवस्था का निर्माण आने वाली पीढ़ियों के लिए किया होगा।

हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा सबसे महत्वपूर्ण?

मूर्ति पूजन, सनातन हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मूर्ति पूजा से ईश्वरीय गुणों का प्रभाव मनुष्य की जीवन में फलदायी और पुण्य का कारण है। मूर्ति पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मन स्थिर रहता है।

वैज्ञानिक तर्क: 

यदि आप पूजा करते वक्त कुछ भी सामने नहीं रखेंगे तो आपका मन अलग-अलग वस्तु पर भटकेगा। यदि सामने एक मूर्ति होगी, तो आपका मन स्थ‍िर रहेगा और आप एकाग्रता के साथ ठीक ढंग से पूजन कर सकेंगे।

पीपल के वृक्ष की पूजा

सनातन धर्म विश्व के प्रचीन धर्मों में से एक है। यहां वृक्षों में सबसे पहले पीपल का पेड़ पूज्यनीय माना गया है। 

पीपल की जड़ में भगवान विष्णु, मध्य में शिव तथा अग्र भाग में ब्रह्मा जी निवास करते हैं, अतः पीपल को प्रणाम कर पूजा-अर्चना करने से समस्त देवता प्रसन्न हो जाते हैं। यही नहीं पीपल की पूजा से ग्रह-जनित कष्ट विशेषकर शनि दोष का निवारण भी होता है।

वैज्ञानिक तर्क

 इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है।

a group of people praying under a large tree

हिन्दू धर्म में हाथ जोड़कर अभिवादन का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपे होते हैं। जिस प्रकार से अन्य धर्मों में अपने पूज्य या श्रेष्ठ को अभिवादन करने के अपने अपने तरीके हैं। उसी प्रकार, हिन्दूओं भी अभिवादन के लिए हाथ जोड़कर सिर झुकाना अच्छा माना जाता है।

वैज्ञानिक तर्क 

हाथ जोड़कर नमस्कार करने से अंगुलियों में एक्यूप्रेशर का दबाव बनता है जो कि, आंख और कान के लिए काफी अच्छा होता है। किसी व्यक्ति को अभिवादन करने से वह लंबे समय तक याद रहता है। 

जब सभी अंगुलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों,कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें।

सूर्य नमस्कार का महत्व

वैदिक परंपरा में प्रतदिन सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए सूर्य नमस्कार करने की परम्परा है। सूर्य को जल चढ़ाने से न सिर्फ दिन अच्छा रहता है बल्कि भगवान सूर्य की सीधी कृपा भी हमें प्राप्त होने लगती है।

वैज्ञानिक तर्क

पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रोशनी अच्छी होती है। साथ ही शरीर की अकड़न खत्म होती है। सुबह की सूर्य़ की किरणों से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होता है।

a man in orange robe kneeling in water with his hands together

तुलसी के पौधे की पूजा

हिन्दू धर्म के अनुसार, घर के आंगन में पूजा करने के लिए तुलसी जी का पौधा लगाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नियमित रूप से तुलसी पूजन करने से घर में मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।

लेकिन, तुलसी पूजा को करते समय नियमों को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक होता है। तुलसी के पौधे की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है। सुख शांति बनी रहती है।

वैज्ञानिक तर्क

तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।

व्रत-उपवास का महत्व

सनातन हिन्दू धर्म में व्रत रखना सर्वोपरि माना जाता है। इसके बिना धार्मिक क्रिया अधूरी मानी जाती है। अधिकतर त्यौहारों पर हिन्दू धर्म में व्रत ऱखे जाते हैं।

वैज्ञानिक तर्क

आयुर्वेद के अनुसार, व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोग, मधुमेह आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते।