पूजा क्या है और हमें क्यों करनी चाहिए

Lord Ganesh

सनातन हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है।

मानव संस्कृति के विकास क्रम में कई धर्म आए और नष्ट हो गए। लेकिन, हजारों साल के संघर्ष के बाद भी हिंदू धर्म अपनी विविधता और मौलिकता को बचाए रखने में सफल रहा है। इसमें बड़ा योगदान सनातन संस्कृति के मानने वालों की आस्था और निष्ठा का भी है।

सनातन संस्कृति असल में कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने की शैली है। इसमें ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग को आध्यात्मिक विकास (स्वयं के विकास) से जोड़ा गया है। ये प्रक्रिया बहुत ही गहन और कई प्रथाओं से युक्त है। 

‘पूजा’ इन्हीं अनुष्ठानों में से एक है। इस प्रक्रिया में ईश्वर की आराधना की विधि के बारे में बताया गया है। ये आराधना न सिर्फ कर्मकांड और नियमों के जानकार कर सकते हैं। बल्कि, गृहस्थ और पूजा की विधि न जानने वाले लोग भी आसानी से कर सकते हैं। 

इसीलिए, इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊंगा कि, पूजा क्या है? इसके अलावा, पूजा के महत्व, उत्पत्ति, प्रकार और तत्व के बारे में जानकारी दूंगा। इस आर्टिकल को पढ़कर आप भी पूजा की प्रक्रिया और विधि से परिचित हो सकेंगे। 

पूजा क्या है?

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पूजा, हिंदू धर्म का एक समारोह या अनुष्ठान है। पूजा के दौरान श्रद्धालु आशीर्वाद या सौभाग्य प्राप्त करने के लिए किसी देवता को प्रसाद चढ़ाते हैं। पूजा के दौरान, अक्सर पवित्र स्तोत्र या श्लोक या मंत्र का पाठ किया जाता है। 

ये सभी मंत्र या पाठ उस देवता की प्रशंसा या स्तुति में पढ़े जाते हैं। ये प्रक्रिया हमें ईश्वर से जुड़ने, मन को शांत करने और कृपा प्राप्त करने में मदद करती है। पूजा, किसी देवता के प्रति भक्ति करने और खुद को समर्पित करने का प्रतीक है।

पूजा कौन कर सकता है?

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असल में, कोई भी व्यक्ति जो किसी देवता, शास्त्र या गुरु में आस्था रखता है, वह अपने घर पर पूजा कर सकता है। पूजा करने के लिए वास्तव में किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं है। बस आपकी आस्था ही काफी है।

लेकिन, शास्त्र या वेद में बताई गई विधि से पूजा संपन्न करवाने के लिए पुजारी या पुरोहित को बुलाया जाता है। पुजारी वह व्यक्ति हो सकता है, जिसने शास्त्रों का अध्ययन या ज्ञान प्राप्त किया हो।

अपने ज्ञान के आधार पर वह हमारे अनुष्ठान का मार्गदर्शन करते हैं। वही हमें बताते हैं कि, इस अनुष्ठान, पूजा सामग्री, मंदिर और पूजा का महत्व क्या है? इन सभी बातों को जानने के बाद श्रद्धालु की आस्था धर्म के प्रति बढ़ जाती है और वो जान पाता है कि, जिस पूजा को वो कर रहा है, उसका अर्थ और महत्व क्या है।

पुजारी या पुरोहित, पूजा के वैदिक और धार्मिक नियम से परिचित होते हैं। उन्हें पूजा के समय, उद्देश्य, महत्व और सामग्री का भी पता होता है। ये पुजारी अपना पूरा जीवन भगवान की सेवा में समर्पित करते हैं। वे अपना ज्ञान उन सभी योग्य छात्रों को देते हैं, जो भी इस मार्ग का अनुसरण करना चाहते हैं।

पूजा क्यों करनी चाहिए?

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पूजा, असल में सिर्फ धार्मिक क्रियाकलाप नहीं है। ये आत्मशुद्धि और खुद को ​नए जीवन की ओर ले जाने की यात्रा भी है। इसका महत्व धार्मिकता से कहीं बढ़कर आध्यात्मिकता और मानसिक शुद्ध से भी है।

‘पू’ शब्द का अर्थ है, ‘शुद्ध या स्वच्छ करना’। जबकि, ‘ज’ अक्षर का अर्थ है ‘जन्म’। इसलिए, जब आप पूजा करते हैं, तो शरीर, मन और बुद्धि को शुद्ध करते हैं और नया जन्म लेते हैं।

इसलिए, जब भी आपको अपने भीतर के ‘अहं’ को रीसेट करने और नए सिरे से शुरुआत करने की जरूरत हो, तो पूजा ही वह चीज़ है जो आपको वहां पहुंचने में मदद करेगी। ये बात हजारों वर्षों से आजमाई हुई और प्रामाणिक है।

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पूजा करते समय आपका शरीर, मन और बुद्धि सभी जिस चीज पर केंद्रित होते हैं वो हैं आपके देवता। जब आप अपने हाथों से क्रिया कर रहे होते हैं, तो आप पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ उनका नाम जप रहे होते हैं। 

ये खुद को अनुशासित करने और अपने मन को एकाग्र करने का एक शानदार तरीका है। अगर कोई नकारात्मक विचारों से जूझ रहा है, किसी दबाव या समस्या से बोझिल है, या बस यह नहीं समझ पा रहा है कि जीवन में करना क्या है?

ऐसी स्थिति में, पूजा मन को साफ करने और छिपे हुए रास्ते को देखने में मदद करेगी। आपकी नकारात्मकता आपके घर और आपके प्रियजनों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इसलिए पूजा न केवल आपकी मदद करती है, बल्कि पर्यावरण की भी मदद करती है।