हिन्दू पूजा विधि में क्यों जलाया जाता है दीपक, जानिए, महत्व और फायदे

आज हम आपको दीया और बाती की कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। जिनके माध्यम से भगवान को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है साथ ही सभी मनोरथों को पूरा किया जा सकता है।

साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया,

दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्,

भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने,

त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत।

हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का अपना महत्व है। सनातन परंपरा विविधता और एकरुपता का अद्भुत संगम है। धर्म में परम अध्यात्म को ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग बताया गया है।

वहीं भक्ति और पूजा के माध्यम से भी ईश्वरीय गुणों की वंदना कर भगवान तक पहुंचा जा सकता है और कलयुग में तो भक्ति ही एक ऐसा मार्ग है, जिससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति व ईश्वर तक पहुंचना संभव है।

पूजा और भक्ति के मार्ग में विभिन्न साधनों का अवलंबन बेहद जरूरी माना जाता है। पूजा और भक्ति की पराकाष्ठा को श्रेष्ठ रूप देने में दीया और बाती का अपना ही एक महत्व माना जाता है। 

आज हम आपको दीया और बाती की कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। जिनके माध्यम से भगवान को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है साथ ही सभी मनोरथों को पूरा किया जा सकता है।

हिन्दू धर्म में क्या है दीया बत्ती का महत्व

हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ करते समय दीपक को जलाना सबसे शुभ और जरूरी माना जाता है। हमारी संस्कृति में सुबह-शाम दीपक जलाना सौभाग्य और मंगल का प्रतीक माना जाता है। दीपक और बाती के बिना दैनिक पूजा पाठ की प्रक्रिया पूरी तरह अधूरी मानी जाती है। 

दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिससे घर में सुख शांति का प्रवेश होता है। हिन्दू धर्म में, दीपक जलाना अंधकार को दूर करने और ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। 

जिस तरह एक दीया अपने आस-पास के क्षेत्र को रोशन करता है, उसी तरह ज्ञान का प्रकाश अज्ञानता को मिटाता है, ज्ञान और आत्मज्ञान के पथ को  प्रदर्शित करता है।

वैदिक परंपरा में प्रतिदिन देवी-देवताओं के सामने रूई की बाती दीपक में लगाकर जलाई जाती है। दीपक और बाती को  शुभ माना जाता है। विभिन्न अनुष्ठानों और प्रथाओं में, दीप जलाने की क्रिया, जिसे “दीप प्रज्ज्वलन” के रूप में जाना जाता है, का सबसे अधिक महत्व माना गया है

दीपक जलाते समय संस्कृत श्लोक का करें पाठ

दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।

दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।

शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।

शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।

दीया बत्ती जलाने का वैज्ञानिक महत्व

हिन्दू धर्म में दीया जलाने का संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य और मन के साथ माना गया है। इसलिए यह ध्यान रखें कि दीया और उसकी बाती पवित्र और शुद्ध हो। यानी वो हमेशा नई हो। दीपक का प्रकाश घर के वास्तु दोषों को दूर करता है। 

अत: दीया और बाती से संबंधित हर कार्य बहुत ही सावधानी से करने चाहिए ताकि विशेष पुण्यफल का अर्जन किया जा सके।

वैदिक धर्म में दीया जलाकर देवी-देवताओं की आरती करने से पूजा पूर्ण होती है। आमतौर पर देवी-देवता के समक्ष दीपक की बाती कलावा या फिर रूई से बनाई जाती है और इसे जलाने के लिए घी, सरसों या फिर तिल के तेल का उपयोग किया जाता है।

हिन्दू धर्म में बाती का आध्यात्मिक महत्व

दीया में बाती न हो तो उसका कोई औचित्य नहीं रह जाता । हिन्दू धर्म में दीया का जितना महत्व माना गया है उतना ही महत्व बाती का भी है। अत:बाती रूई की बनी हुई होनी चाहिए। पूजा के दौरान कभी भी बाती पुरानी उपयोग  नहीं करना चाहिए।

पूजा के समय गोल (फूल) बाती क्यों लगाते हैं

ज्यों गोल बाती का दीपक ब्रह्मा जी, इंद्रदेव, शिव जी, विष्णु जी सहित अन्य देवता के मंदिर में लगाना शुभ होता है। गोल बाती को फूल बाती भी कहा जाता है।  इसके साथ ही तुलसी के पौधे के सामने भी गोल बाती वाला दीपक ही जलाना चाहिए। गोल बाती जलाने से घर में सुख-शांति और सौभाग्य जागता है

देवी मां के सामने जलाएं लंबी बाती का दीपक

लंबी बाती जलाने से सुख-समृद्धि, धन-संपदा, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। इस बात का ध्यान रखें कि, लंबी बाती का दीपक केवल मां लक्ष्मी, दुर्गा जी, सरस्वती सहित अन्य देवी के पूजन में जलाया जाता है। लक्ष्मी जी के सामने लंबी बाती का दीपक जलाने से धन की वृद्धि होती है।