नवरात्रि पर्व पर महाशक्ति की करें आराधना, जानिए अनुष्ठान और रीति-रिवाज

devotees are worshipping ma durga in a durga pandal

या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:, पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।

श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥

अर्थात- जो धर्मात्माओं के गृह में लक्ष्मीरूप से, दुरात्माओं के यहाँ निर्धनता रूप से, शुद्ध अन्त:करणवाले पुरुषों के हृदय में बुद्धिरूप से, सज्जनों में श्रद्धारूप से तथा कुलीन मनुष्यों में लज्जारूप से विराजमान रहती हैं। उन महामाया भगवती दुर्गा को हम सब प्रणाम करते हैं। देवि! आप सम्पूर्ण विश्व का पालन कीजिये।

नवरात्रि अर्थात जीवन को नई दिशा देने का स्वर्णिम अवसर। यह 9 दिवसीय आराधना पद्धति हमें माता रानी से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है। आदि शक्ति की पूजा से इंसान भवसागर से पार हो सकता है। मां जगत जननी भक्तों को कभी निराश नहीं करती है। 

जो उनकी शरण में जाता है वह निहाल हुए बिना नहीं रहता। मां के 9 स्वरूप शक्ति की आराधना के प्रतीक है। माता रानी हमेशा ही भक्तों से सदमार्ग प्रशस्त करती हैं। 

नवरात्रि का पावन पर् उत्साह उमंग के साथ भक्ति में डूब जाने जा उत्सव है। जिसने मां की भक्ति में डुबकी लगाई उसे परम आनंद की अनुभूति होती ही है। मां की कृपा से संकटों का पल भर विलय हो जाता है।

इस आर्टिकल में हम आपको नवरात्रि महापर्व के अनुष्ठान और रीति—रिवाज के बारे में जानकारी देने वाले हैं। इस आर्टिकल को पढ़कर आप भी परंपराओं और आराधना के गूढ़ तत्व के बारे में जानकारी पा सकेंगे।

नवरात्रि पर्व का महत्व क्या है?

नवरात्रि के पर्व पर महिलाएं माता शक्ति की आराधना करती हुईं
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वैदिक परंपरा के अनुसार, भारतीय पर्व और त्योहारों में नवरात्र पर्व का अत्यधिक महत्व माना गया है। यह नवरात्रि का पर्व साल में दो बार आता है। दुर्गावतरण की पावन कथा भी इसके साथ जुड़ी हुई है। 

देवत्व के संयोग से असुर निकंदिनी महाशक्ति के उद्भव का महत्व हर युग में रहा है। युग की भयावह समस्याओं का निदान पाने के लिए युग शक्ति के उद्भव की कामना हर मन में उठती है। अधिकांश सनातनी व्रत, उपवास एवं अनुष्ठान करते हैं। प्रतीक्षा रहती है कि कब नवरात्र आए और साधना-अनुष्ठान के माध्यम से मनोवांछित फल प्राप्त कर सकें।

नवरात्रि अनुष्ठान और रीति-रिवाज

नवरात्रि का त्योहार गायत्री साधना के लिए भी सबसे अधिक उपयुक्त माना गया है। इन नौ दिनों में उपवास रखकर चौबीस हजार मंत्रों के जप का लघु अनुष्ठान बड़ी साधना के समान परम हितकर सिद्ध होता है। 

कष्ट निवारण, कामना पूर्ति व आत्मबल बढ़ाने के साथ ही साथ यह साधना सद् विवेक अर्थात् प्रज्ञा का जागरण कराती है। गायत्री कामधेनु हैं। नवरात्र में जो मनोयोग पूर्वक उनकी पूजा, उपासना व आराधना करता है, माता उसे अमृतोपम दुग्धपान कराती रहती हैं।

नवरात्रि के पर्व से जुड़े कई नवरात्रि अनुष्ठान हैं। नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान, भक्त नवरात्रि घट स्थापना, कन्या पूजन, दुर्गा आरती, नवरात्रि व्रत रखना, दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना और डांडिया और गरबा रास में भाग लेना जैसे कई अनुष्ठान करते हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मंत्रों का जाप करना अत्यधिक प्रभावी माना गया है।  शारदा नवरात्रि के दौरान लोग कई तरह के अनुष्ठान करते हैं। शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यासों के माध्यम से देवी दुर्गा की पूजा के गहरे सार को आत्मसात किया जाता है।

नवरात्रि के दिनों में माता को प्रस्सन करने के लिए अखंड ज्योत जलाई जाती है
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1. उपवास

यदि उपवास अनिवार्य नहीं भी है तो भी कई लोग अपने शरीर को स्वच्छ और संयमित रखने का प्रयास करते हैं, इसलिए कुछ लोग केवल फल और दूध पर निर्भर रहते हैं, जबकि अन्य प्रतिदिन केवल एक शाकाहारी भोजन खाते हैं जिसमें प्याज या लहसुन नहीं होता।

2. अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करना

नवरात्रि को पावन पर्व पर 9 दिनों तक अखंड ज्योति जहां माता रानी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की जाती है उस स्थान पर यह ज्योत जलाई जाती है। यह देवीय अनुष्ठान का प्रमुख अंग माना गया है। 

यह एक तेल का दीपक है जो आमतौर पर नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने लगातार जलता रहता है। जलते समय, अखंड ज्योत को दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर रखना चाहिए।

3. शारीरिक शुद्धि

इस त्योहार पर शेविंग, बाल कटवाने और नाखून काटने से परहेज करना भी काफी आम बात है। इस उत्सव में शरीर की शुद्धता पर भी ध्यान दिया जाता है। नवरात्रि पवित्रता का सूचक पर्व है।

4. ब्रह्मचर्य का पालन

नवरात्रि पर आदिशक्ति मां की पूजा पवित्र भावनाओं के साथ की जाती है इन 9 दिनों में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर मां की उपासना और भी अधिक भक्ति और आनंद की जा सकती है।

5. परिवार के साथ सम्मिलित पूजा

नवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जिसमें भगवान की पूजा माँ के रूप में की जाती है और मातृत्व इसका मुख्य अर्थ है। परिवार के सभी सदस्यों के साथ माता रानी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। कई लोग पूरी रात जागते हैं और परिवार के सदस्यों के साथ भजन संकीर्तन करते हैं।

6. दान महापुण्य का कारण

इस पर्व पर हर सनातनी को कुछ न कुछ अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करना चाहिए। दान भी नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह एक ऐसा कार्य है जो देवी को प्रसन्न करता है और आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति में मदद करता है। इसलिए, दान करना और जरूरतमंदों को भोजन दान करना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।

नवरात्रि के दौरान उपवास, अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन, शारीरिक शुद्धि, ब्रह्मचर्य का पालन, परिवार के साथ पूजा, और दान जैसे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान न केवल आध्यात्मिक शुद्धि और संयम का प्रतीक हैं, बल्कि ये हमारे जीवन में अनुशासन, सद्भाव और करुणा का संदेश भी देते हैं। इन परंपराओं का पालन हमें आत्मिक बल प्रदान करता है और देवी मां की कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है। नवरात्रि एक ऐसा अवसर है जब हम अपने भीतर और बाहर की शुद्धता को साधते हुए, भक्ति और समर्पण के साथ मां की आराधना कर सकते हैं।