हिंदू धर्म में पूजा-हवन व्रत उपवास करना भगवान के नजदीक पहुंचने का मार्ग है। भगवत भक्ति से भक्त भवसागर पार हो जाता है। सनातन हिंदू परंपरा में विविध रीति-रिवाज और क्षेत्रीय परंपराएं है जो सीधे हम को धर्म से जोड़ती हैं।
सबका एक ही उद्देश्य है, मन को भगवान की आराधना में विशेष रूप से लगाना। जो जितना भक्ति-पूजन में डूबा भगवान की कृपा उस पर उतनी अधिक बरसी, या कहें वो ही सबसे बड़ा पुण्यात्मा है जो भगवान के गुणों के स्मरण अपने चित्त को लगाता है।
आज हम आपको भगवान की पूजा-भक्ति का पर्व हरियाली तीज के बारे में बताने जा रहे हैं। हरियाली तीज का यह त्योहार हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
हरियाली तीज की महिमा
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख भगवान शिव और मां गौरी की विधिपूर्वक पूजा करती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन सुखमय होता है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर हाथों में मेहंदी लगाकर झूला झूलती हैं और सावन के प्यारे लोकगीत भी गाती हैं।
तो आइए जानते हैं कि इस साल हरियाली तीज कब मनाई जाएगी और पूजा के लिए शुभ समय क्या रहेगा।
हरियाली तीज त्योहार- 2024
पूजा का शुभ मुहूर्त
- सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 6 अगस्त 2024 को शाम 7 बजकर 52 मिनट से
- सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजकर 5 मिनट पर
- हरियाली तीज 2024 तिथि- 7 अगस्त 2024, दिन बुधवार
हरियाली तीज व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने हिमालय राज के घर माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना कर ली थी।
गुजरते समय के साथ, जब माता पार्वती विवाह योग्य हो गईं तो, पिता हिमालय शादी के लिए योग्य वर तलाशने लगे थे।
एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के पास गए और उनकी चिंता सुनकर उन्होंने योग्य वर के रूप में भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालय राज को भी भगवान विष्णु दामाद के रूप में पसंद आए और उन्होंने अपनी रजामंदी दे दी।
पिता हिमालय की रजामंदी को जानकर माता पार्वती चिंतित हो गईं क्योंकि उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने की कामना पहले से ही कर रखी थी। इसलिए भगवान शिव को पाने के लिए वो एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने का संकल्प लिया।
वहां पर उन्होंने रेत से एक शिवलिंग बनाया और अपनी तपस्या करने लगीं। एकांत जंगल में माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया।
जब पर्वत राज हिमालय को बेटी पार्वती के मन की बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। जिसके परिणाम स्वरूप माता पार्वती और भगवान शिव की शादी संपन्न हुई। तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।
हरियाली तीज की पूजन विधि
- इस दिन सुहागन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके पूरे दिन उपवास रखना चाहिए।
- 16 श्रृंगार में मेहंदी जरूर लगाएं और हरे रंग की चूड़ियां पहनें।
- शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
- मंदिर में घी का बड़ा दीपक जलाएं।
- मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
- पूजा के बाद सुहागन और जरूरत स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करें और उनका आशीर्वाद लें।